December 22, 2024
31-May-8

कोरोना से मौत के बाद अस्थियां कर रही अपनों का इंतजार , कई परिजन नहीं लेने आये अस्थियां , समाजसेवी गंगा में जाकर करेंगे अस्थियां प्रवाहित ,देखें Live – Share Video

करनाल बलड़ी श्मशान घाट पर ये अस्थियां अपनों के इंतज़ार में , समाजसेवी मिलकर गंगा में जाकर करेंगे अस्थियां प्रवाहित , कोरोना के दौरान कई लोगों की मौत के बाद परिजन नहीं लेने आए अस्थियां , देखें – Live – Share Video

खिड़की से लटके हुए ये पैकेट किसी राशन के नहीं हैं बल्कि ये है हमारी असली हकीकत , ये है इस ज़िन्दगी की सच्चाई , जिससे इंसान हमेशा भागता है, इतना भागता है कि वो भूल जाता है कि उसे भी एक दिन राख में तब्दील होना, भूल जाता है कि ज़िन्दगी का भाग दौड़ वाला सफर यहां आकर शांति में बदल जाता है।

इस कोरोना काल में किसी ने अपने पिता को खोया तो किसी ने अपनी मां को, तो कोई अपने लाडले से दूर हो गया, तो किसी पति – पत्नी का सफर इस शमशान घाट पर आकर खत्म हो गया। लेकिन इस कोरोना काल ने रिश्तों की सच्चाई दिखाई , कौन अपना है और कौन अपना होते हुए भी पराया ये बताया।

पिछले कुछ दिनों में करनाल के बलड़ी श्मशान घाट पर 400 से ज़्यादा संस्कार हुए, ये संस्कार दिल्ली, उत्तप्रदेश, पंजाब , हरियाणा के अलग अलग ज़िलों से आए कोरोना का इलाज करवाने वाले लोगों के थे, जिनकी इलाज के दौरान कोरोना से मौत हो गई थी। उनका संस्कार हुआ उसके बाद परिवार वाले उनकी अस्थियां लेकर चले गए । लेकिन बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो अपने परिजन की अस्थियां लेने तक नहीं आए।

जो लोग अपने होने का दम भरते थे वो आज फूल चुगने से भी कतरा रहे हैं , ऐसा एहसास दिलवा रहे हैं कि जैसे उनका मरने वाले के साथ कोई रिश्ता ही नहीं था। करनाल के बलड़ी शमशान घाट पर करीब दर्जन भर अस्थियों को हिन्दू रीति रिवाजों के साथ पैकेट में बन्द करके रखा हुआ है।

15 दिन से ज़्यादा का समय हो गया है परिवार वाले फूल चुगने नहीं आए हैं। ऐसे में शमशान घाट पर पिछले कई दिनों से समाज सेवा कर रहे लोगों ने फैसला लिया है कि अगर 4 – 5 दिनों के भीतर कोई भी इन अस्थियों को लेने के लिए नहीं आता तो फिर वो हिंदू रीतिरिवाजों के साथ हरिद्वार जाकर इन अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करेंगे।

फिलहाल ये अस्थियां अपनो का इंतजार कर रही हैं , लेकिन लंबे समय से रखी ये अस्थियां ये सच्चाई बताती हैं कि आज के समाज में रिश्ते खोखले हो रहे हैं जो चला गया शायद उसने कभी सोचा भी नहीं होगा कि मेरे संस्कार के बाद मेरा कोई अपना मेरी अस्थियों को लेने तक नहीं आएगा ।

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