- उत्तर भारत का पहला OSIA हियरिंग इम्प्लांट सर्जरी करनाल मेडिकल सेंटर, करनाल में किया गया ।
- WHO के अनुसार 26.6 करोड़ भारतीय बहरापन से ग्रसित हैं ।
- बाल्यावस्था में बहरापन का 60% निवारणीय कारणों से होता है ।
- नवजात शिशु में श्रवण हानि के लिए जन्म के दूसरे दिन स्क्रीनिंग की जा सकती है- डॉ. तेजिंदर कौर खन्ना ।
- भारत में हर साल 100,000 से अधिक बच्चे सुनने की कमी के साथ पैदा होते हैं – डॉ. रजत मीमानी
- इस धारणा के विपरीत कि कॉक्लियर इम्प्लांट केवल बच्चों में ही किया जाता है, यह समान रूप से वयस्क रोगियों में भी फायदेमंद है – डॉ. संजय खन्ना
बच्चों में सुनने की समस्या तथा कॉक्लियर इम्प्लांट के बारें में जागरूकता फ़ैलाने के लिए करनाल मेडिकल सेंटर, करनाल के डॉक्टरों की एक टीम ने आज मीडिया को सम्बोधन किया । इस अवसर पर करनाल मेडिकल सेंटर अस्पताल से ईएनटी विभाग के वरिष्ठ सर्जन डॉ संजय खन्ना और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. तेजिंदर कौर खन्ना,व डॉ. रजत मीमानी मौजूद थे ।
मीडिया कर्मियों को संबोधन करते हुए डॉ. संजय खन्ना ने बताया कि उत्तर प्रदेश , जम्मू कश्मीर, पंजाब, हिमाचल, राजस्थान,उत्तरी हरयाणा का पहला ओशिया , बोन हियरिंग इम्प्लांट, कुरुक्षेत्र के एक 17 वर्षीय बच्चे पर किया गया । जिसे जन्मजात रूप से दोनोंबाहरी कानो की बनावट में कमी थी और बचपन से ही सुनने की समस्या से पीड़ित था और कुछ भाषा का विकास हुआ था । इम्प्लांट का स्विच ऑन एक महीने के बाद किया गया और बच्चा अब सुनने में सक्षम है । उन्होंने यह भी बताया कि सर्जरी के बाद उन्हें स्पीच थेरेपी के रूप में पुनर्वास से गुजरना होगा ताकि बच्चा स्पष्ट भाषण विकसित कर सके ।
डॉ तेजिंदर कौर खन्ना ने कहा, कि आज भारत में 26.6 करोड़ सुनने में असमर्थ हैं तथा ऐसे व्यक्तियों में अब तक से सिर्फ 25 हज़ार व्यक्तियों को दोबारा सुनने कि समर्था देने के लिए कॉक्लियर इम्प्लांट लगाया गया है । मूक- बधिर का मतलब है जब किसी व्यक्ति को सुनना बंद हो जाता है और बोलने में अक्षम होता है । सुनने से असमर्थ होने का मतलब है कि किसी व्यक्ति को 40 डेसीबल अधिक सुनने कि समस्या है । विश्व स्वास्थ्य संघठन (WHO ) के अनुसार पूरी दुनिया में 46.6 करोड़ लोगों को मूक बधिर की समस्या है, जिसमें से 22 .6 करोड़ भारतीय हैं तथा 3 . 4 करोड़ बच्चे हैं बालपन में होने