करनाल में आयोजित लोक अदालत के दौरान ट्रैफिक चालान निपटाने पहुंचे लोगों ने प्रक्रिया को लेकर अव्यवस्था और जानकारी की कमी का आरोप लगाते हुए नाराजगी जताई।
मौके पर मौजूद लोगों का कहना था कि लोक अदालत में कम जुर्माने पर चालान निपटाने की उम्मीद लेकर वे पहुंचे थे, लेकिन टोकन/फॉर्म और नाम लिस्ट में आने की शर्तों की स्पष्ट जानकारी न होने से कई लोगों को लौटना पड़ा।
स्थानीय लोगों ने बताया कि बड़ी संख्या में दोपहिया और अन्य वाहनों के चालान लंबित हैं और कुछ चालान 13 हजार, 15 हजार, 20 हजार तक बताए गए।
कई लोगों ने प्रदूषण प्रमाणपत्र, बीमा और हेलमेट जैसी कमियों के कारण चालान कटने की बात कही, वहीं कुछ ने यह भी कहा कि आपात स्थिति में नियम टूटने पर भारी चालान से आम आदमी पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है।
मौके पर बहस का प्रमुख कारण यह रहा कि लोक अदालत में चालान निपटाने के लिए पहले से आवेदन/फॉर्म जमा करने और सूची में नाम आने जैसी औपचारिकताएं जरूरी बताई गईं, जबकि कई लोगों का दावा था कि उन्हें यह प्रक्रिया समय रहते नहीं बताई गई।
कुछ नागरिकों ने पुलिस द्वारा वाहन इंपाउंड करने और दस्तावेजों को मौके पर ठीक से न देखने जैसे आरोप भी लगाए, वहीं दूसरे पक्ष की ओर से यह तर्क रखा गया कि सीमित समय में सभी मामलों का निपटारा संभव नहीं होता और अदालत/प्रशासन तय प्रक्रिया के अनुसार ही काम करता है।
लोगों की मांग है कि दोपहिया और मध्यम श्रेणी के चालानों के लिए 3–4 दिन की विशेष लोक अदालत/विशेष काउंटर जैसी व्यवस्था की जाए, ताकि लोग मौके पर ही फॉर्म भरकर और सही जानकारी लेकर कम जुर्माने में चालान निपटा सकें।
साथ ही नागरिकों से अपील भी सामने आई कि प्रदूषण, बीमा और अन्य दस्तावेज समय पर अपडेट रखें, ताकि ऑनलाइन जांच के आधार पर चालान कटने जैसी स्थिति से बचा जा सके।