करनाल। राष्ट्रीय लोक अदालत के दौरान बिजली के बिल माफ किए जाने की सोशल मीडिया पर फैली अफवाहों के चलते करनाल कोर्ट में हजारों लोगों की भीड़ जमा हो गई, जिससे अफरा-तफरी का माहौल बन गया। इस मामले पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) डॉ. इरम हसन ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए लोगों से अपील की है कि वे सोशल मीडिया की हर खबर पर विश्वास न करें और केवल आधिकारिक जानकारी पर भरोसा करें।
बिजली बिल माफ़ी की खबर झूठी
डॉ. इरम हसन ने साफ किया कि लोक अदालत में बिजली के बिल माफ करने जैसी कोई घोषणा नहीं की गई थी, और न ही यह लोक अदालत के कार्यक्षेत्र में आता है। उन्होंने कहा कि अगर किसी को इस तरह की जानकारी कहीं से मिली है तो वह पूरी तरह से गलत है।
CJM ने लोगों से गुजारिश की कि वे सोशल मीडिया पर प्रसारित हर खबर को सही न मानें। उन्होंने कहा कि गलत सूचना के कारण लोग घबरा जाते हैं और हजारों की संख्या में कोर्ट कार्यालय पहुंच जाते हैं। डॉ. हसन ने बताया कि आज भी (13 दिसंबर 2025) ऐसे ही हजारों लोग यह सुनकर कोर्ट आ गए थे कि उनका बिजली का बिल माफ होगा, लेकिन उन्हें अंततः निराश लौटना पड़ा।
उन्होंने फेक न्यूज बनाने वालों को भी चेतावनी दी और कहा कि वे कोई भी खबर बनाने से पहले संबंधित विभाग में जाकर योजना की पुष्टि कर लें। उन्होंने कहा कि गलत जानकारी फैलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।
लोक अदालत का कार्यक्षेत्र और सही प्रक्रिया
- डॉ. इरम हसन ने राष्ट्रीय लोक अदालत के वास्तविक उद्देश्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी, दिल्ली और हरियाणा स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी, पंचकूला के नेतृत्व में हर साल चार राष्ट्रीय लोक अदालतें लगाई जाती हैं। इस दौरान मुख्य रूप से दो तरह के मामलों का निपटारा किया जाता है: कोर्ट में लंबित मामले (Pending Cases): जैसे पारिवारिक विवाद (तलाक, भरण-पोषण), ज़मीन-जायदाद के झगड़े, कंपाउंडेबल आपराधिक मामले, नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट के चेक बाउंसिंग के केस, और बैंकों के रिकवरी सूट्स।
- ट्रैफिक चालान।
डॉ. हसन ने स्पष्ट किया कि लोक अदालत में चालान या लंबित मामलों का भुगतान/निपटारा कराने के लिए एक निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है।
चालान और केस निपटारे की सही प्रक्रिया:
- लोगों को लोक अदालत की तिथि से 10-15 दिन पहले कोर्ट के ई-सेवा केंद्र में एक आवेदन देना होगा।
- आवेदन में यह बताना होगा कि वे अपने चालान या लंबित मामले का निपटारा लोक अदालत में कराना चाहते हैं।
- इस आवेदन के बाद ही पुलिस विभाग से चालान को कोर्ट में मंगाया जाता है, या केस को सुनवाई के लिए लिस्ट किया जाता है ।
- सीधे लोक अदालत के दिन हजारों की संख्या में कोर्ट पहुंचने से कोई लाभ नहीं होता, क्योंकि चालान/केस की लिस्टिंग के बिना भुगतान मुश्किल होता है।
एक महिला ने अपनी घरेलू विवाद के निपटारे के लिए कोर्ट पहुंचने पर अपना अनुभव साझा किया, जहां सुबह से लाइन में लगने के बाद भी उनका नंबर नहीं आया। CJM ने इस बात पर ज़ोर दिया कि बिना आवेदन दिए सीधे कोर्ट आने पर परेशानी ही होगी ।
अगली लोक अदालत की तारीख
जिन लोगों के चालान या मामले आज की लोक अदालत में निपटारे के लिए सूचीबद्ध नहीं हो पाए, उनके लिए महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया गया कि अगली राष्ट्रीय लोक अदालत 14 मार्च 2026 को आयोजित की जाएगी। इच्छुक लोग जनवरी या फरवरी 2026 में ही कोर्ट के ई-सेवा केंद्र में आवश्यक आवेदन जमा कर सकते हैं ताकि उनके चालान या मामले अगली लोक अदालत के लिए समय पर मंगा लिए जाएं और उन्हें राहत मिल सके।