करनाल। महाचमत्कारी प्रकटभावी श्री घण्टाकर्ण महावीर देव तीर्थस्थान पर विशेष कृपा दिवस कृष्ण चौदस के उपलक्ष्य में प्रत्येक महीने आयोजित होने वाले श्रद्धालु संगम में भक्ति, समर्पण तथा अटूट विश्वास का एक अनूठा तथा भावविभोर करने वाला मंजर दिखलाई दिया। जैन भक्तों के अलावा अन्य वर्गों से जुड़े श्रद्धालुओं की भी भारी उपस्थिति रही। सूर्योदय से पहले ही भक्तों की रौनक लग गई थी जो देर सांझ तक बढ़ती ही रही। श्री घण्टाकर्ण देवता की रहमत तथा नज़र-ए-इनायत से अपनी समस्याओं के समाधान और अपने मन में संजोए सपनों को साकार करने हेतु स्थानीय तथा दूर-दराज से आशा की डोरी से बंधे भक्तों की खूब चहल-पहल दिन भर रही। श्री घण्टाकर्ण बीजमन्त्र का सामूहिक सस्वर जाप कर देवता का आह्वान करते हुए सभी के मंगल और कल्याण के लिए उनके आशीर्वाद तथा प्रसन्नता की याचना की गई। साध्वी जागृति, अजय गुप्ता, अनिता जैन, सुनीता, जयपाल सिंह, मनीषा-रितु, निशा, नीलू, प्रवीण जैन आदि ने अपने भजनों से देव-गुणगान करते हुए सभी को भक्ति-भाव से झूमने के लिए मजबूर कर दिया।
घण्टाकर्ण दादा ने जबसे पकड़ा है मेरा हाथ बदली है मेरी तकदीर और बदले हालात, मेरे घर के आगे दादा तेरा मंदिर बन जाए, मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है, जब कोई नहीं आता मेरे दादा आते हैं, मेरे दुख के दिनों में वे बड़े काम आते हैं आदि भजनों ने सभी को भक्ति रस से सराबोर कर दिया।
महासाध्वी श्री प्रमिला जी महाराज ने कहा कि श्री घण्टाकर्ण महावीर देव सारी अड़चनों को दूर करने वाले, भय का निवारण करने वाले, शारीरिक तथा मानसिक संकटों का निवारण करने वाले, प्रेत-बाधा और बुरी नजर के दुष्प्रभाव से छुटकारा दिलाने वाले, सभी इच्छाओं को पूरा करने वाले, अपने भक्तों की पुकार सुनकर उनकी सहायता हेतु तत्काल कुछ न कुछ साधन करने वाले, वात्सल्य भाव से ओतप्रोत प्रभावशाली एवं शक्ति सम्पन्न देवता हैं। श्री घण्टाकर्ण देव अभाव को खुशहाली, साधनों की कमी को सुख-सुविधाओं की प्रचुरता में बदलने वाले देव हैं जो पलक झपकने जितने समय में भाग्य की रेखा बदल देते हैं और इनके उपासक की भयंकर से भयंकर शारीरिक बीमारियां दूर होकर उसे निरोग कंचन जैसी काया मिलती है। इनके अनुग्रह से भक्त की पुत्र, धन, विद्या, अनुकूल जीवन साथी की मनोकामना पूरी हो जाती है। यह कल्याण, योग तथा क्षेम करने वाले, हर प्रकार से उन्नति तथा रक्षा करने वाले, जय तथा विजय प्रदान करने वाले, राजकीय प्रतिष्ठा, लक्ष्मी दिलाने वाले, शत्रुओं का संहार कर अनुकूलता से निहाल करने वाले भक्तवत्सल देव हैं। इनका आशीर्वाद व्यक्ति को सभी का प्रियपात्र बनाकर नौ निधियों तथा बारह सिद्धियों से पूरित कर देता है। महाप्रभावी बृहत घण्टाकर्ण स्तोत्र सुनाया गया।
आरती तथा प्रीतिभोज का लाभ पानीपत के आयुष जैन ने लिया। श्री घण्टाकर्ण देवता के जयघोषों से सारा मंदिर परिसर गंूजता रहा और घंटे बजाने की मधुर ध्वनि अलौकिक दिव्य वातावरण का सृजन करती रही।