आर्य केन्द्रीय सभा करनाल द्वारा 10 फरवरी से 13 फरवरी तक मनाए जा रहे महर्षि दयानन्द जन्मोत्सव एवं बोधोसत्व का समापन
बहुत ही हर्षोल्लास के साथ हुआ। कार्यक्रम का प्रारम्भ प्रात: 8 बजे यज्ञ के साथ हुआ। इसके उपरान्त भजनोउपदेश रामपाल जी ने अपने मधुर ऋषिभक्ति के भजनों से समां बांध दिया। यज के ब्रह्मा आचार्य जयेन्द्र जी ने उपस्थित सभी आर्यजनों को आशीर्वाद प्रदान किया और अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि महर्षि स्वामी दयानन्द के उपकारों को हम कभी नहीं भुला सकते। वो ऐसे युग पुरुष थे जिन्होंने समाज के उदर के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। वे अगर आचार्य जयेन्द्र है तो स्वामी जी की वजह से ही हैं।
महर्षि दयानन्द जिस दिन पैदा हुए थे वह दिन ही उनके जीवन का सबसे बड़ा दिन होता है और वह अपना जन्मदिन उसी दिन ही मनाते हैं। आज के दिन ही स्वामी दयानन्द जी को सच्चे परमात्मा का बोध प्राप्त हुआ था। मुख्य वक्ता स्वामी सम्पूर्णानन्द ने कहा कि आज समाज को गुरुकुल प्रणाली की बहुत आवश्यकता है और जब तक हम वेदों के प्रचारक और ज्ञाता पैदा नहीं करेंगे तब तक हम भारत वर्ष को नई दिशा कैसे प्राप्त करा सकेंगे। कार्यक्रम अध्यक्ष चौ. लाजपतराय ने चौ. सम्पूर्णानन्द की बात का समर्थन करते हुए कहा कि हम सबका यह कर्तव्य बनता है कि हम गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को अपना पूर्ण सहयोग अपने बच्चों को गुरुकुलों में भेज कर दे सकते हैं।
विशेष आमंत्रित अतिथि रेनूबाला गुप्ता मेयर करनाल ने उपस्थित जनसमूह को ऋषि जन्मोत्सव व बोधोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं दी और कहा कि आज समाज में नारी जाति को जो सम्मान प्राप्त है उसकी अलख स्वामी दयानन्द ने ही जगाई थी। आर्य केंद्रीय सभा करनाल के प्रधान आनन्द सिंह आर्य ने उपस्थित सभी आर्यजनों को इस कार्यक्रमों के सफल आयोजन के लिए धन्यवाद दिया। इस अवसर पर निकाली गई शोभा यात्रा में भाग लेने वाले आर्य समाजों की झांकियों एवं स्कूलों के बच्चों की प्रतियोगिता के पारितोषिक बांटे गए। इस अवसर पर विशेष रूप से स्वामी प्रेममूर्ति, नरेश बराना, ईलम सिंह, वेद आर्य, सत्येन्द्र मोहन कुमार, शांति प्रकाश आर्य, जे.आर. कालड़ा, संजय बत्तरा, आर.एन.चान्दना आदि मौजूद रहे।