कर्ण नगरी व सी एम सिटी करनाल से प्रदेश भाजपा के सामने एक अदद सवाल यह है कि आखिर करनाल संसदीय सीट से किस चेहरे को लोकसभा चुनाव में उतारा जाए ! स्थानीय नेताओं के साथ ही बाहरी नेताओं ने भी करनाल सीट में अपनी-अपनी संभावनाएं तलाश करनी शुरू कर दी है ,भाजपा स्थानीय दावेदारों की पुख्ता दावेदारी की अनदेखी नहीं कर सकती है तो साथ ही यह भी ध्यान में रख रही है कि इस सीट को कौन सा दमदार नेता जीत सकता है ,तमाम समीकरणों पर मंथन का दौर शुरू हो चुका है, हालांकि टिकट का फैसला होने में अभी लंबा वक्त है, लेकिन भागदौड़ की राजनीति शुरू हो चुकी है !
सांसद अश्विनी चोपड़ा के चुनाव लड़ने की उम्मीद बेहद कम
करनाल सांसद अश्विनी चोपड़ा के करनाल संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने की उम्मीद बेहद कम नजर आ रही हैं ! गौरतलब है की पिछले साल उन्हें कैंसर हो गया था ,जिसका वह अमेरिका में ऑपरेशन कराकर आ चुके हैं , इस समय स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं ! इसके चलते उनके चुनाव लड़ने की उम्मीद कम हुई है, इसी वजह से इस सीट से नया चेहरा तलाशने की कवायद शुरू हो चुकी है ! हालांकि सांसद चोपड़ा की पत्नी किरण चोपड़ा की दावेदारी भी जाहिर हो चुकी है, इसलिए उनको भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता मिडिया में आकर किरण चोपड़ा यह ब्यान दे चुकी है की वह करनाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगी !
हाईकमान हर दावेदार के प्लस व माइनस प्वाइंट पर करेगा विचार
हाईकमान के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वह एक संपूर्ण तौर पर जीत के समीकरण अपने पास रखने वाले दावेदार को चुने, इसके लिए जब दावेदारों का बॉयोडाटा आला नेताओं के सामने जाएगा तो उनके प्लस व माइनस प्वाइंट पर चर्चा होनी तय है ! यह बात दावेदार भी जानते हैं कि हाईकमान उनसे जुड़े हर पहलू पर गौर करेगा, लिहाजा वह अपने कमजोर पक्ष को मजबूत बनाने में जुटे हुए हैं !
23 साल से स्थानीय कार्यकर्ता भी टिकट की आस में
पिछले 23 साल से भाजपा के स्थानीय नेता टिकट की आस में है। पिछले लोकसभा चुनाव में भी उनको निराशा हाथ लगी थी। क्योंकि पार्टी ने पैराशूट उम्मीदवार अश्विनी चोपड़ा को चुनाव में उतार दिया था। अतीत में जाएं तो 1996 में पार्टी ने आइडी को टिकट दिया था और उन्होंने जीत भी दर्ज की थी। इसके बाद 1998 में दोबारा आइडी स्वामी को टिकट दिया गया। इसके बाद 1999 में फिर लोकसभा चुनाव हुए पार्टी ने स्वामी पर ही भरोसा जताया और उन्होंने पूर्व सीएम भजन लाल को हराया। 2004 व 2009 में भी स्वामी को टिकट मिली, लेकिन वह जीत नहीं पाए। 2014 में पार्टी ने उम्मीदवार बदला और अश्विनी चोपड़ा को टिकट दी। इस चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की। स्वामी को भी जब टिकट दी गई थी तो उन्हें बाहरी उम्मीदवार बताया गया था। इस लिहाज से स्थानीय कार्यकर्ता पिछले 23 साल से टिकट की आस में है।
स्थानीय नेताओं ने अपनी अपनी दावेदारी जतानी की शुरू
वही दूसरी तरफ स्थानीय नेताओं ने भी अपनी अपनी दावेदारी जतानी शुरू कर दी है। जिसमें प्रदेश JBD ग्रुप से व समाजसेवी भारत भूषण कपूर ,महामंत्री एडवोकेट वेदपाल, पूर्व उध्योग मंत्री शशि पाल मेहता ,शुगर फेड के चेयरमैन चंद्रप्रकाश कथूरिया ,पूंडरी से विधायक दिनेश कौशिक व प्रदीप पाटिल आदि ने अपनी अपनी दावेदारी जाहिर कर दी है,वही पानीपत से प्रदेश महामंत्री संजय भाटिया भी टिकट की रेस में शामिल हैं !