फसल कटाई के बाद खेतों में बचे स्टबल (पराली) से बिजली बनाने का प्लांट लगाया जाएगा। भारत सरकार के गैर-परम्परागत ऊर्जा विभाग की ओर से इस तरह का प्लांट लगाने के लए करनाल को चुना गया है। नगर निगम की ओर से इसकी प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी गई है। यह जानकारी निगम आयुक्त डॉ. प्रियंका सोनी ने आज यहां दी।
उन्होने बताया कि हरियाणा धान उत्पादक का एक बड़ा क्षेत्र है। यहां के किसान फसल कटाई के बाद खेतों में खड़े अवषेशों को आग लगा देते हैं, जिससे पर्यावरण दूशित होता है और ऐसा करना गैर-कानूनी भी है। खेतों में लगाई आग से उठने वाले धुएॅं का असर राजधानी दिल्ली तक जाता है। इस समस्या को देखते हुए सरकार ने निर्णय लिया है कि स्टबल को आग लगाने की बजाए उससे इस तरह के प्लांट के जरिये फ्यूल या बिजली जैसी ऊर्जा पैदा की जा सकती है, जिससे परम्परागत स्त्रोतों की बचत होगी और कम खर्च पर पावर बनाकर उसका प्रयोग किया जा सकता है।
आयुक्त ने बताया कि करनाल-काछवा रोड़ पर नगर निगम द्वारा बनाए गए स्लाटर हाऊस में एफ्यूलेंट ट्रीटमैंट प्लांट (ई.टी.पी.) में, एफ्यूलेंट के साथ-साथ स्लबल का दोहन करके उससे मिथेन गैस बनाई जाएगी, जो जेनरेटर सैट को चलाएगी, जेनरेटर सैट से पावर बिजली में कन्वर्ट होगी। स्लाटर हाऊस की आवष्यकता पूरी करने के बाद जितनी बिजली बचेगी, उसे ग्रिड अथवा एच.टी. लाईन में डाला जाएगा।
उन्होने बताया कि प्लांट के लिए स्टबल यानि पराली जुटाने के लिए ऊंचा समाना गांव का चुनाव किया गया है। प्रारम्भ में सहायक इंजीनियर कृशि (ए.ई.ए.) के कार्यालय में उपलब्ध स्ट्राबेलर मषीन को लिया जाएगा, जो गांव में जाकर खेतों में खड़े स्टबल को काटकर उसके गठ्ठे बनाएगी। ऐसे गठ्ठे प्लांट में लाए जाएंगे। इस कार्य के लिए ए.ई.ए. कार्यालय किसानों से निर्धारित व जायज किराया वसूलेगा। प्लांट से तैयार जो बिजली यू.एच.बी.वी.एन. को बेची जाएगी, उतनी राषि किसानों के बिजली बिलों में से कम कर दी जाएगी। खेतों से स्टबल उठाने के बाद किसान को उसे जलाने से छुटकारा मिलेगा। किसानों के खेतों से स्टबल लेने के लिए नगर निगम के माध्यम से एक अनुबंध किया जाएगा, जो ग्राम पंचायत स्तर पर होगा। प्लांट के लिए प्रतिदिन 10 टन स्टबल लिया जाएगा। जितनी बिजली पैदा होगी, उसके लिए प्लांट में नैट मिटरिंग सिस्टम किया जाएगा, जिससे पता चलेगा कि कितनी बिजली उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम को दी गई।
निगमायुक्त ने बताया कि यह प्लांट पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर लगाया जाएगा। इस पर 1 करोड़ 15 लाख की अनुमानित राषि खर्च होने की सम्भावना है। नगर निगम द्वारा इस अनुमान के लिए सरकार को लिख दिया गया है, जहां से जल्द ही सिद्धांतिक मंजूरी मिल जाने की उम्मीद है। इस राषि से स्लाटर हाऊस में ई.टी.पी. के मौजूदा ढांचे के साथ-साथ जिस मषीनरी की आवष्यकता होगी, उसे भी लगाया जाएगा। उन्होने यह भी बताया कि इस प्लांट के आगामी अक्तूबर तक क्रियान्वित किए जाने का लक्ष्य रखा गया है।