ज्ञात रहे कि इसी आरोपी ने करीब एक साल पहले भी इसी आंतकी पर करनाल जेल में जानलेवा हमला किया था, जिस के बाद आरोपी के खिलाफ थाना सदर में हत्या करने के आरोप में मामला दर्ज भी किया था, लेकिन बताया जा रहा है कि इन दोनों में इस झगड़े को लेकर समझौता हो गया था और जिस के बाद टुंडा ने उसे पहचानने से इन्कार कर दिया था ! मिली जानकारी के अनुसार आज जिला पुलिस जेल से कुछ कैदियों को अदालत में पेश करने के लिए अदालत परिसर में लेकर आई और उन्हें यहां पर बनी मुलजिम बैरक में बंद कर रखा था, इस दौरान आंतकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा भी बंद था और उस पर कुछ रोज पहले जानलेवा हमला करने वाला कैदी पानीपत निवासी जोगिंद्र भी बंद था ! बताया जा रहा है कि पहले हुई मारपीट को लेकर आज फिर एक बार इनकी आपस में कहा सुनी हो गई और देखते ही देखते जोगिंंद्र ने टुंडा को दबोच लिया और उसकी जमकर धुनाई कर डाली ! अचानक मुलजिम बैरक में कैदियों की आपस में हुई मारपीट की सूचना मिलते ही मौके पर उपस्थित पुलिस कर्मचारियों में सनसनी फैल गई और आनन-फानन में पुलिस ने बैरक खोलकर दोनों में चल रही मारपीट में बीच बचाव कर दोनों को अलग थलग कर दिया ! जिस के बाद इस घटना की सूचना मिलते ही सिविल लाईन थाना पुलिस ने मौके पर पहुंच कर आरोपी जोगिंद्र खिलाफ टुुंडा से शिकायत लेकर भादंसं की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर जांच करनी आरंभ कर दी है !
गौरतलब है कि टुंडा सोनीपत ब्लास्ट में दोषी करार साबित हुआ था। कोर्ट ने 10 अक्टूबर को उसे उम्र कैद की सजा सुनाई। सोनीपत की जिला अदालत में उसके खिलाफ चार लोगों ने गवाही दी। टुंडा पर 28 सितंबर, 1996 में सोनीपत धमाके कराने का आरोप था। इनमें एक धमाका शाम के समय बस स्टैंड के पास जबकि दूसरा धमाका गीता भवन चौक पर किया गया।
इन धमाकों में दर्जनभर लोग बुरी तरह घायल हुए थे। तब इस मामले में पुलिस ने गाजियाबाद के अब्दुल करीम टुंडा और उसके दो साथी शकील अहमद और मोहम्मद आमिर को नामजद किया। हालांकि टुंडा छोड़ दोनों आरोपियों को साल 1998 में ही गिरफ्तार कर लिया गया था जबकि टुंडा काफी लंबे समय से फरार चल रहा था। दूसरी तरफ टुंडा का नाम 40 से ज्यादा बम धमाकों और उनकी प्लानिंग में आया था।