हरियाणा के करनाल जिले में स्थित सहकारी चीनी मिल ने अपनी कार्यप्रणाली में बड़े बदलाव करते हुए किसानों के लिए गन्ने की तुलाई और अनलोडिंग की प्रक्रिया को बेहद सुगम बना दिया है। कभी घंटों और दिनों तक मिल के बाहर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की लंबी कतारों में इंतजार करने वाले किसानों को अब ऑनलाइन टोकन प्रणाली के कारण बड़ी राहत मिली है। अब किसान केवल आवंटित समय पर ही मिल पहुँचते हैं और मात्र दो से तीन घंटे के भीतर अपनी ट्रॉलियां खाली कर वापस घर लौट जाते हैं।
करनाल शुगर मिल की प्रबंध निदेशक (एमडी) अदिति ने मिल का दौरा कर व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि पहले केवल कैलेंडर ऑनलाइन था, लेकिन अब टोकन सिस्टम भी पूरी तरह डिजिटल कर दिया गया है। इससे मिल के बाहर लगने वाले जाम की समस्या पूरी तरह समाप्त हो गई है। उन्होंने यह भी साझा किया कि मिल अब अपनी पूरी क्षमता, यानी 35,000 क्विंटल प्रतिदिन गन्ने की पेराई कर रही है और इसे तकनीकी दक्षता के लिए राष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मानित किया जा चुका है।
मिल में आए किसानों ने नई व्यवस्था पर संतोष व्यक्त किया है। किसानों का कहना है कि पहले उन्हें कड़ाके की ठंड में दो-दो दिनों तक मिल के बाहर रुकना पड़ता था, लेकिन अब वे घर से चाय पीकर चलते हैं और तुलाई कराकर वापस घर पहुँचकर ही अगली चाय पीते हैं। मिल प्रशासन ने किसानों के विश्राम के लिए विश्राम गृह और कैंटीन की भी व्यवस्था की है, हालांकि अब त्वरित प्रक्रिया के कारण विश्राम गृहों की आवश्यकता भी कम हो गई है।
भुगतान के संबंध में एमडी ने जानकारी दी कि अब तक किसानों को लगभग 10 करोड़ रुपये की पेमेंट की जा चुकी है और सरकार द्वारा निर्धारित 14 दिनों की समय सीमा से पहले ही, यानी 10 दिनों के भीतर भुगतान सुनिश्चित किया जा रहा है। वर्तमान में अगेती किस्म के गन्ने के लिए 415 रुपये और अन्य किस्मों के लिए 405 रुपये प्रति क्विंटल का मूल्य दिया जा रहा है। आधुनिक मशीनों और बेहतर प्रबंधन के कारण करनाल शुगर मिल अब किसानों के लिए न केवल गन्ने की खपत का केंद्र बन गई है, बल्कि उनकी सुविधाओं का भी पूरा ध्यान रख रही है।