November 15, 2024

Deepak Mehla: दोस्तों करप्शन हमारे देश में इस तरह हावी है जैसे किसी शादी ब्याह में खामखा के खर्चों का दबाव जिसका इलाज सिर्फ कठोर फैसलों से ही हो सकता है। किसी भी सरकारी महकमों में चले जाइये आपका काम बिना रिश्वत के होगा ही नहीं जब तक की वो काम करने का तरीका पारदर्शी न हो।

क्या कोई सरकारी नौकर जो रंगे हाथ रिश्वत लेते हुए पकड़ा जाये और उसके पास से करोड़ो की बेनामी संपत्ति का पता भी निकाल लिया जाए तो क्या सरकार या फिर इस देश का संविधान उस अधिकारी के खिलाफ कोई कठोर कार्यवाही करेगा ?

क्या उस अधिकारी को दोबारा उस ऊँचे पद पर बैठा देना उचित है?

दोस्तों क्या आप जानते है की इन सरकारी नौकरो का एक गैंग तो सिर्फ शिकायतकर्ता पर दबाव देने वे समझौता करवाने के लिए बैठा हुआ है। क्यूंकि जिस कानून की आड़ में ये गुंडागर्दी करते है उसी कानून के तहत अगर कोई शिकायत करने वाला ही नहीं होगा तो फिर कार्यवाही किस नाम की।

चुप चाप समझौते का बहाना बनाकर शिकायतकर्ता के ऊपर इतना दबाव बनाया जाता है ही शिकायत करता खुद बा खुद अपनी शिकायत वापिस ले लेता है।
अब बताइये क्या करे ऐसे कानून का ?

अगर कोई शिकायतकर्ता किसी अधिकारी के खिलाफ रिश्वत की शिकायत देता है और उसे कई मजबूत सबूतों के साथ पकड़वा भी देता है तो कानून बनाने वाले को ये समझना चाहिए की शिकायतकर्ता का अब इस केस में कोई रोल नहीं रहा उसके आगे सरकार का काम शुरू हो जाता है जो मर्जी करें।

मगर हमारे सिस्टम में शिकायतकर्ता को बार बार जांच के नाम पर चक्कर कटवाए जाते है जानते है क्यों ? क्यूंकि दूसरा गैंग एक्टिव हो चूका है और समझौता करवाने की बात कहकर शिकायतकर्ता पर दबाव बनाना शुरू कर देता है और फिर शिकायतकर्ता के साथ नाचने गाने की नौटंकी शुरू

शिकायतकर्ता को एक दिन वाला राजा बना दिया जाता है और किसी लैला मजनू की तरह उससे सरकारी अधिकारियो द्वारा चाँद तारे तक के सपने दिखाए जाते है।

क्या किसी नेता में इतनी हिम्मत है जो जनता के लिए लड़े और कुछ ऐसे कानून पास करवाए जिससे कोई भी सरकारी अधिकारी किसी भी रिश्वत के जुर्म में पकड़ा जाये तो उससे सेवा से तुरंत बर्खास्त किया जाए और सख्त से सख्त कार्यवाही की जाये।

खेर आम जनता की उम्मीद तो यही होती है दोस्तों लेकिन होता कुछ नहीं। कम से कम 4-5 साल केस चलेगा और शिकायतकर्ता को इतना घिसा जायेगा और फिर तो आप जानते ही है क्या होगा

4-5 साल के बाद अधिकारी रुकी हुई पूरी 5 साल की सैलरी भी लेगा और आम लोगो का खून चूस चूस कर लूटी गयी ” कुछ ” रकम भी बच जाएगी। पूरी नहीं बचेगी दोस्तों क्यूंकि इस सरकारी तंत्र में कुछ भी मुफ्त में नहीं होता।

लेकिन क्या सिर्फ सरकारी अधिकारी ही करप्शन के जिम्मेवार है ?

पैसे की आंधी में पागल हुए अमीर व्यक्तीयों पर दौलत का नशा इस तरह से हावी होता है की अगर उनकी जिद कही अड़ जाये तो उन्हें ” उस समय दौरान ऐसे नशे का अहसाह होता है ” जैसे पूरी कायनात पलट जाएगी अगर उन्होंने अपनी जिद को हासिल नहीं किया तो। वो अहंकार में इस तरह डूब जाते है की उन्हें जिद के अलावा और कुछ नज़र ही नहीं आता।

शुरुआत यही से होती है जो काफी साल पहले शुरू हो गयी थी और जिसका रिजल्ट हम आज देख रहे है। सरकारी महकमों को रिश्वत की इतनी आदत हो चुकी है की पैसे देखें बिना न तो उन्हें नींद आती है और न ही अपनी जिमेवारी वाली कुर्सी पर बैठने के बाद उनकी आँख खुलती है।

इसका इलाज सिर्फ जागरूकता और सरकारी महकमों में पारदर्शिता है दोस्तों। जब भी आप किसी सरकारी महकमे में किसी भी काम करवाने बारे जाते है तो सबसे पहले अपनी काम की पूरी प्रोसेस को खोजने की कोशिश करें बिच में छोटे मोटे “चिल्लर वाले गल्ले” आपको पूरी वर्किंग प्रोसेस समझने में अड़चने ज़रूर पैदा करेंगे और यहाँ वहां की बातें बताकर गुमराह करने की कोशिश भी करेंगे।

सबसे कॉमन उदहारण है : पहले फाइल यहाँ जाएगी फिर वहा जाएगी इसके सिग्नेचर होंगे उसके होंगे लेकिन प्रॉपर प्रोसेस नहीं बताएँगे सिर्फ आपको डराएंगे। ठन्डे दिमाग से पूरे प्रोसेस को समझिये और जानिये की आखिर ये पैसे मांगने वाली समस्या फाइल के कोनसे नंबर पर जाने के बाद आयी।

जागरूक बनिए दोस्तों और सरकार को नए कानून बनाये जाने बारे याद ज़रूर करवाते रहिये ताकि इस बीमारी का जल्द से जल्द इलाज भी हो सके।

आप सरकार को करप्शन से नहीं जोड़ सकते क्यूंकि राजद्रोह हो जायेगा।
इसलिए उस समस्या के बारे में आप कमैंट्स में लिख दीजिये।

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अभी लिखना शुरू किया है और पहला आर्टिकल है और सिर पैर जोड़ने में थोड़ी प्रॉब्लम है जिसका अभ्यास जारी है तो कोई गलती हो तो माफ़ कीजिये और पसंद आये तो शेयर भी कीजियेगा।


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