करनाल/ कीर्ति कथूरिया : कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. आदित्य डबासने बताया कि आने वाले दिनों में प्रदूषण की समस्या पर अंकुश लगाने व जिला में आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए किसानों को जागरूक करने का कार्य किया जा रहा है। धान की कटाई के बाद पराली में आग लगाने के कई नुकसान है। आग लगाने से मिट्टी की जैविक शक्ति भी प्रभावित होती है व मिट्टी में मौजूद कई उपयोगी मित्र कीट नष्ट हो जाते हैं।
पराली को जलाने की बजाय इसको सुपर सीडर/ हैप्पी सीडर की मदद से मिट्टी मे मिलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाए या स्ट्रॉ बेलर द्वारा पराली की गांठे बनवा कर पराली प्रबंधन करके किसान आग लगाने की मुसीबत से छुटकारा पा सकता है। अवशेषों मे आग लगाने से कृषि भूमि के साथ-साथ पर्यावरण को भी नुकसान होता है।
उन्होंने बताया कि आगजनी की घटनाओं को कम करने और पराली के अवशेषो को मिट्टी मे मिलाने के साथ-साथ गेहूं की बुआई के लिए विभाग द्वारा सुपर सीडर पिछले दो वर्षो से किसानों को अनुदान पर उपलब्ध करवाये गए हैं व हैप्पी सीडर, स्ट्रॉ बेलर, हे-रेक, जीरो ड्रिल आदि कृषि यंत्रो पर पिछले चार वर्षो से किसानों को अनुदान पर उपलब्ध करवाये गए हैं।
इसके अलावा पिछले तीन वर्षो से पराली प्रबंधन करने वाले किसानों को 1000 रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। पराली की स्ट्रॉ बेलर द्वारा गांठ बनवाने पर व सुपर सीडर, मल्चर, चोपर, एम बी प्लो द्वारा पराली को मिट्टी मे मिलाने पर इस वर्ष 2023-24 मे भी 1000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
जो किसान अपने खेत मे धान के अवशेषों का प्रबंधन उपरोक्त कृषि यंत्रों द्वारा करता है। वह किसान प्रोत्साहन राशि हेतु ऑनलाइन पोर्टल www.agriharyana.gov.in के माध्यम से 30 नवंबर तक आवेदन कर सकता है इसके लिए एक सितम्बर से यह पोर्टल खुला हुआ है किसान पराली प्रबंधन करके इस पोर्टल पर आवेदन कर सकता है।