- बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम में संवेदनशीलता से काम ना करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों पर गिरेगी गाज,
- डिस्ट्रिक्ट टास्क फोर्स की रिव्यू मीटिंग में उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने चेतावनी देते कहा कि अगले महीने अच्छी परफोर्मेंस मिलनी चाहिए,
- अन्यथा विभाग के आला अधिकारियों को पत्र लिख कार्रवाई के लिए कहा जाएगा।
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम में संवेदनशीलता से काम ना करने वाले जिला के स्वास्थ्य व महिला एवं बाल विकास विभाग के कर्मचारियों पर गाज गिरेगी। बुधवार को लघु सचिवालय के सभागार में इस कार्यक्रम के लिए गठित डिस्ट्रिक्ट टास्क फोर्स के चेयरमेन एवं उपायुक्त निशांत कुमार यादव समीक्षा बैठक में सख्त मूड में नजर आए। उन्होंने कार्यक्रम के नोडल डॉ. नरेश करडवाल तथा महिला एवं बाल विकास विभाग की कार्यक्रम अधिकारी की परफोर्मेंस पर नाराजगी दिखाई।
कार्यक्रम अधिकारी से कहा कि जो आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अपने एरिया की गर्भवती महिलाओं तथा गर्भपात की सम्पूर्ण जानकारी देने में असमर्थ रहे, उनके खिलाफ कार्रवाई करें। उपायुक्त ने समीक्षा बैठक में अधिकारियों को फटकार लगाते कहा कि मुझे कागजी रिपोर्ट नहीं चाहिए, धरातल पर काम करके दिखाएं कि हर महीने कितने अल्ट्रासाउंड सेंटर चैक किए, कितने एम.टी.पी. किट प्रयोग करने वालों की रेड कर उनकी एफ.आई.आर. दर्ज करवाई।
बैठक में उपायुक्त ने बताया कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ सरकार का एक फ्लैगशिप कार्यक्रम है, इसका सम्बंध लिंगानुपात में अपेक्षाकृत सुधार लाना है। कोविड दौर हो या अन्य कोई क्राईसिस, कार्यक्रम की गतिविधियां नहीं रूकनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि जिला में गैर-कानूनी तरीकों से भ्रूण की जांच और उनकी हत्या हो रही हैं।
जरूरत है ऐसे समाज विरोधी लोगों को सार्वजनिक कर उन्हें सजा दिलवाई जाए। उपायुक्त ने कहा कि सितम्बर मास में स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिला में कम से कम 50 अल्ट्रासाउंड केन्द्रों की चैकिंग की जाए, जहां भी कोई कमी मिले, उसे तुरंत सील करके उसके संचालक का नाम सार्वजनिक किया जाए और लाईसेंस को कैंसिल किया जाए।
उपायुक्त ने इस कार्यक्रम के नोडल अधिकारी से कहा कि ऐसे लोगों का पता लगाने के लिए अपने सूचना तंत्र को मजबूत करें, इसमें किसी भी तरह से डरने की जरूरत नही है, पुलिस की जरूरत हो या प्रशासन की, पूरा सहयोग मिलेगा। उन्होंने कहा कि हर महीने आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा वर्कर और ए.एन.एम. से मीटिंग कर उनसे इंफोर्मेशन लें। एक-एक गांव व ब्लॉक का डाटा तैयार करें, ताकि अगली बैठक में उसे रिव्यू किया जा सके।
उन्होंने कहा कि कैमिस्ट शॉप पर एम.टी.पी. किट बेची जाती हैं, ऐसी दुकानो पर जाकर किट के रिकॉर्ड को चैक करें, ताकि मालूम हो कि कितनी संख्या में और किसको बेची गई है, फिर उसे ट्रैक कर रेड करें, कामयाबी मिलेगी। कार्यक्रम अधिकारी को उन्होंने निर्देश दिए कि जो कार्यकर्ता अपने क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं या किसी का गर्भपात हुआ हो, उसकी स्टीक जानकारी ना दे, उसे नोटिस देकर नौकरी से हटा दिया जाए। ऐसी महिलाओं का डाटा रखें, जिनके पास पहली गर्ल चाईल्ड है। मास में कितनी प्रेग्नेंसी हुई और कितनी टर्मिनेशन, इसका भी कम्पलीट डाटा हो।
जुलाई मास में जिले का लिंगानुपात 952 रहा- बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम तथा पी.एन.डी.टी. एक्ट क्रियान्वयन के नोडल डॉ. नरेश करडवाल ने समीक्षा बैठक में बताया कि माह जुलाई 2020 में करनाल जिला का लिंगानुपात प्रदेशभर में 952 की संख्या सेे शीर्ष पर रहा, जबकि फरवरी 2020 सेे जुलाई 2020 तक जिले का लिंगानुपात 879 और मई 2020 से जुलाई 2020 तक लिंगानुपात 892 रहा। उन्होंने बताया कि अगली दो तिमाही में जिला में लिंगानुपात को जुलाई मास की तरह शीर्ष
जिला कार्यदल की समीक्षा मीटिंग में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम, स्टेट टास्कफोर्स के प्रतिनिधि जी.एल. सिंगला, सी.एम.ओ. योगेश शर्मा तथा सी.एम.जी.जी.ए. अम्रुथा डाटला भी उपस्थित रही।