करनाल जिले में आज बिजली विभाग के कर्मचारियों ने अपनी लंबित मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। हरियाणा स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (एचएसईबी) वर्कर यूनियन के बैनर तले आयोजित इस जिला स्तरीय प्रदर्शन में जिले भर के विभिन्न उप-मंडलों और हलकों से कर्मचारी एकत्रित हुए। बिजली कार्यालय के बाहर भारी संख्या में जुटे इन कर्मचारियों ने सरकार और विभाग की नीतियों के विरोध में जमकर नारेबाजी की।
प्रदर्शन का मुख्य केंद्र बिंदु सरकार द्वारा लागू की गई ‘ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी’ रही। यूनियन के नेताओं और पदाधिकारियों ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह नीति बिजली विभाग के तकनीकी और फील्ड कर्मचारियों के लिए अत्यंत अव्यावहारिक और खतरनाक है। यूनियन के जिला प्रधान देवेंद्र शर्मा ने बताया कि बिजली विभाग का कार्य अन्य विभागों, जैसे शिक्षा विभाग, से बिल्कुल भिन्न है। उन्होंने तर्क दिया कि लाइनमैन और अन्य फील्ड स्टाफ को बिजली की लाइनों पर चढ़कर काम करना होता है। जब किसी कर्मचारी का तबादला किसी नए और अपरिचित क्षेत्र में कर दिया जाता है, तो उसे वहां की विद्युत लाइनों और ग्रिड की बारीकियों का पता नहीं होता। ऐसी स्थिति में कार्य करना न केवल कर्मचारी के जीवन के लिए जोखिम भरा है, बल्कि इससे आम जनता की सुरक्षा और विद्युत आपूर्ति में भी बाधा उत्पन्न हो सकती है।
ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी के अलावा, कर्मचारी संघ ने कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे भी उठाए। इनमें रिस्क अलाउंस की मांग, समान काम के लिए समान वेतन, और कच्चे कर्मचारियों (एचकेआरएन) को विभाग के पक्के ढांचे में वापस लेने जैसी मांगें प्रमुख थीं। कर्मचारियों ने एक बार फिर पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को बहाल करने की अपनी पुरानी मांग को दोहराया।
प्रदर्शन के दौरान यह जानकारी दी गई कि यह विरोध प्रदर्शन एक चरणबद्ध आंदोलन का हिस्सा है। इससे पहले सर्कल और यूनिट स्तर पर गेट मीटिंग और प्रदर्शन किए जा चुके हैं। आज के जिला स्तरीय प्रदर्शन के माध्यम से कर्मचारियों ने अधीक्षण अभियंता (एसई) को एक ज्ञापन सौंपा, जो प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव (पावर) को भेजा जाना है।
यूनियन के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने उनकी जायज मांगों पर शीघ्र संज्ञान नहीं लिया और ऑनलाइन ट्रांसफर पॉलिसी को वापस नहीं लिया, तो वे अपने आंदोलन को और तेज करेंगे। इस कड़ी में आगामी 30 दिसंबर को पंचकूला स्थित मुख्यालय पर राज्य स्तरीय बड़ा प्रदर्शन करने की तैयारी की जा रही है।
कर्मचारियों का कहना है कि वे किसी भी स्थिति में अपनी सुरक्षा और अधिकारों के साथ समझौता नहीं करेंगे और आवश्यकता पड़ने पर प्रदेश में पूर्ण हड़ताल या ‘ब्लैकआउट’ जैसा सख्त कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटेंगे। फिलहाल, दो घंटे की सांकेतिक गेट मीटिंग के बाद कर्मचारी वापस अपने काम पर लौट गए, लेकिन तनाव और असंतोष की स्थिति बरकरार है।