शहर के नगर निगम कार्यालय में चालू वित्त वर्ष में अब तक 4 करोड़ 30 लाख रूपये की राशि सम्पत्ति कर के रूप में जमा हो चुकी है। बीते अक्तूबर में 38 लाख 40 हजार रूपये टैक्स के रूप में निगम के खजाने में आए। यह जानकारी मंगलवार को निगम आयुक्त निशांत कुमार यादव ने दी।
आयुक्त ने बताया कि कर दाताओं को राहत देने के मकसद से सरकार ने उदारता दिखाते हुए घोषणा की थी कि जिन कर दाताओं ने पिछले कई सालों से अपना सम्पत्ति कर अदा नहीं किया है, ऐसे व्यक्ति एकमुश्त राशि जमा करवाने पर समस्त ब्याज की छूट का लाभ ले सकते हैं। सरकार की इस घोषणा से अकेले नगर निगम से जुड़े 9600 हाऊस होल्ड ने लाभ उठाया, उन्होंने 1 करोड़ 11 लाख रूपये की राशि टैक्स के रूप में निगम के खजाने में जमा करवाई। उन्हे टैक्स राशि में छूट का अच्छा-खासा फायदा हुआ। सरकार की घोषणा अनुसार ब्याज माफी में छूट आगामी 31 दिसम्बर तक जारी रहेगी।
निगम आयुक्त ने आगे बताया कि ब्याज माफी में छूट कर दाताओं के लिए एक सुनहरी अवसर है, इसका फायदा अवश्य उठाना चाहिए। चालू मास नवंबर और इससे अगला महीना दिसम्बर यानि कुल 2 महीने घोषणा का लाभ उठाने के लिए कर दाताओं के पास है। हो सकता है कि सरकार इसके बाद कोई इस तरह की घोषणा ना करे। इसलिए कर दाताओं को स्वेच्छा व ईमानदारी से अपना फर्ज समझते हुए सम्पत्ति कर जमा करवा देना चाहिए।
उन्होंने बताया कि निगम कार्यालय में सम्पत्ति कर जमा करने के लिए सभी कार्य दिवसों पर 2 विंडो की सुविधा दी गई है। दोनो जगह पी.ओ.एस. मशीने भी हैं। कर दाता एक हजार रूपये तक की राशि विंडो पर कैश के रूप में जमा करवा सकता है और इससे ज्यादा की राशि अपने डैबिट कार्ड से पी.ओ.एस. के जरिए जमा करवा सकता है, इसमें ज्यादा समय नहीं लगता।
इसके अतिरिक्त जो व्यक्ति कर जमा करवाने के लिए किसी कारण से निगम की खिड़की पर नहीं आ सकते, वे निगम परिसर में स्थित पी.एन.बी. शाखा, कर्ण गेट स्थित इण्डियन ओवरसीज़ बैंक, सैक्टर-12 में आई.सी.आई.सी.आई. तथा एक्सिस बैंक तथा सैक्टर-3 स्थित एक्सिस बैंक में जाकर भी अपना सम्पत्ति कर जमा करवा सकते हैं।
आयुक्त ने शहर के ऐसे सभी बकाया कर दाताओं से अपील करते हुए कहा है कि सम्पत्ति कर अदा करना हर नागरिक के लिए एक फक्र की बात होती है। यह प्रमाणित करता है कि हम अपने देश की तरक्की के लिए कर के रूप में योगदान कर रहे हैं। वैसे भी टैक्स के रूप में जमा राशि अप्रत्यक्ष रूप में नागरिकों के लिए सुविधाओं पर ही खर्च होती है। इसका अभिप्राय यह है कि हम जो टैक्स देते हैं, वह अपनी सुविधा के लिए है।