करनाल/कीर्ति कथूरिया : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेक्टर सात सेवा केंद्र की ओर से मातेश्वरी जगदंबा मां का स्मृति दिवस श्रद्धाभाव से मनाया गया। राजयोगिनी प्रेम दीदी ने कहा कि जगदंबा मां का जन्म अमृतसर में हुआ। उनका लालन पालन सिंध हैदराबाद पाकिस्तान में हुआ।
1936 में ब्रह्माकुमारीज की ओम मंडली के संपर्क में आई। परमात्मा पिता को पहचान अपने जीवन को सेवार्थ समर्पण कर दिया। वह कहा करती थी कि हर घड़ी को अंतिम घड़ी समझना चाहिए। उन्हें प्यार से बड़े छोटे सब मम्मा कहते थे। वो पढ़ाई में बहुत होशियार व गीत संगीत की कला में निपुण थी।
वो रेग्युलर, पंक्चुअल व एकाग्रचित थी। वे हमेशा कम, मीठा और सोच समझकर बोलती थी। वह कहती थी कि हमें गुणवान बनना है। सबके गुण देखने है। गुणदान करने हैं और धारणामूर्त होकर रहना है। उनमें मधुरता, हर्षितमुखता, निर्भयता, निअहंकारिता, सहनशीलता, परोपकारिता, संतुष्टता, विनम्रता, धैर्यता व गंभीरता आदि गुण भरपूर थे।
रात्रि दो बजे उठरक वह ध्यान साधना मेडिटेशन के द्वारा सारे विश्व की आत्माओं को शांति का दान देती थी। श्रद्धांजलि दिवस पर सभी ब्रह्म वत्सों ने जगदंबा मां को भावभीनी श्रद्धांजलि व पुष्पांजलि अर्पित की।
इस मौके पर डा. एनके महानी, ऋषिराज शर्मा, ओमप्रकाश, कैप्टन आरके राणा, पवन मिश्रा, नदीम अंसारी, केके खन्ना, सुरेश गोयल, संजीव चुटानी, रामनिवास गर्ग, सुनीता मदान, छवि चौधरी, गायत्री देसवाल, विमल मैहता, बीके शिखा, शिविका, आरती, सारिका व रितेश विज मौजूद रहे। अंत में प्रभु प्रसाद बांटा गया।