प्रदेश में चल रहे किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के प्रदेशाध्यक्ष राजेन्द्र आर्य दादूपुर ने कहा कि अगामी सात सितम्बर को किसान भवन पानीपत में हरियाणा प्रदेश के सभी किसान प्रमुखों को एक जुट करने के लिए प्रदेश के सभी भागों से किसान नेताओं को बैठक में आमंत्रित किया जा रहा है। बैठक में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति से संबंधित प्रदेश के सभी किसान संगठन भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसान पन्ना प्रमुखों के चक्रव्यूह को तोडऩे के लिए अभियान चलाएंगे।
बूथ स्तर पर भाजपा सरकार की किसान विरोधी नीतियों को बेनकाव करने के लिए गांव गांव जाकर अभियान चलाएंगे। यदि सरकार ने किसानों की मांगों को विधान सभा चुनावों के लिए आचार संहिता लगने से पहले नहीं माना तो किसान गांव गांव में चोकीदारों के मुकाबले खड़ा होगा। हरियाणा प्रदेश में चल रहे किसान आंदोलन की मुख्यमंत्री के द्वारा की जा रही भारी अनदेखी के चलते प्रदेश का किसान, मजदूर, गरीब, मजलूम, गांव, देहात का हर तीसरा व्यक्ति मानसिक विकार (मेंटल डिसऑर्डर) का शिकार हो रहा है।
गंभीर आघातोत्तर मानसिक दबाव संबंधी डिसऑर्डर (पोस्ट-ट्रोमा स्ट्रैस डिसऑर्डर- पी.टी.एस.डी.) का रोगी बन रहा है। वयस्क किसान व मजदूरों में अवसाद का प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है। खेती की उपेक्षा से पूरे देश व प्रदेश में मंदी लगातार बढ़ रही है।
किसान नेता राजेन्द्र आर्य दादूपुर ने राहड़ा, बिलोना,थल,शर्फ अली खेड़ी का दौरा कर आज गांव गंगा टेहड़ी में किसान धरने की अध्यक्षता की। किसान नेता राजेंद्र आर्य दादूपुर ने कहा कि ट्रांस हरियाणा ग्रीन फील्ड परियोजना के तहत नवसृजित राष्ट्रीय राजमार्ग 152डी के मुआवजा प्रभावित किसानों से मुलाकात करते हुए कहा कि किसान आंदोलन की सभी मांगें तर्कसंगत हैं व कानूनी प्रावधान मांगों के पक्ष में है।इसके बावजूद भी हरियाणा सरकार किसान आंदोलन की मांगों का संज्ञान नही ले रही है और न ही मुख्यमंत्री किसानों को मिलने का समय दे रहे हैं। राजेंद्र आर्य ने मुख्यमंत्री के बारे में कहा कि नेक नीयत साफ इरादे लेकिन अधिग्रहित जमीनों के रेट आधे दिए ।
किसानों की उपेक्षा से गिरी है देश की जीडीपी: किसान नेता राजेन्द्र आर्य दादूपुर ने कहा कि किसानों का योगदान जीडी पी में कम नहीं हैं। किसानों की घोर उपेक्षा के कारण देश की जीडीपी लगातार गिर रही हैं। यदि सरकार किसानों को संभाले तों जीडीपी बढ़ सकती है। प्रशासन के कुप्रबंधन व दिखावटी कवायद के चलते प्रदेश में बाढ़ से भारी तबाही हुई है। लापरवाह अफसरों पर भी कोई गाज नहीं गिरी है।
यदि कृषि को उद्योग का दर्जा दे दिया जाए तो रोजगार के बड़े अवसर पैदा होंगे। और कृषि क्षेत्र का योगदान जीडी पी बढ़ाने में अन्य संगठित क्षेत्रों से कहीं ज्यादा होगा। मुख्यमंत्री जी आप अपनी यात्रा निकालिए, हम किसान आंदोलन करेंगे, आपकी यात्रा में कोई अवरोध नही होगा लेकिन एक बात ध्यान में रखना, अगर किसान को न्याय नही मिला तो आपको आशीर्वाद भी नही मिलेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाए हुए है और बार-बार ज्ञापन देने के बाद भी कोई साकारात्मक जवाब नही दे रही है।
किसान आंदोलन की मुख्य माँग:
एमएसपी एक्ट (फसल खरीद अधिनियम), एमएसपी से कम रेट पर फसल खरीदने पर व्यापारी को कम से कम 3 साल की सज़ा, 8 जिलो को एनएच 152 डी के लिए 2 करोड़ प्रति एकड़ मुवावजा, कृषि उपकरणों पर जीएसटी पूर्ण रूप से हटाने, स्वामीनाथन की रिपोर्ट लागू करने, असंध को जिला बनाने की मांग, मनरेगा को कृषि के साथ जोडऩे, आयुष्मान योजना में किसानों को शामिल किया जाये। इस अवसर पर सतपाल टूर्ण , शुगन चंद पोपड़ा,मनीराम शर्मा बाहरी, सुरता राम,जिले सिंह,कर्ण सिंह,बग्गा सिंह,कुलदीप सिंह राणा,आदि मौजूद थे।