March 28, 2024
  • आर. पी. एस इंटरनेशनल स्कूल ,करनाल के छात्र पहुँचे सुल्तान फिश सीड फॉर्म
  • अध्यन्न के स्तर को बढ़ाने हेतु किया गया अध्यन्न यात्रा का आयोजन

आर. पी. एस इंटरनेशनल स्कूल , करनाल के नौवीं एवं दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए फील्ड ट्रिप अर्थात अध्यन्न यात्रा का आयोजन किया गया | जिसमे सभी विद्यार्थियों के अध्यन्न के स्तर को बढ़ाने के लिए उन्हें नीलोखेड़ी के ‘सुलतान फिश सीड फार्म’ लेकर जाया गया |

इस अध्यन्न यात्रा का आयोजन विद्यालय की प्रबंधक कमेटी के निर्देशानुसार किया गया | सर्वप्रथम सभी विद्यार्थी वहाँ सुलतान जी से मिले | सुल्तान जी जिन्हे ‘सुल्तान ऑफ़ करनाल’ के नाम से भी लोग जानते है | उन्होंने फिश फार्म से बहुत अधिक नाम कमाया है | सुल्तान जी ने सभी विद्यार्थियों को अपने फार्म हाउस से परिचित करवाया | फॉर्म में तरह -तरह के तालाब उन्होंने बच्चों को दिखाए जिसमे काफी तादात में मछलियाँ मौजूद थीं |

उत्तर भारत में इस तरह का फिश सीड का निर्माण करने वाले सर्वप्रथम सुल्तान ही थे | उन्होंने बताया कि हम भारत के साथ -साथ विदेशों में भी व्यापार करते है | छात्रों के ज्ञान को बढ़ाने हेतु उन्होंने बताया कि ये मछलियाँ चलते पानी में ही जीवित रह सकती है | काफी सालों से यह पानी इन तालाबों में भरा हुआ है और यह पानी साथ -साथ शुद्ध भी होता जाता है |

इस अवसर पर विद्यालय के छात्र आदित्य , पार्थ ,अभिनव ,जैस्मीन इत्यादि ने अपनी जिज्ञासा को शांत करने हेतु अनेक तरह के प्रश्न उनसे पूछे | सर्वप्रथम प्रश्न उन्होंने पूछा कि आपका यह व्यवसाय अपनाने का क्या उद्देश्य था ? उन्होंने बताया कि उत्तर भारत में सर्वप्रथम इस व्यापार की स्थापना मेरे द्वारा ही की गई | 19 वर्ष की आयु में ही मैंने इस व्यापार का ढेर सारा ज्ञान अर्जित कर लिया था और तभी से मैं इस व्यवसाय से जुड़ा हूँ |

आज इस व्यापार में मेरे साथ 25 से 50 हजार लोग काम कर रहे है | छात्रों ने पूछा कि आपको पदम् श्री की उपलब्धि से सम्मानित किया गया | यह आपके व आपके पूरे परिवार के लिए गर्व का विषय रहा होगा | यह सोचकर आपको कैसा अनुभव होता है | इस पर उन्होंने उत्तर दिया कि नाम तो अभी और कमाना है ,अभी तो सिर्फ शुरुआत है | उन्होंने प्रेरित करते हुए कहा कि इस व्यवसाय को और ज्यादा बढ़ाने के लिए हमारी युवा पीढ़ी इस दिशा में और अधिक कदम उठा सकती है |

छात्रों ने पूछा कि आपकी इस सफलता के पीछे किन दो लोगों का सबसे बड़ा योगदान रहा है ? उन्होंने बताया कि मेरे माँ -बाप का मेरी इस सफलता के पीछे बहुत बड़ा योगदान रहा है | उन्होंने हर तरह से मुझे प्रोत्साहित किया | माँ-बाप से बड़ा और अन्य कोई प्रेरणा -स्त्रोत नहीं है |

एक अन्य छात्र ने प्रश्न पूछते हुए कहा कि आपने अपने इस व्यवसाय के बल पर फिश बाइट के नाम से एक रिटेल ब्रांड भी खोला है , इसका सुझाव आपको कहा से आया ? उन्होंने बताया कि जब हम किसी भी वस्तु का उत्पाद करते है तो हमारे सामने बायर की समस्या खड़ी हो जाती है |

इसी समस्या का सामना मैंने भी किया और तभी से मैंने अपना ये ब्रांड बनाया फिश बाइट के नाम से | जो आज न केवल भारत में विख्यात है अपितु विदेशों में भी इसका अपना नाम है | इस फिश फार्मिंग के बल पर हम तरह – तरह के व्यापार खोल सकते है जैसे पॉल्ट्री फॉर्म , सब्जियों और फलों की खेती भी आप कर सकते है |

उन्होंने बताया कि पहले हर जगह दूध – दही का खाना होता था | लेकिन अब स्थितियाँ अलग है | आजकल वो बात नहीं रह गई | आज सबसे ज्यादा प्रोटीन एक मछली में ही पाया जाता है | विद्यार्थियों के ज्ञान के स्तर को बढ़ाने के लिए विद्यार्थियों एवं शिक्षकों ने सुल्तान सिंह जी का हार्दिक धन्यवाद किया |

सुल्तान सिंह जी ने विद्यार्थियों को भी इस व्यवसाय से जुड़ी अनेक तरह की जानकारियाँ अर्जित करने की प्रेरणा दी ताकि इस व्यवसाय को चरम सीमा तक पहुँचाया जा सके |

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