( रिपोर्ट – कमल मिड्ढा ): फिजिकल वेरीफिकेशन ही खोल सकती है सच्चाई ,यहीं से दबाया जाता है घोटाला ,खाद्य एंव आपूर्ति विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत लिस्टों से ही आती है नजर !
धान घोटाले की परतें खुलने के नजदीक पहुंच रही है ! वही इस घोटाले को दबाने का काम राइस मिल में होने वाली फिजिकल वेरीफिकेशन (पीवी) के माध्यम से किया जाता है , पीवी ही वह अहम कड़ी है, जब यह बात सामने आ सकती है कि हकीकत में राइस मिल संचालक ने कितना धान कागजों में खरीदा है और कितना राइस मिल के अंदर रखा है ! यदि पीवी करते समय ईमानदारी बरती जाए तो इस गड़बड़झाले को वहीं पकड़ा जा सकता है , यही वजह है कि इस बार सरकार पीवी करवाते समय पूरी सावधानी बरतने जा रही है , अलग अलग स्तर के अधिकारियों की विशेष टीमें बनाकर इसे करवाया जा रहा हैं ,ताकि यह पता चल सके कि गड़बड़ी कितने बड़े स्तर की है।
करनाल जिले में 300 से अधिक राइस मिल संचालक सरकारी धान का चावल बनाने का काम करते हैं। यह आरोप सामने आया है कि कई राइस मिल संचालकों ने कागजों में धान की खरीददारी करके सरकार को करीब 300 करोड़ रुपये का चूना लगाया है। इसी घोटाले की तह में जाने के लिए सरकार ने गंभीरता से काम कर रही है।
जिन अधिकारियों की धान घोटाले में मिलीभगत वह भी जांच टीम में शामिल ,दूसरा दूसरे विभाग के अधिकारियों को धान की फिजिकल वेरीफिकेशन की ज्यादा जानकारी नहीं
खरीद पूरी होने के बाद राइस मिल में जाकर अधिकारी करते हैं पीवी
अनाज मंडी में धान की खरीद का सीजन पूरा होने के बाद राइस मिल में धान के स्टॉक की पीवी करवाई जाती है। यह आरोप है कि गड़बड़झाले में शामिल होने वाले राइस मिल संचालक मंडी में कागजों में धान की खरीद के बाद उसकी एवज में आने वाली राशि बासमती चावल खरीद लेते हैं। जबकि उन्हें मंडी से पीआर चावल खरीदना होता है। पीवी के दौरान इस गड़बड़ी को नजरअंदाज कर दिया जाता है। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के निदेशक व उपायुक्त के आदेश पर पीवी की जाती है, लेकिन निचले अधिकारी इस ड्यूटी में कोताही बरत जाते हैं। लिहाजा पीवी होने के बावजूद भी गड़बड़ी बाहर नहीं आ पाती।
पीवी को लेकर इस बार बरती जाएगी पूरी सर्तकता : एडीसी अनीश यादव
एडीसी अनीश यादव ने कहा कि फिजिकल वेरीफिकेशन को लेकर उच्चाधिकारियों के आदेश पर मल्टी लेवल पर टीम तैयार की जा रही हैं। पीवी को लेकर पूरी सर्तकता बरती जाएगी। ताकि कहीं से कोई भी खामी सामने आए तो उसका पता चल सके। फोटो—62 नंबर है।
धान घोटाले की करवाई जाए सीबीआइ जांच : हुड्डा
2 दिन पहले करनाल पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि धान घोटाले की सीबीआइ जांच करवाई जानी चाहिए। सीबीआइ जांच में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। सरकार को किसानों के हितों का ध्यान नहीं है।
सीएम की रिकॉर्डिंग वायरल होने से चेकिंग बढ़ी
इस बार राइस मिलर्स पर सरकार के सख्त होने के कई कारण हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान एक राइस मिलर्स ने सीएम की ऑडियो रिकॉर्डिंग भी वायरल कर दी थी। यह राइस मिलर्स के संबंधित ही थी। इसकी भी मिलर्स में चर्चा है कि इस रिकॉर्डिंग से परेशानी बढ़ी है। दूसरा कारण है कि इस बार धान के सीजन में प्रदेश में सबसे ज्यादा पीआर धान खरीदा गया है। इसलिए इनकी कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में है। करनाल में औसतन पीआर 10 लाख क्विंटल खरीदा जाता था। इस बार 16 लाख 22 हजार 154 क्विंटल पीआर धान खरीद कर लिया गया। तीसरा कारण है कि विधानसभा में भी धान घोटाले का मामला उछल गया। इसलिए भी चेकिंग सख्त हुई है।