करनाल के घरौंडा इलाके में दिल्ली-चंडीगढ़ नेशनल हाईवे पर बीती रात हरियाणा रोडवेज की एक तेज रफ्तार बस ने कहर बरपाया। सड़क के किनारे खड़े दो युवकों को इस बस ने इतनी बेरहमी से कुचला कि दोनों की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। इस घटना ने एक बार फिर हरियाणा रोडवेज की कार्यप्रणाली और यात्रियों व राहगीरों की सुरक्षा पर गंभीर सवालिया निशान लगा दिए हैं। एक ही सप्ताह के भीतर करनाल जिले में रोडवेज बस से जुड़ा यह तीसरा बड़ा हादसा है।
हादसे के बाद गुस्साई भीड़ ने बस को घेर लिया और अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए बस के शीशे तोड़ दिए। यदि पुलिस समय पर मौके पर पहुंचकर बस को अपने कब्जे में न लेती, तो स्थिति और भी हिंसक हो सकती थी। घटना के तुरंत बाद बस का चालक और परिचालक मौके से फरार हो गए, जो उनकी गैर-जिम्मेवारी को और अधिक स्पष्ट करता है। चश्मदीदों का कहना है कि बस शहर के नीचे वाले मार्ग से जा रही थी, फिर भी इसकी रफ्तार इतनी अधिक थी कि चालक ने किनारे खड़े युवकों को संभलने का मौका तक नहीं दिया।
इस पूरे घटनाक्रम में ‘किलोमीटर स्कीम’ के तहत चलने वाली बसों की भूमिका संदेह के घेरे में है। विभाग के सूत्रों और घरौंडा बस स्टैंड के इंचार्ज के अनुसार, अधिकतर हादसों में वे बसें शामिल होती हैं जो किलोमीटर स्कीम के तहत अनुबंधित हैं। इन बसों के चालक अक्सर पक्के सरकारी कर्मचारी नहीं होते और कम अनुभवी या अनप्रशिक्षित होते हैं। अधिक किलोमीटर पूरे करने के लालच और समय सीमा के दबाव में ये चालक बसों को ‘हवाई जहाज’ की तरह हाईवे पर दौड़ाते हैं, जिससे बेगुनाह लोगों की जान जोखिम में पड़ रही है।
परिवहन मंत्री के हालिया निर्देशों के बावजूद, जिसमें कोहरे और धुंध के दौरान बसों की गति सीमा 60 किलोमीटर प्रति घंटा निर्धारित की गई थी, धरातल पर स्थिति इसके बिल्कुल विपरीत है। हाईवे पर ये बसें 100 से 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती देखी जा सकती हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि रोडवेज के चालक अब रक्षक के बजाय भक्षक की भूमिका में नजर आ रहे हैं।
इस हादसे ने दो परिवारों के चिराग बुझा दिए हैं, जिससे पूरे क्षेत्र में मातम और गुस्से का माहौल है। पुलिस ने फिलहाल बस को कब्जे में लेकर कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम जनता ने सरकार से मांग की है कि किलोमीटर स्कीम जैसे असुरक्षित सिस्टम पर लगाम लगाई जाए और केवल अनुभवी व जिम्मेवार चालकों को ही रोडवेज बसों की कमान सौंपी जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की जानलेवा घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।