करनाल। एकता शक्ति पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष वीरेंद्र मराठा 24 मई को दिल्ली में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में हुड्डा निवास पर अपनी पार्टी का कांग्रेस पार्टी में विलय करेंगे। मराठा के साथ उनके हजारों कार्यकर्ता भी कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण करेंगे। यह बातें वीरेंद्र मराठा ने शहर के एक होटल में प्रैसवार्ता के दौरान कही।
इस दौरान उनके साथ एकता शक्ति पार्टी के सभी पद्धाधिकारी मौजूद रहे। वीरेंद्र मराठा ने कहा कि पार्टी के विलय के बाद 3 जून को भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में समालखा में होने वाली जनक्रांति रथयात्रा रैली में उनके समर्थक हजारों की संख्या में भाग लेंगे। मराठा ने कहा कि आज भाजपा सरकार ने सिविल वार जैसे हालात पैैदा कर दिए हैं। हर तरफ त्राहि त्राहि मची हुई है और भय व भ्रष्टाचार का बोलबाला है।
उन्होंने कहा कि आज किसान और कर्मचारी मांगों को लेकर हर रोज धरने पर हैं। निरंकुश सरकार द्वारा उनपर लाठीचार्ज करवा दिया जाता है। ऐसे समय में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस निरंकुश सरकार के खिलाफ जनक्रांति यात्रा शुरू करके आवाज उठाई। मराठा में कहा कि वर्तमान में भूूपेंद्र सिंह हुड्डा किसान नेता होने के साथ साथ व्यापारियों, मजदूर वर्ग, कर्मचारी और सर्व समाज के हितों के रक्षक के रूप में उभरें हैं।
मराठा ने कहा कि आज सवाल वर्ग या क्षेत्र का नहीं है। आज पूरा हरियाणा भाजपा के कुशासन से परेशान है। वीरेंद्र मराठा ने कहा कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में उतरी हरियाणा के हित पूरी तरह सुरक्षित हैं। मराठा ने कहा कि अब उतरी हरियाणा ने ठान लिया है कि उत्तरी हरियाणा की सभी सीटें हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस की झोली में डालेंगे।
वीरेंद्र मराठा ने कहा कि वह भूपेंद्र सिंह हुड्डा से काफी प्रभावित हैं। इसलिए उन्होंने हजारों समर्थकों सहित कांग्रेस में शामिल होने का फैसला लिया है। मराठा ने कहा कि उनके साथ एकता शक्ति पार्टी में जुुडे कुछ साथी अब दूसरी पार्टियों में चले गए थे। जोकि अब उनके साथ कांग्रेस में शामिल होंगे।
वहीं उन्होंने कहा कि उनके कई साथी आज आरएसएस के जिला स्तर के अधिकारी हैं, वो भी 24 मई को कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करेंगे। बता दें कि वीरेंद्र मराठा ने 2003 में उतरी हरियाणा का मुद्दा उठाकर एकता शक्ति पार्टी का गठन किया था।
एक दर्जन विधानसभा सीटों पर प्रभाव रखते है मराठा
मराठा के कांग्रेस में शामिल होने से जहां मराठा को इसका फायदा होगा। वहीं लगभग 1 दर्जन से भी ज्यादा विधानसभा की सीटों पर मराठा समर्थक प्रभाव डालेंगे। 2003 एकता शक्ति पार्टी के गठन से लेकर मराठा का वोटबैंक लगातार बढ़ रहा है। इसका फायदा निश्चित रूप से करनाल लोकसभा और लगभग एक दर्जन विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को मिलेगा। 2009 में मराठा ने बसपा की टिकट पर लोकसभा को चुनाव लड़ा था और दूसरा स्थान हासिल किया था। इससे कायास लगाए जा रहे हैं कि मराठा के जाने से कांग्रेस पार्टी को उतरी हरियाणा मेें एक संजीवनी अवश्य मिलेगी।
क्यों बनी थी एकता शक्ति पार्टी
वीरेंद्र मराठा ने कहा कि उन्होंने प्रशासनिक अधिकारी के पद पर रहते हुए उतरी हरियाणा की जनता के साथ हो रहे भेदभाव को देखते हुए अपने पद से इस्तीफा देकर एकता शक्ति का राजनैतिक पार्टी के रूप में अक्तूबर 2003 में गठन किया। उन दिनों हरियाणा में इनेलो व भाजपा की संयुक्त सरकार थी और तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की निरंकुश एवं क्रुर प्रवृतियों के कारण हरियाणा में हर तरफ त्राहि-त्राहि थी।
मराठा ने एकता शक्ति पार्टी बनाकर उस तानाशाही सरकार को चुनौती दी। इसके परिणामस्वरूप हरियाणा में विशेष तौर से उतरी हरियाणा में सरकारी दमन व चौटाला की तानाशाही के विरूद्ध जबरदस्त माहौल बना। 2004 के चुनाव में पार्टी ने तीन लोकसभा अंबाला, कुरूक्षेत्र व करनाल में उम्मीद्वार खड़े किए, जिन्होंने अच्छी संख्या में वोट लिए।
परिणामस्वरूप इनेलो व भाजपा के संयुक्त उम्मीद्वार हारे व कांग्रेस ने तीनों लोकसभा सीट जीत ली। फिर विधानसभा चुनाव में एकता शक्ति ने 34 उम्मीद्वार उतारे, जिनमें से चार पांच को छोड़ सभी ने 3000 से 19000 तक मत प्राप्त किए। इस चुनाव में इनेलो का सूपड़ा साफ हो गया और वह केवल 9 के आंकड़े तक सिमट गई।
कांग्रेस को अप्रत्यक्ष रूप से फायदा मिला, उसे 67 सीटें मिली और हरियाणा में चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी। बता दें कि 2009 के लोकसभा चुनाव में वीरेंद्र मराठा ने खुद करनाल लोकसभा से चुनाव लड़ा और 2 लाख 30 हजार वोट लेकर इनेलो भाजपा के संयुक्त उम्मीद्वार पूर्व गृहराज्यमंत्री आई.डी. स्वामी को तीसरे नंबर पर धकेलते हुए नंबर 2 पर पहुंचे।
जबकि कांग्रेस के अरविंद शर्मा (3 लाख 3 हजार वोट) से महज 74 हजार का अंतर रहा। वहीं 2014 के विधानसभा चुनाव मराठा ने असंध विधानसभा से लड़ा और इनेलो के उम्मीद्वार को नंबर 3 पर धकेलते हुए भाजपा प्रत्याशी से महज थोड़े से वोटों के अंतर (3000) से रह गए। हरियाणा में भाजपा की सरकार बनीं। परंतु थोड़े समय के बाद ही इस सरकार ने अपना जनविरोधी रूप दिखाना शुरू कर दिया। चारों ओर त्राहि-त्राहि मची हुई है।
कई बार हरियाणा को जलाया गया, जिस हरियाणा के भाईचारे की मिसाल विदेशों तक थी, उसे तार-तार कर दिया। आज जनता भयभीत व सहमी हुई है। सरकार ने सिविल वार जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। लोकतंत्र खतरे में है। ऐसे समय में चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा पूर्व मुख्यमंत्री हरियाणा ने इस निरंकुश व क्रुर सरकार के विरूद्ध आवाज उठाई और जनक्रांति यात्रा के माध्यम से जनजागरण अभियान की शुरूआत करके सरकार को उखाड़ फेंकने का बिगुल बजा दिया।
इसे देखते हुए उन्होंने और एकता शक्ति के साथियों (समस्त पदााधिकारियों, कार्यकारिणी सदस्य) ने निर्णय लिया कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में अपनी पार्टी (एकता शक्ति) का विलय कांग्रेस में करें व उनके साथ मिलकर इस निर्दयी सरकार को उखाड़ फैंके।
ये रहे मौजूद
इस अवसर पर पार्टी के उपप्रधान स. जीत सिंह झींडा, महासचिव पं. जयनारायण शर्मा, पूर्व विधायक रिसाल सिंह, किसान मोर्चा अध्यक्ष कृष्ण हैबतपुर, खेल एवं संास्कृतिक प्रकोष्ठ प्रभारी मा. रामकुमार पीटीआई, सचिव स. निशान सिंह च_ा, महासचिव रघुवंत कश्यप, कोषाध्यक्ष स. अजमेर सिंह, अनुसूचित जाति व पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के हरीश तंसर, मीडिया प्रभारी प्रवीन खत्री, युवा प्रदेशाध्यक्ष पवन मंजूरा, करनाल जिलाध्यक्ष एडवोकेट नरेंद्र चौधरी, पानीपत जिलाध्यक्ष राजबीर चौपड़ा, डॉ. मांगे राम, डॉ. परमाल सिंह, मेवा सिंह बस्तली सहित अन्य मौजूद रहे।