- कर्ण नगरी का सौंदर्यकरण करने के मकसद से शहर के 8 प्रवेश स्थलों पर महान व्यक्तित्व से जुड़े निर्माणाधीन भव्य द्वारों (गेट) का काम जोरों पर,
- एक मुकम्मल, तीन प्रगति पर और चार की ड्राईंग हो रही तैयार।
- अध्यात्म, धर्म-संस्कृति, इतिहास, समाज सुधार एवं विज्ञान का अद्भुत संगम – उपायुक्त एवं निगमायुक्त निशांत कुमार यादव।
करनाल 2 अगस्त: शहर के भिन्न-भिन्न प्रवेश स्थलों पर महापुरूषों के नाम पर नगर निगम करनाल की ओर से बनाए जा रहे गेट, अध्यात्म, धर्म-संस्कृति, इतिहास, समाज सुधार एवं अंतरिक्ष विज्ञान का अद्भुत संगम है। इनसे कर्ण नगरी का प्राचीन एवं वैभवशाली इतिहास जीवंत होगा तथा भावी पीढ़ी प्रेरणा लेकर अपने जीवन में सत्य, अहिंसा, प्रेम, ज्ञान और वीरता के गुणों को आत्मसात कर सकेगी।
निर्माणाधीन द्वारों का काम तेजी से हो रहा है, एक द्वार मुकम्मल है, तीन का काम जोरों पर चल रहा है तथा चार गेटों की ड्राईंग तैयार हो रही है। इनके पुर्ण हो जाने से स्मार्ट सिटी के सौंदर्य में भी इजाफा होगा।
उपायुक्त एवं नगर निगम के आयुक्त निशांत कुमार यादव ने रविवार को द्वारों के निर्माण से जुड़ी जानकारी देते बताया कि शहर की 8 अलग-अलग एंट्री यानि प्रवेश पर विशाल गेट बनाए जा रहे हैं। इनमें बलड़ी बाईपास पर श्रीमद भगवद् गीता के नाम से विशाल गेट कई महीने पहले ही बनकर तैयार हो गया था। करीब 20 फुट उंचे भव्य द्वार पर भगवान श्री कृष्ण के विराट रूप की प्रतिमा स्थापित की गई है। गीता जिसका विश्वव्यापी महत्व है, इसका आत्मसात कर मनुष्य सद् जीवन जी सकता है।
आयुक्त ने बताया कि दूसरा द्वार शहर के प्रसिद्ध नमस्ते चौक पर राजा कर्ण के नाम से निर्माणाधीन है और इसका लगभग 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। उम्मीद है कि अगले कुछ दिनो में यह अपनी पूर्णतय: की ओर होगा। गेट की बीम पर महाराजा कर्ण और महाभारत थीम पर फाईबर से कलाकृत्तियां बनाई गई हैं, जो देखने वालों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
राजा कर्ण महाभारत के मुख्य पात्रो में से एक व पराक्रमी योद्धा थे। कुंती-सूर्य पुत्र कर्ण को दानवीर के नाम से भी जाना जाता है। करनाल और कर्ण का सम्बंध जग जाहिर है, यही कारण है कि महाराजा कर्ण के नाम से वर्तमान में शहर के बीचो-बीच महाभारत कालीन प्राचीन कर्ण ताल को भव्य रूप में विकसित किया गया है।
निगम आयुक्त ने आगे बताया कि करनाल-मेरठ रोड़ पर हाईवे के निकट पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर बनाए जा रहे गेट का कार्य भी प्रगति पर है। दीनदयाल उपाध्याय एक महान समाज सुधारक थे। वे समावेशित विचारधारा के समर्थक होने के साथ-साथ मजबूत व सशक्त भारत का निर्माण चाहते थे।
सौम्य प्रवृत्ति के उपाध्याय चिंतक होने के साथ-साथ राजनीति और साहित्य में भी रूचि रखते थे और उन्होंने अपने जीवन में कई लेख लिखे, जो ख्याति प्राप्त पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। उनके आदर्शवादी जीवन से अभिप्रेरित होकर वर्तमान में उनके नाम पर प्रदेश व देश में कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। उन्होंने बताया कि इस गेट का भी 70 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है।
उन्होंने बताया कि करनाल-इन्द्र्री रोड़ पर श्री आत्म मनोहर जैन मुनि के नाम से द्वार निर्माणाधीन है। ज्ञात रहे कि गेट के पास ही जैन मुनि के नाम पर एक आराधना मंदिर भी स्थापित है। श्री आत्म मनोहर मुनि, जैन धर्म के उपाध्याय से वाचनाचार्य बने। करीब 78 साल तक सात्विक जीवन व्यतीत करने वाले आत्म मनोहर मुनि ने देश के उड़ीसा, गुजरात, महाराष्ट्र, अहमदाबाद और दूसरे राज्यों का भ्रमण कर जैन धर्म की शिक्षा और उपेदश दिए। आज देश में उनके लाखो अनुयायी हैं, जो सत्य और अहिंसा के आदर्शों पर चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस गेट का 25 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है।
शहर के चार अन्य प्रवेश द्वारों पर भी अलग-अलग नामो से बनेंगे भव्य गेट, वास्तुकला को लेकर ड्राईंग हो रही तैयार- निगमायुक्त निशांत कुमार यादव ने बताया कि करनाल शहर के चार अन्य प्रवेश मार्गों पर भी नगर निगम सीमा में भव्य गेट बनाए जाएंगे। इनके सर्वे का काम पूरा हो चुका है, जबकि आर्किटेक्ट इनकी ड्राईंग तैयार करने में लगे हैं, जो अगले सप्ताह में ही तैयार हो जाएगी।
इसके बाद निर्माण के डिटेल एस्टीमेट बनाए जाएंगे और फिर तकनीकि कार्य व प्रशासकीय स्वीकृति नगर निगम से ही मिलने के बाद अल्प अवधि का टैण्डर लगेगा, जो सम्भवत: आगामी सितम्बर में हो सकता है। इसके बाद सितम्बर या अक्तूबर में ही काम शुरू होगा और आगामी जनवरी-फरवरी तक सभी गेटों का निर्माण मुकम्मल करने का लक्ष्य है।
किस-किस प्रवेश पर कौन-कौन से बनेंगे द्वार- इस बारे आयुक्त ने बताया कि काछवा रोड पर युग पुरूष स्वामी विवेकानंद के नाम से भव्य गेट का निर्माण होगा। विवेकानंद में कुशाग्र बुद्धि और परमात्मा को पाने की लालसा थी। परमार्थ के रास्ते पर चलते वे स्वामी रामकिशन परम हंस के शिष्य बने, जिनके ज्ञान से स्वामी विवेकानंद को आत्म साक्षात्कार हुआ।
स्मरण रहे कि करीब 125 वर्ष पहले अमेरिका के शिकागो में हुए विश्व धर्म सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद ने भाग लेकर जो ऐतिहासिक भाषण दिया था, उसकी शुरूआत मेरे अमेरिकी भाईयो व बहनो कहकर की थी, इससे सभागार में कई मिनटो तक तालियां गूंजती रही। स्वामी विवेकानंद के भाषण से उनको विश्व प्रसिद्धि मिली।
उन्होंने बताया कि इसी प्रकार करनाल-कैथल रोड पर 15वीं सदी के महान संत श्री गुरू नानक देव जी के नाम पर, श्री गुरू नानक द्वार बनाया जाएगा। गुरू नानक देवी जी में बचपन से ही प्रकर प्रखर बुद्धि के लक्षण थे। लड़कपन से ही यह संसारिक विषयों से उदासीन रहा करते थे।
यही कारण है कि उनका अधिकतर समय अध्यात्मिक चिंतन और सत्संग में व्यतीत होता था। अध्यात्मिक संत श्री गुरू नानक देव जी ने देश के सभी भागों की यात्रा कर मानवता को सत्य, अध्यात्म और वास्तविक धर्म का संदेश दिया था। पवित्र गुरू ग्रंथ में श्री गुरू नानक देव जी अमर वाणी संग्रहित है।
आयुक्त ने बताया कि इसके अतिरिक्त करनाल-कुंजपुरा रोड पर विद्यादायिनी माँ सरस्वती के नाम पर सरस्वती द्वार का निर्माण किया जाएगा। सरस्वती हिन्दू धर्म की वैदिक एवं पौराणिक देवियों में से एक हैं। इन्हें विद्या एवं नृत्य-संगीत क्षेत्र के अधिष्ठाता के रूप में भी माना जाता है।