- कबूतर उड़ाने के लिए स्कूल छोड़ते बच्चे को प्रिंसिपल का यह जवाब बुनियाद बना एक बदलाव का ,देखें पूरी खबर
- 30 से ज्यादा बच्चों की काउंसिलिंग और मदद कर चुकी हैं प्रिंसिपल रेणु सिंगला
- जरूरत है आज ऐसे शिक्षकों की जो पढ़ाई में पीछे जा रहे बच्चों को भी आगे ला रहे हैं !
शिक्षक दिवस पर विशेष रिपोर्ट
करनाल मुझे नहीं पढऩा। क्यों? मैं सिर्फ कबूतर उड़ाउंगा.. मेरे लिए वो ही सब कुछ हैं। आप मेरा स्कूल से नाम कटवा दो। बेटे की 20 दिन की जिद के बाद जब मां ने स्कूल प्रिंसिपल रेनू सिंगला गुप्ता को यह बात बताई तो उन्होंने बच्चे की काउंसिलिंग कर उसे स्कूल पढऩे के लिए तैयार किया। उन्होंने बच्चे को उसी से सवालों के जवाब ले समझाया तो छात्र अमन स्कूल आने को राजी हुआ। अब निरंतर स्कूल भी आ रहा है और दिल लगाकर पढ़ाई भी कर रहा है।
काउंसिलिंग के दौरान प्रिंसिपल ने पूछा, कबूतरों को सीखाते कैसे हो कि उन्हें उडऩे के बाद इशारा करते ही तुम्हारे पास आना है? अमन ने जवाब दिया कि मैं इनको लाया हूं, इसलिए इन्हें पता है और मेरे साथ ही रहेंगे। जब कबूतर को पता है, उन्हें अपनी छत पर ही रहना है, तो तुम पढ़ाई कैसे छोड़ सकते हो? कबूतर से ही सीख लो.. जब वह तुम्हारे पास आकर भी उडऩा नहीं भूला। एसडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल की प्रिंसिपल का एक छोटा सा प्रयास बच्चे के जीवन में बदलाव की बुनियाद बना। अब टीचर्स डे पर प्रिंसिपल के आग्रह पर अमन स्कूल में कबूतर लेकर आएगा और सभी को इनसे मिलवाएगा।
एक भाई पढ़ाई में आगे, दूसरा खिड़की से देखता था कबूतर: एसडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में 9वीं कक्षा में दो सगे भाई उनके स्कूल में पढ़ते हैं। आकाश दिल लगाकर पढ़ाई करता। जबकि दूसरे भाई अमन का ध्यान क्लास रूम की खिड़की से बाहर उड़ते कबूतरों की तरफ रहता। जिद करके दो कबूतर अमन ने घर पर पाल लिए। पूरा दिन उन्हीं के साथ खेलता और उड़ाता था। स्कूल आना भी बंद कर दिया। तो मां ने कबूतरों को किसी और को दे दिया। बस उसी समय ही अमन ने जिद पकड़ ली की, वह स्कूल नहीं जाएगा और सिर्फ कबूतर उड़ाएगा। काफी समझाने के बाद मां स्कूल प्रिंसिपल के पास अमन का नाम कटवाने के लिए पहुंची। तो प्रिंसिपल ने उसे पढ़ाने के लिए एक प्रयास किया।
कबूतरों से हमारी दोस्ती करवा देना.. से बदला अमन का इरादा: मां को कह किसी बहाने प्रिंसिपल ने अमन को स्कूल में बुलाया और उसे समझाया कि दिन में वो पढ़ाई करे और शाम को कबूतर उड़ाए। साथ ही यह भी कहा कि टीचर्स डे पर स्कूल में कबूतर लाकर मेरी दोस्ती कराना। प्रिंसिपल की इस बात ने अमन का पढ़ाई छोडऩे का इरादा बदल दिया। उन्होंने कहा कि बच्चों की जो प्यारी चीज है, उससे उन्हें कभी दूर नहीं करना चाहिए। बल्कि उसी के सहारे बच्चों को आगे बढऩे को प्रेरित करना चाहिए।
30 से ज्यादा बच्चों की काउंसिलिंग और मदद कर चुकी हैं प्रिंसिपल: प्रिंसिपल रेनू गुप्ता किसी भी कारण से स्कूल छोडऩे वाले बच्चों को दोबारा शिक्षा के मंदिर तक लाने के लिए कार्य कर रही हैं। अब तक 30 से ज्यादा बच्चों की वे काउंसिलिंग कर चुकी हैं। वहीं शिक्षा के लिए बच्चों की आर्थिक मदद से भी वह पीछे नहीं रहती हैं। पैसे की कमी के लिए 10वीं के बाद नॉन मेडिकल न कर पाने वाले छात्र राकेश की भी उन्होंने मदद की। जो आज एनटीएसई से 1500 रुपये मासिक स्कॉलरशिप भी प्राप्त कर रहा है। उनका कहना है कि अभिभावकों को भी बच्चों को समय देना चाहिए। ताकि वें अपनी इच्छाओं को भी पूरा कर सकें और लक्ष्य से भी पीछे न हटें। कई बार अभिभावकों को प्रेशर भी बच्चों को नुकसान पहुंचा सकता है।