अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति अत्याचार निरोधक कानून को निरस्त करने की मांग को लेकर सामान्य व पिछड़ा वर्ग के लोगों ने जोरदारर विरोध प्रदर्शन किया। सैकड़ों की संख्या में लोग जाट धर्मशाला से नारेबाजी करते हुए जिला सचिवालय, जहां एसडीएम को ज्ञापन सौंपा गया।
इससे पहले जाट धर्मशाला में सभा रखी गई, जिसमें वक्ताओं ने एससी एसटी एक्ट को लेकर कड़़ा विरोध जाहिर किया। हरियाणा राजपूत प्रतिनिधि सभा के प्रदेश अध्यक्ष कर्नल देवेंद्र सिंह, जिला करनाल ब्राह्मण सभा के उपप्रधान बृजभूषण कोयर, जाट महासभा करनाल के प्रधान जोगिंद्र सिंह लाठर, गुर्जर सभा करनाल के अध्यक्ष श्याम लाल गुर्जर, वैश्य सभा करनाल के अध्यक्ष रमेश जिंदल, कश्यप सभा के प्रधान जयभगवान कश्यप, ड. राम सिंह कश्यप, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के प्रधान दलबीर सिंह सहित पंजाबी सभा से आए प्रतिनिधियों ने अपने विचार रखे।
वक्ताओं ने कहा कि अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति अत्याचार निरोधक कानून सरकार ने जिस स्वरूप मे लोकसभा व राज्यसभा में पास करा कर राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित कराया है वह संविधान की मूल अवधारणा के विरूद्ध है। इससे सामान्य व पिछड़ा वर्ग के समानता के अधिकार का हनन होगा।
उन्होंने कहा कि इस कानून के तहत अगर कोई झूठा मुकदमा दर्ज करवाता है तो उसके खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने 20 मार्च 2018 के फैसले में न्यायसंगत फैसला किया था जो हर वर्ग के हित में था मगर सरकार ने दलित आंदोलन के डर और वोट की राजनीति करते हुए उच्चतम न्यायालय के फैसले को निरस्त कर दिया, जोकि किसी भी तरह से न्यायसंगत नहीं है।
वक्ताओं ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण प्रतिभाशाली बच्चे दूसरे देशों में जाकर नौकरी करते हैं और वहीं के होकर रह जाते हैं। हमारे देश में योग्यता का कोई मतलब नहीं रह गया। सामान्य वर्ग और पिछड़े वर्ग के लोगों ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर एससी एसटी एक्ट को जिस स्वरूप में पास किया गया है उसको निरस्त करने की मांग की है।