(मालक सिंह) नवदीप ने बताया कि उनकी जिंदगी में क्रिकेट को उभारने की शुरुआत सुमित भैया (सुमित नरवाल) ने की. करनाल के क्रिकेटर सुमित नरवाल दिल्ली से ही रणजी ट्रॉफी खेलते हैं. नवदीप बताते हैं कि, ”उन्होंने करनाल में ही करनाल प्रीमियर लीग करवाई थी. उसका चार्ज 400 रुपए था. ये 400 रुपए उस लीग के ट्रायल की फीस थी. वो फीस अपने पापा से घर से बहुत बहस करके पैसे लिए. मैंने वो ट्रायल दिया और मैं स्लेक्ट हो गया
गेंदबाज नवदीप बताते हैं, ”पहले साल जब मैं लीग में खेला तो मेरा परफॉर्मेंस देखकर सुमित भैया काफी इंप्रेस हुए. तब उन्होंने मुझे कहा कि, तुममें कुछ बात है और तो ऊपर तक जा सकता है. तुम्हें क्रिकेट खेलना चाहिए. सच बताऊं तो मुझे तब भी यकीन नहीं हुआ था. मुझे तब तक यही लगता था कि सिर्फ पैसे देकर ही क्रिकेट खेला जा सकता है. अगले साल फिर वही लीग हुई और मैं फिर से खेला. उन्होंने मुझे आगे भी खेलने के लिए कहा. इसके बाद मैंने उन्हें सच बता दिया कि मैं और मेरा परिवार अकेडमी और लीग का खर्चा नहीं उठा सकता.”
ऐसे तय किया रणजी का सफर
नवदीप की आर्थिक स्थिति जानने के बाद सुमित नरवाल उनकी मदद के लिए आगे आए. नवदीप कहते हैं, ”तब सुमित भैया ने मुझे बोला कि करनाल में एक स्टेडियम है, जिसका नाम कर्ण स्टेडियम है. उन्होंने कहा कि हम लोग यहां प्रैक्टिस करते हैं तो तुम यहां आ सकते हो. और यहां कोई फीस या पैसे नहीं लगते हैं. यह बात लगभग सात साल पहले की है.”
इसके बाद नवदीप सैनी वहां प्रैक्टिस के लिए जाने लगे. नवदीप कहते हैं, ”बस यहीं से क्रिकेट की दुनिया में मेरे आगे बढ़ने का सफर शुरू हुआ. इस दौरान वहां रणजी मैच भी होते थे. रणजी मैचों के दौरान 10 दिन का ब्रेक मिलता है. तब वहां खिलाड़ी नेट प्रैक्टिस करते हैं. यहां बल्लेबाजों को अपनी प्रैक्टिस के लिए गेंदबाजों की जरूरत होती है.
इंटरनेशनल क्रिकेटरों को देखने की थी ललक
नवदीप आगे कहते हैं, “सुमित नरवाल भैया ने मुझसे कहा कि उन्हें प्रैक्टिस के लिए गेंदबाजों की जरूरत है. मैंने तो कभी बड़े-बड़े खिलाड़ी देखे नहीं थे. तो बस मैं यह सोच के लिए खुश हो गया था कि मुझे यहां अंतरराष्ट्रीय लेवल के खिलाड़ी देखने को मिलेंगे. मुझे बस यह देखना था कि आखिर ये इंटरनेशनल प्लेयर कैसे दिखते हैं, क्योंकि पहले उन्हें सामने से कभी नहीं देखा था. हमेशा टेलीविजन पर ही अंतरराष्ट्रीय लेवल के खिलाड़ियों को देखा था तो उनसे मिलने और उन्हें देखने का ही बहुत ज्यादा एक्साइटमेंट था.”
टीम इंडिया को कुछ ही दिनों बाद तेज गेंदबाजों के अनुकूल मानी जाने वाली दक्षिण अफ्रीकी धरती पर खेलना है. ऐसे में उसे चार बेहतरीन तेज गेंदबाजों की दरकार है. इनमें से दो स्थानों पर भुवनेश्वर कुमार और जसप्रीत बुमराह काबिज हैं, लेकिन अन्य दो स्थान अभी भी पूरी तरह भरे नहीं हैं. उमेश यादव और ईशांत शर्मा टीम में तो आते रहे हैं, लेकिन इनके प्रदर्शन में निरंतरता की कमी देखी गई है. ऐसे में टीम इंडिया को एक ऐसे तेज गेंदबाज की तलाश है, जो भुवी और बुमराह को तेजी के साथ-साथ सटीक लाइन-लैंथ से पूरा सहयोग दे सके. यह तलाश 140 किलोमीटर से भी अधिक रफ्तार से गेंदबाजी करने वाले हरियाणा के उभरते युवा गेंदबाज नवदीप सैनी के रूप में पूरी हो सकती है. रफ्तार के साथ ही नवदीप इन और आउट स्विंग दोनों में बराबर की महारत रखते हैं.
गौतम गंभीर ने पहचाना टैलेंट
इस तरह नवदीप रणजी खिलाड़ियों को प्रैक्टिस करवाने के लिए नेट गेंदबाज के तौर पर आए. उन्होंने बताया, ”फिर मैंने उन खिलाड़ियों को बॉ़लिंग करनी शुरू हुई. तब वहां गौतम गंभीर ने मुझे पहली बार देखा. उन्होंने मुझसे मेरे बारे में पूछा कि मैं कहां से हूं, कहां के लिए खेलता हूं, कौन सी अकेडमी में जाता हूं. तब मैंने उन्हें बताया कि मैं किसी अकेडमी में नहीं जाता हूं. मैंने कोई ट्रेनिंग नहीं ली है. इसके बाद उन्होंने मुझे अपना नंबर दिया और मेरा नंबर लिया. तब उन्होंने कहा कि अब जब भी प्रैक्टिस होगी. मैं तुम्हें फोन करुंगा और जब भी प्रैक्टिस होगी. तुम्हें आना होगा और इस तरह मैं प्रैक्टिस में जाने लगा और नेट बॉलिंग करने लगा. इसके बाद में 5-6 बार प्रैक्टिस में गया और एक दिन मेरा नाम टीम में आ गया.”
नवदीप कहते हैं, ”जब मेरा नाम टीम में आया तो सभी इसका विरोध करने लगे. सभी को लगने लगा कि मैं दिल्ली से बाहर का हूं, हरियाणा का हूं. मैं दिल्ली की टीम में कैसे खेल सकता हूं. दिल्ली के लड़कों का मौका छीन कर एक हरियाणा के लड़के को दिया जा रहा है. दिल्ली में काफी खेलने वाले लड़के हैं, उन सभी को दरकिनार कर एक हरियाणा के लड़के को प्राथमिकता दी जा रही है. सभी कहने लगे कि आप इस तरह से दिल्ली के बाहर के किसी लड़के को नहीं खिला सकते है.”
सपोर्ट में आए गौतम गंभीर
नवदीप बताते हैं कि ऐसे में गौतम भैया मेरे साथ खड़े हुए और मेरे लिए सभी से लड़े. वह कहते हैं, ”गौतम भैया ने सब से लड़कर मुझे टीम में जगह दिलवाई और इस तरह मुझे पहला मौका मिला. ऐसे में मुझ पर बहुत प्रेशर था कि मैं दिल्ली से बाहर का हूं. एक छोटी सी जगह का हूं और इतने बड़े खिलाड़ी ने सबसे लड़कर मुझे मौका दिलाया है. ऐसे में मुझ पर खुद को साबित करने का दबाव था. प्रेशर था कि जिन्होंने मुझे मौका दिया है उन्हें मैं अच्छा करके दिखाऊं और बताऊं कि उन्होंने गलत फैसला नहीं लिया है.”
उन्होंने बताया, ”जब मैं टीम में आ गया तो सभी सीनियर्स और साथियों ने मुझे सपोर्ट किया. गौतम भैया, सहवाग भैया सभी ने मेरा साथ दिया. मुझे सपोर्ट किया. सबने मेरी मदद की, मुझे सिखाया कि मुझे कैसे खेलना है. सभी मुझे आगे बढ़ने के लिए और मेहनत करने के लिए सपोर्ट करते थे तो मेरे लिए यह एक बहुत बड़ी बात थी.”
ब्रेट ली और जॉनसन हैं आदर्श
नवदीप अपना आदर्श ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज ब्रेट ली और मिशेल जॉनसन को मानते हैं. नवदीप पिछले साल दिल्ली डेयरडेविल्स के साथ जुड़े हुए थे, लेकिन वह प्लेइंग टीम में नहीं थे.