वैसाखी व डा. भीमराव अंबेडकर की जयन्ती के शुभ अवसर पर बुद्धा काॅलेज आॅफ एजूकेशन रम्बा करनाल में कार्यक्रम आयोजित किया गया। सर्वप्रथम बुद्धा काॅलेज के प्राचार्य डा. मौहम्मद रिजवान, विभागाध्यक्षा प्रीति गुणवाल ने डा. बी.आर. अम्बेडकर की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए तथा 13 अप्रेल 1919 में जलिया वाला बाग में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि दी गई।
छात्र अध्यापिका साक्षी ने छात्र-अध्यापकों को सर्वप्रथम वैसाखी के महत्व के बारे में बताया कि हिन्दू धर्म के अनुसार आज के दिन गंगा जी धरती पर अवतरित हुई थी। इसलिए आज गंगा स्नान का विशेष महत्व है, सिख धर्म के खालसा पंथ की स्थापना आज हुई थी। उत्तर भारत में आज के दिन से ही गेहूं की कटाई का आरम्भ होता है और घर में नए अनाज अर्थात् समृद्धि के आगमन पर नाच-गाने का आयोजन किया जाता है।
छात्र अध्यापिका पवनदीप ने डा. भीमराव अम्बेडकर के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनके द्वारा देश व समाज के लिए किए गए कार्यो से छात्रों को अवगत करवाया। उन्होंने छात्रों को बताया कि डा. अम्बेडकर ने अपना सारा जीवन भारतीय समाज में व्याप्त जाति व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष में बिता दिया। समाज कल्याण हेतू जीवन समर्पित करने के कारण ही उन्हें भारत के सबसे बडे सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
उन्होंने बताया कि डा. अम्बेडकर कहा करते थे, जागो, पढो और आगे बढो। बुद्धा ग्रुप के निदेशक नितेश गुप्ता ने कहा कि वे संविधान के निर्माता और दलितों के मसीहा थे। डा. अम्बेडकर ने दलितों के उत्थान के साथ ही महिलाओं के सशक्तिकरण का मूलमंत्र दे दिया था। उनका यह मूल मंत्र शिक्षा था। उन्होंने यह कहा था कि किसी समुदाय की प्रगति महिलाओं की प्रगति से आंकी जाती है। डा. अम्बेडकर आजाद भारत की सरकार में पहले कानून मंत्री बने थे।
इस अवसर पर प्राचार्य डा. मौहम्मद रिजवान ने छात्रों को बताया कि डा. अम्बेडकर 20वीं शताब्दी के श्रेष्ठ चिंतक, ओजस्वी लेखक, यशस्वी वक्ता, विधिवेता, भारत रत्न से सम्मानित प्रथम कानून मंत्री तथा भारतीय संविधान के निर्माणकर्ता के रुप में जाने जाते हैं। उनके द्वारा समाज के लिए किए गए त्याग व सुधार हमेशा विस्मरणीय रहेंगे।
महानात्मक भारतीय की फाईनल रेंकिंग में डा. अम्बेडकर प्रथम स्थान पर रहे जोकि उनकी लोकप्रियता और योगदान बताने के लिए काफी है। उन्होंने कहा डा. अम्बेडकर का सबसे बडा योगदान देश का संविधान निर्माण कर लोकतंत्र को मजबूत आधार देना है। इस अवसर पर सभी शिक्षक-प्रशिक्षक, भावी अध्यापक व कर्मचारी उपस्थित रहे।
प्राचार्य