करनाल के नमस्ते चौक पर पारस भाई गुरु जी की मां वैष्णो देवी पदयात्रा पहुंचने पर भारी संख्या में लोगों ने फूल मालाओं के साथ उनका जोरदार स्वागत किया। दिल्ली से शुरू हुई यह यात्रा वैष्णो देवी (कटरा) की ओर जा रही है और रोजाना कई किलोमीटर पैदल चलकर विभिन्न शहरों से होकर गुजर रही है।
यात्रा के करनाल पहुंचने पर स्थानीय भक्तों, युवाओं और परिवारों में खासा उत्साह देखने को मिला और लोग कतारबद्ध होकर पारस भाई गुरु जी से आशीर्वाद लेते नजर आए। श्रद्धालुओं ने उन्हें धर्म की नगरी करनाल में स्वागत योग्य बताते हुए कहा कि यहां इतना प्रेम और विश्वास मिलना स्वाभाविक है।
पारस भाई गुरु जी ने युवाओं को संदेश देते हुए नशे से दूर रहने, मां-बाप की सेवा करने, परिवार और समाज के लिए सकारात्मक कार्य करने की अपील की। उन्होंने कहा कि मेडल, पढ़ाई, खेल, साइंस और सेवाकर्म के माध्यम से आगे बढ़ने वाले युवाओं की आज देश और समाज को जरूरत है और असली नशा भक्ति का नशा होना चाहिए।
उन्होंने बताया कि वे मां अपराजिता धाम की स्थापना कर रहे हैं, जहां “अपराजिता” स्वरूप महाकाली के रूप में भक्तों को ऐसा बल देती हैं कि वे खुद भी न हारें और दूसरों को भी हारने न दें। पारस भाई के अनुसार, जो व्यक्ति अपनी जिंदगी से थक चुका हो, अगर सच्चे मन से मां अपराजिता की शरण में आए तो उसकी जीवन यात्रा को नया बल मिलता है।
वैवाहिक जीवन में बढ़ते विवादों और तलाक के मामलों पर पारस भाई गुरु जी ने कहा कि ज्यादातर कुंडलियों में शुक्र और चंद्रमा की स्थिति कमजोर दिखती है, साथ ही न्यूक्लियर फैमिली, कम होती सहनशीलता और गिरती नैतिकता भी बड़े कारण हैं। उन्होंने दोहराया कि समस्या का मूल समाधान माता-पिता की सेवा, घर-परिवार की भलाई और अच्छे संस्कारों को अपनाने में है।
यात्रा में साथ चल रही एक महिला भक्त ने बताया कि वे पिछले नौ साल से पारस भाई गुरु जी से जुड़ी हैं और उनकी बनाई कुंडली के कई बिंदु परिवार के जीवन में बिल्कुल सही साबित हुए हैं। उनके अनुसार, गुरु जी के बताए उपाय सरल होते हैं और सही दिशा में चलने से बच्चों का भविष्य सुरक्षित महसूस होता है।
महिला श्रद्धालु ने युवाओं को संदेश दिया कि गलत संगत छोड़कर सनातन यात्रा और भक्ति मार्ग से जुड़ें, जिससे जीवन के पाप और नकारात्मकता स्वतः कम हों। उनका कहना था कि जो भी व्यक्ति इस पदयात्रा या मां वैष्णो देवी की यात्रा से जुड़ता है, उसे आध्यात्मिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है।
पारस भाई गुरु जी ने ठंड और कठिनाइयों के सवाल पर कहा कि “जय माता दी” का जप करते रहने से सारी मुश्किलें हल्की हो जाती हैं और जब ऊपर वाला खुद चलाता है, तो वह ही गंतव्य तक पहुंचाने की ताकत देता है। यात्रा के करनाल पहुंचने पर शहर के कई स्थानों पर उनका स्वागत किया गया और आगे यह पदयात्रा वैष्णो देवी की ओर बढ़ती रहेगी।