May 3, 2024

करनाल/भाव्या नारंग: हरियाणा के कई जिलों में हुई बेमौसमी बरसात से किसानों की 6 महीने की मेहनत हुई बर्बाद, करनाल में भी हुई बरसात से किसानों के खेतों में किसानों की पक्की हुई गेहूं की फसल खेतों में बिछ चुकी है, जिसको लेकर किसान काफी चिंतित नजर आ रहा है, 4 दिन बाद किसानों ने अपनी गेहूं की फसल की कटाई कर उसे आसपास की मंडियों में बेचने के लिए लेकर जाना था लेकिन बरसात ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया। किसान लगातार सरकार से मुआवजे की मांग करता हुआ नजर आ रहा है।

करनाल के भैनी खुर्द गांव में रहने वाले किसान जसवंत सिंह ने कहा उनकी गेंहू की फसल 70 से 80 परसेंट तक बिल्कुल खराब हो चुकी है, उनकी फसल पूरी तरह से पक कर तैयार हो चुकी थी दो से 3 दिन बाद उन्होंने फसल की कटाई कर मंडी में लेकर जाना था लेकिन अब बरसात के कारण उनकी फसल पूरी तरह से खराब होकर भीग चुकी है, भीगी हुई फसल को ना तो काट सकते ना ही इस फसल को कोई काटने के लिए तैयार होगा,  किसान ने टूटे हुए दिल से कहा इसबार बरसात के कारण उनकी फसल का जो हाल हुआ है , अब उनका खेत में आने का दिल भी नहीं करता , अभी भी आसमान पर बादल छाए हुए हैं और बरसात जिस तरह से रुक-रुक कर हो रही है जिससे वह काफी चिंतित है, 6 महीने की मेहनत पानी में मिल चुकी साहूकार से पैसा लेकर उन्होंने फसल पर लगाया था, जो पूरी तरह से डूबता हुआ नजर आ रहा है सरकार से अब केवल वह मुआवजे की मांग करते हैं जिससे उन्हें कुछ राहत मिल सके।

डॉ. आदित्य प्रताप डबास, उप कृषि निदेशक करनाल ने कहा पिछले सप्ताह बारिश हुई थी, इसे देखते हुए सरकार ने क्षतिपूर्ति पोर्ट खोला था ताकि किसान फसल खराबे का विवरण पोर्टल पर इंद्राज करवा सकें। अब भी बरसात चल रही हैं, इसे देखते हुए सरकार ने 3 अप्रैल तक क्षतिपूर्ति पोर्टल खोल दिया हैं। किसान फसल खराबे का विवरण रिकार्ड करवाए। बारिश के बारे में सरकार, मौसम विभाग द्वारा अलर्ट किया था। उन्होंने कहा कि कृषि अधिकारियों ने एक-एक एकड़ का सर्वें करके सरकार को अवगत कराया गया हैं। हर गांव की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करके सरकार के पास भेजी गई हैं। जिला करनाल में समय पर गेहूं की बिजाई हुई थी, इसलिए फसल कटाई एक सप्ताह में शुरू हो जाती। ऐसा पहले नहीं हुआ था। क्योंकि मार्च में बरसात नहीं होती थी। जलवायु परिवर्तन के कारण बरसात हो रही हैं। किसान नुकसान हुआ हैं, ये तो गेहूं के विशेषज्ञ व गेहूं कटाई के बाद रिपोर्ट के बाद ही पता चल सकेगा।

सरकार के स्पष्ट आदेश है कि चाहे किसान की जमीन खाली या बिजाई की हुई हैं, उसका मेरी फसल मेरा ब्यौरा पर पंजीकरण करवाना अनिवार्य हैं। यदि किसान ने टमाटर या दूसरी सब्जियों की फसल लगाई हुई हैं, जहां ओलावृष्टि या बरसात हुई हैं ओर उससे खराब हुई हैं ओर पंजीकरण करवाया हैं। इस पंजीकरण के पीछे दोबारा से मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल खोला गया था। क्योंकि क्षतिपूर्ति पोर्टल पर तभी इंद्राज था कि जब मेरी फसल मेरा ब्यौरा रजिस्ट्रेशन होगा। दोनों पोर्टल किसानों की सहुलियत के लिए बनाए गए हैं, इसलिए किसान दोनों पोर्टल पर फसल के बारे में पूरी जानकारी डाले। उसके बाद सम्बधित विभाग द्वारा वेरीफिकेशन की जाएगी, फिर मुआवजा निर्धारित किया जाएगा।

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