गांव खुखनी में सफाई अभियान के लिए पहुंचे करनाल के पूर्व उपायुक्त बी.एस. मलिक डॉ. भीम राव आंबेडकर भवन की दशा और मैदान की हालत देखकर दंग रह गए। उनकी टीम ने यह महसूस किया कि देश की इतने महत्वपूर्ण शख्सियत के नाम पर बनाए गए भवन और मैदान को साफ करना ही वास्तव में अभियान का मुख्य काम होगा और वे वहीं रूक गए। बी.एस. मलिक के नेतृत्व में करीब दो घंटे की कड़ी मेहनत के बाद भवन के आस-पास उगी कांग्रेस घास को उखाड़ फैंका। जब अभियान चल रहा था तो स्थानीय राजकीय स्कूल के बच्चे अध्यापक राकेश शास्त्री एवं लाभ सिंह के नेतृत्व में आ जुटे। अभियान का संयोजन एवं संचालन महिन्द्र कुमार, अरुण कैहरबा व अर्जुन खुखनी ने किया। अभियान में मुख्य रूप से अध्यापक ज्ञानचंद, राजीव सैनी, उधम सिंह, एनवारनमेंट हैल्थ एंड एजूकेशन सोसायटी के पदाधिकारी संदीप लाठर, जय कुंवार, बाबा महादेव गिरी, बलिन्द्र कटारिया, गुंजन, पूर्व सरपंच सुलेखचंद, पूर्व जिला पार्षद रणबीर सिंह पाल, अशोक दाबड़ा, विकास, हरीचंद, रमेश कुमार, विक्रम रहेल, संजय सैनी, बिट्टू धीमान, श्रीचंद, स्वर्ण सिंह, नरेश कुमार, जरनैल सिंह, जीता राम ने शिरकत की।
सफाई अभियान के उपरांत बी.एस. मलिक ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि सार्वजनिक जगह की साफाई सबकी सांझी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि सभी वेद शास्त्रों में सबसे बड़ा सुख निरोगी काया बताया गया है। निरोग रहने के लिए गांधी जी द्वारा बताए गए स्वच्छता नियमों का पालन करना जरूरी है। उन्होंने बताया कि गांधी जी स्वच्छता को ईश्वर का दूसरा रूप मानते थे। मतलब स्वच्छता और ईश्वर एक ही सिक्के के दो पहलु हैं। उनका मानना था कि स्वच्छता रखने के लिए सफाई करना ही नहीं बल्कि सफाई रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि यदि समाज का बड़ा हिस्सा आदतन गंदगी फैलाता है तो उस गंदगी को चंद लोग साफ नहीं कर पाएंगे। उन्होंने पोलिथीन को जहर बताते हुए कहा कि आजकल लोग कपड़े या जूट के थैलों की बजाय पोलिथीन में बाजार से सामान खरीद कर लाते हैं। कईं बार बहुत गर्म और ठंडे पदार्थ भी पोलिथीन में लाते हुए पाए जाते हैं। लोग भूल जाते हैं कि पोलिथीन के सम्पर्क में आने से खाद्य पदार्थ जहरीले हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि कैंसर जैसे घातक रोग फैलाने में पोलिथीन अहम भूमिका निभा रहा है। अज्ञानता वश ग्रामीण परिवेश में बहुत सी महिलाएं पोलिथीन जलाकर चूल्हा जलाती हैं, जोकि बहुत खतरनाक गैस पैदा करता है। उन्होंने कहा कि पोलिथीन जमीन में पड़ जाने के बाद जमीन की उर्वरा शक्ति पर भी विपरीत प्रभाव डालता है।
पोलिथीन ने लंबे समय से प्रयोग में होने के बाद जमीन में पानी जाने के रास्तों पर अपना कब्जा जमा लिया है, जिससे भूजल स्तर में गिरावट दर्ज की जा रही है। उन्होंने अपने अनुभव सांझा करते हुए कांग्रेस घास के विषय में बताया कि इस घास का बीज गेहूं के बीज के साथ मैक्सिको से हमारे देश में आया था, जिसने आज पार्कों, गलियों, खेतों, रेल की पटडियों और खाली जमीनों पर अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया है। उन्होंने बताया कि यह घास बहुत जहरीला है, जिससे एलर्जी, खांसी, दमा, दाद, खाज, खुजली जैसे रोग उत्पन्न हो रहे हैं। बहुत से पशुओं की मृत्यु का कारण भी यह घास बन रहा है। उन्होंने बताया कि मैक्सिको के दौरे के दौरान उन्हें वहां इस जहरीले घास का एक भी पौधा दिखाई नहीं दिया। वहां के लोगों ने बताया कि राष्ट्रपति की अपील पर मैक्सिको के लोगों ने छह साल की अथक मेहनत से इस घास को जड़मूल से समाप्त कर दिया।
ग्रामीणों से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि पोलिथीन का इस्तेमाल बंद करें और यदि मजबूरी में करना भी पड़ जाए तो इसे अपने घर में अलग से इक_ा करें और पंचायत लोगों द्वारा इक_े किए गए पोलिथीन को ट्राली में भर कर शेखपुरा सुहाना में भिजवाना सुनिश्चित करे ताकि इससे तारकोल व प्लास्टिक का अन्य सामान बनाया जा सके।