करनाल : भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सेवा सिंह आर्य ने कहा है कि 10 सितम्बर की रैली में अपने हकों के लिए केन्द्र सरकार द्वारा बनाये गये तीनों अध्यादेशों के खिलाफ पीपली अनाज मण्डी में जा रहे किसानों पर जिस प्रकार की ज्यादती की गई शायद वो अंग्रेजों के जमाने में हुआ करती थी।
जब किसान शान्तिपूर्वक तरीके से अपने दर्द को ब्यान करने के लिए पीपली के लिए निकले तो जगह-जगह हरियाणा सरकार ने पुलिस द्वारा नाके लगाए गये। किसानों को जहां पुलिस ने रोका वहीं किसान शान्तिपूर्वक तरीके से बैठ गए और धरना देने लगे बैठे हुए किसानों को भी डराया व धमकाया गया और अभद्र व्यवहार किया गया है यह एक केन्द्र सरकार व राज्य सरकार के लिए शर्मनाक घटना है और भारतीय किसान यूनियन आम जनता पर इस प्रकार की ज्यादतियों की निन्दा करती है।
आर्य ने बताया कि हरियाणा सरकार ने सभी किसान नेताओं को बहुत बुरी तरह से डराने की कोशिश की गई उनके घरों पर नोटिस चिपकाए गए कि कोई भी किसान रैली में ना जाए, जो किसान नेता रैली में जाएगा उनके खिलाफ दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी। एक दिन पहले किसान नेताओं की गिरफ्तारी कर ली गई।
जो मुख्य रूप राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सेवा सिंह आर्य, मण्डी प्रधान रजनीश चौधरी, सरदार सुखा सिंह, अजय सिंह घरौंडा व पूरे प्रदेश में इसी प्रकार कि कार्यवाही की गई और किसान नेताओं को पूरी रात बन्धक बनाकर के रखा गया ताकि वो किसान रैली में ना पहुंच सके। लेकिन गिरफ्तारी के बाद इस चीज का भी ध्यान नहीं रखा गया कि जो थाने कोरोना युक्त थे उन्हों थानों में लेजाकर 2 घण्टे तक बैठाये रखा, रात्रि 9 बजे सिटी थाने से बदलकर नेताओं को सिविल लाईन थाने में रखा गया और अगले दिन सांय 4 बजे छोडऩे की प्रक्रिया शुरू की गई।
कोर्ट में लेजाकर एसडीएम के सामने ना पेश करके पुलिस अधिकारियों को उनकी फाईल सौंप दी गई जबकि अधिकारियों का कर्तव्य बनता था कि वह किसी मजिस्टेट के सामने पेश कर के छोड़ देते। जिसके लिए किसानों में रोष है। यंहा कि पुलिस का व्यवहार ठीक रहा।
आर्य ने कहा है कि किसान तीनों अध्यादेशों के खिलाफ रोष प्रकट कर रहे थे उसमें किसी पार्टी का कोई भी लेनदेन नहीं था। हरियाणे के कृषि मंत्री जे.पी. दलाल का यह कहना कि फंला पार्टी या विपक्ष के उकसावे में किसान आन्दोलन कर रहे हैं। यह एक हास्यपद ब्यान है।
आर्य ने कहा कि कृषि मंत्री जी इस आन्दोलन के अन्दर हर पार्टी का किसान था। इस में बीजेपी, कांग्रेस, लोकदल, सीपीआई, सीपीएम, आढ़ती, मुनीम भी शामिल हुये जो किसान थे। किसानों को अब अपने भविष्य की चिन्ता सता रही है कि उनकी आने वाली पीढिय़ों का क्या हाल होगा।
कृषि मंत्री का यह कहना इस रैली में कांग्रेस का सहयोग रहा है यह उनके दिल की नाकारात्मक सोच है। किसान भारतीय किसान यूनियन के कहने पर इस रैली में पहुंचे और शान्तिपूर्वक तरीके से उन्होंने प्रदर्शन किया, लेकिन आपकी सरकार ने जो काम अंग्रेज नहीं किया करते थे, किसानों के साथ जितनी भी ज्यादती की जायेंगी, उतना ही उग्र रूप किसान लेता चला जायेगा।
किसानों की एक कहावत है जब लाठी लागेगी तो पीड़ होगी, तो किसान उठेगा और आन्दोलन करने के लिए कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश करेगा। आने वाले समय में किसान पीपली लाठीचार्ज व उन्हें प्रताडि़त करना को किसान अन्तिम समय तक याद रखेंगे। किसान के उपर पड़ी एक-एक लाठी इस सरकार के कफन की कील साबित होगी।
आज प्रजातंत्र में वो काम आपकी सरकार ने कर दिये। किसानों को कोरोना के नाम पर धमकाया व डराया गया कि कोरोना का युग है किसान इससे भलीभांति परिचित हैं इस बिमारी से तो किसान दवाई लेकर बच जायेंगे जो तीन अध्यादेश अमरीका व डब्ल्यूटीओ के दबाव में आकर हमारे प्रधानमंत्री व केन्द्र सरकार ने इसी कोरोना के बीच में राष्ट्रपति तक की मोहर लगवा दी व पास करने तक की तैयारी कर दी क्या तब कोरोना नहीं दिखाई दिया।
किसानों का कहना है कि हम कोरोना से नहीं मरेंगे लेकिन भूख से जरूर मर जायेंगे। हमारे देश की विदेशी कृषि की अलग-अलग नीतियां है, अलग तरह की जलवायु और परिस्थितियां हैं, दुसरे देशों के किसानों को कृषि पर 87 प्रतिशत तक की सबसिडी दी जाती है। क्या भारत में ऐसा किया गया है। भारत में बताया गया था डब्लयु टी के डॉ. लामी के पूछने पर कहा था हमारे देश की सरकार किसानों को नैगटिव 67 प्रतिशत सबसिडी देते हैं इसका मतलब घाटे की सबसिडी, यहां का किसान कर्जे के दबाव में आ चुका है। किसानों को सहारे की जरूरत है।
केन्द्र सरकार दूसरे देशों के दबाव में आकर के अपने देश के किसानों एवं जनता को मारने का प्रयास न करे। केंद्र सरकार को चाहिये कि यह तीनों अध्यादेश वापिस लेकर किसान के हित में काम करे।
किसानों की मांग है कि तीनों अध्यादेश तुरन्त वापिस लेकर पूरे देश में मण्डीकरण चालू किया जाए व एमएसपी चालू रहना चाहिए। व्यापारी मण्डीयों से ही खरीद करे क्योंकि बाहर किसानों को बिना दबाव के लूटेगा। जैसे बिहार, उड़ीसा, यूपी, राज्यस्थान, एमएसपी से भी 500 से 1000 रूपये तक कम में जीन्स बिकती है ऐसा ही हरियाणा में हो जायेगा।
किसानों को कर्ज मुक्त किया जाये। जिन जिन किसान व दुसरी संस्थाओं ने इस रैली में भाग लिया उन सभी संस्थाओं व किसानों का धन्यवाद