करनाल के गोपी माजरा गांव में आज एक जमीन को लेकर चल रहा विवाद उस समय हिंसक हो गया, जब एक निजी टाउनशिप कंपनी के अधिकारियों ने कथित तौर पर भारी संख्या में बाउंसरों के साथ पहुंचकर जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की। ग्रामीणों का आरोप है कि इस दौरान न केवल उनकी खड़ी फसल को ट्रैक्टरों से रौंद दिया गया, बल्कि विरोध करने पर महिलाओं और पुरुषों के साथ मारपीट भी की गई।
घटना के अनुसार, गोपी माजरा के ग्रामीण पिछले कई दशकों से इस जमीन पर खेती कर रहे हैं। ग्रामीणों का दावा है कि जमीन का मालिकाना हक और कब्जे का मामला वर्तमान में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय (हाई कोर्ट) में लंबित है और अदालत ने यथास्थिति (स्टे) बनाए रखने के आदेश दे रखे हैं। बावजूद इसके, अंसल टाउनशिप से जुड़े करीब 200 बाउंसर और कर्मचारी अचानक खेतों में पहुंच गए। ग्रामीणों का कहना है कि इन बाउंसरों में महिलाएं भी शामिल थीं, जिन्होंने ग्रामीण महिलाओं के साथ बदसलूकी और मारपीट की।
पीड़ित महिलाओं ने बताया कि वे सुबह खेतों में काम कर रही थीं, तभी बाउंसरों ने उन्हें घेर लिया और ट्रैक्टर चलाकर उनकी फसलों को नष्ट करना शुरू कर दिया। जब ग्रामीणों ने इसका विरोध किया और अदालत के आदेश दिखाने की कोशिश की, तो उनके साथ धक्का-मुक्की की गई। आरोप यह भी है कि पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में यह पूरी कार्रवाई हुई, लेकिन पुलिस ने कंपनी को रोकने के बजाय ग्रामीणों को ही वहां से खदेड़ने का प्रयास किया। ग्रामीणों ने आक्रोश जताते हुए कहा कि पुलिस ने उनके घर के पुरुषों को जबरन गाड़ियों में बिठाकर हिरासत में ले लिया, जबकि हमलावर पक्ष खुलेआम गुंडागर्दी करता रहा।
मौके पर पहुंचे सिटी थाना एसएचओ और अन्य पुलिस अधिकारियों ने स्थिति को संभालने का प्रयास किया, लेकिन मीडिया के सामने इस मामले पर विस्तृत टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। वहीं, टाउनशिप कंपनी के अधिकारी भी मीडिया को देखकर मौके से रवाना हो गए। ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत से उनकी पुश्तैनी जमीन छीनने का प्रयास किया जा रहा है।
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और पुलिस अधीक्षक (एसपी) से न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनके साथ न्याय नहीं हुआ और अवैध रूप से कब्जा करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे। फिलहाल, इलाके में तनावपूर्ण शांति बनी हुई है और भारी पुलिस बल तैनात है। किसानों का कहना है कि वे अपनी जान दे देंगे लेकिन अपनी जमीन पर अवैध कब्जा नहीं होने देंगे। इस घटना ने एक बार फिर निजी बिल्डरों और स्थानीय किसानों के बीच बढ़ते टकराव को उजागर कर दिया है।