करनाल/कीर्ति कथूरिया : आज दिनांक 19.09.2023 को श्री दिगम्बर जैन मंदिर जी करनाल में पर्यूषण पर्व जिसे दस लक्षण महापर्व भी कहते हैं के प्रथम दिवस को उत्तम क्षमा के रूप में अति भव्यता के साथ मनाया गया। कहा भी गया है ‘‘क्रोध प्रीति को नष्ट करता है और मान विनय को, माया मैत्री को नष्ट करती है और लोभ सर्व-विनाशक है।
’’ प.पू. क्षुल्लक श्री प्रज्ञांश सागर जी महाराज के सानिध्य में आज की पूजा भक्ति में सभी भक्तजनों की भावना रही। ‘‘मैं सब जीवों को क्षमा करता हूँ, सर्व जीव भी मुझे क्षमा करें। मेरा उनके प्रति मैत्री का भाव है और किसी के साथ भी मुझे वैर नहीं है।’’ क्षुल्लक श्री ने बताया कि यदि कोई आपको क्षति पहुंचाये तो उससे बदला लेने का विचार न करके अपने उत्तम व्यवहार से उसे बदलने की प्रेरणा दें।
आगम व शास्त्रों में बताया गया है कि असली क्षमा वह है जिसमें द्वेष का नाम न हो। भारत के वीरों का यही आदर्श रहा है। भगवान राम ने रावण पर चढ़ाई की, परन्तु अन्तिम समय तक यही प्रयत्न करते रहे कि किसी प्रकार युुद्ध न करना पड़े तो ठीक। पृथ्वीराज महान योद्धा व वीर था, क्षमा उसका भूषण था, उसे अपनी बात पर विश्वास था, वह जानता था कि ‘‘क्षमा वीरस्य भूषणम’’।
इसी प्रकार सच्चे साधु क्षमा धर्म का पालन करते हैं। महान योगी ऋद्धियों के धारी होते हैं। वे भले ही शरीर से निर्बल दिखते हों लेकिन उनका आत्मबल अतुल होता है। वे चाहें तो एक दृष्टि में भस्म कर दें लेकिन सच्चे योगी कभी ऐसा नहीं करते, अज्ञानीजन के उपसर्ग को क्षमाभाव से सहन करते हैं।
इन्हीं भावनाओं के साथ आज प्रात: भगवान का अभिषेक व शान्तिधारा करने के उपरान्त भगवान को श्री विरेश जैन अध्यक्ष, श्री दिगम्बर जैन सोसाईटी के द्वारा समोशरण में विराजमान किया गया।
इस समोशरण की रचना देवजन करते हैं जिसमें सभी जीव पशु-पक्षी, सिंह-हाथी, मेढक़ व अन्य सभी जीव मनुष्यों के साथ बैठकर भगवान की दिव्यवाणी का श्रवण करते हैं। भगवान उनकी शंकाओं का समाधान करते हैं। इसी आशय से समोशरण में आज लगभग 60 लोगों ने पूजा भक्ति करने का सौभाग्य अर्जित किया।