November 16, 2024

करनाल/कीर्ति कथूरिया : आज दिनांक 23 सितम्बर 2023 को श्री दिगम्बर जैन मन्दिर जी करनाल में सत्य धर्म की उपासना के लिए प.पू. क्षुल्लक श्री प्रज्ञांश सागर जी ने विद्वान पंडित व कवि श्री द्यानतराय जी को उद्दत करते हुए कहा-

‘‘उत्तम सत्य-वरत पालीजै, पर विश्वासघात नहिं कीजै।
सांचे-झूठे मानुष देखो, आपन-पूत स्वपास न देखो।।’’

क्षुल्लक जी ने बताया- जैसा देखा-सुना गया हो, वैसा का वैसा कह देना लोक में ‘सत्य’ कहा जाता है। लेकिन यह उत्तम सत्य हो ऐसा आवश्यक नहीं है। स्व-पर-हित का ध्यान रखकर की जाने वाली मन, वचन, काय की क्रिया सत्य है।

सत्य वचन हितकारी भी हों और मीठे भी होने चाहिए। दृष्टांत देते हुए बताया कि जंगल में एक मुनि तपस्या कर रहे थे कि अचानक जोर-जोर से लोगों की आवाज़ आई पकड़ो भागने न पाये। इस कोलाहल से मुनि जी की आंख खुली तो देखा उनके सामने से एक गाय और बछड़ा भाग कर आगे निकल गया।

मुनि जी को समझने में देर नहीं लगी कि इनको पकडऩे के लिए पीछे कसाई आ रहे हैं। वे तुरंत खड़े हो गये और इतनी ही देर में वे कसाई भी वहां पहुंच गए और मुनि जी से पूछने लगे कि यहां से कोई गाय और बछड़ा निकल कर गया है क्या? मुनि जी ने कहा ‘‘जब से में खड़ा हूँ तब से तो कोई गाय अथवा बछड़ा यहां से नहीं निकला है।’’

वे सभी कसाई पीछे लौट गये और वहीं गाय और बछड़े को जंंगल में ढूंढऩे लग गये। इस प्रकार निर्दोष प्राणियों को जीवनदान मिल गया। इसे ही परम सत्य कहा जाता है। इसी प्रकार यदि कोई व्यक्ति मुझ से आपकी चुगली करता हो और आप पीछे मुझ से पूछें कि वह व्यक्ति आपसे क्या कह रहा था, तो उस समय जो कुछ चुगली के शब्द उसने मुझसे कहे थे वे ज्यों के त्यों आपको बता देना यहां शान्ति मार्ग में सत्य नहीं है ‘असत्य’ है। अत: ध्यान रहे स्वपर-हितकारी, परिमित तथा मिष्टवचन ही सत्य है और इसके विपरीत असत्य होता है।

आज प्रात: पुरुष वर्ग ने देवों का रूप मुकुट धारण कर भगवान का अभिषेक, शांतिधारा व पूजा भक्ति की तथा स्त्री वर्ग ने भगवान के ऊपर ढोरने के लिए हाथों में छत्र लिए व चंवर डुलाकर भगवान की भक्ति की व विश्व मंगल की भावना भायी।

‘‘मंगलमूर्ति परमपद, पंच धरौ नित ध्यान।
हरो अमंगल विश्व का, मंगलमय भगवान।।’’
आज पुष्पदंत भगवान के मोक्ष कल्याणक के शुभ अवसर पर भगवान को सामूहिक रूप से निर्वाण लाडू भी चढ़ाया गया।

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