December 23, 2024
kaushik

वैदिक ब्राह्मण कल्याण परिषद् रजि. के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष कौशिक जी ने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा जम्मु कश्मीर में धारा 370 व 35-ए को हटाना एक साहसिक व इतिहासिक कदम बताया। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने प्रेस नोट जारी करते हुए कहा कि ऐसा कदम उठाने के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति, समर्पण, ईरादों में मजबूती व देश भक्ति का भाव मन में होना चाहिए। यह सच है कि धारा 370 हमारे लिए एक धब्बा था और वर्तमान सरकार ने हटा कर विगत सरकारों द्वारा की गई गलती को सुधारा है। जम्मु कशमीर राज्य को जो विशेष दर्जा दिया गया था उसको खत्म करना एक स्वागत करने योग्य कार्य है और सभी भारतवासियों को आश्वस्त होना चाहिए कि देश अब सुरक्षित हाथों में है।

कौशिक ने जम्मु व कशमीर के हालात शीघ्र ही समान्य होने की आशा जताई और कहा कि केन्द्र सरकार के इस कदम से इस राज्य में तेजी से औद्योगिक विकास होगा, पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और राज्य विकास की पटरी पर दौड़ेगा।
कौशिक के मांग की पुर्ण भारतवर्ष में एक समान नागरिक आचार संहिता होनी चाहिए और सभी नागरिकों के साथ एक समान व्यवहार होना चाहिए। धर्म के आधार पर तुष्टीकरण की नीति नहीं अपनानी चाहिए। प्रधानमंत्री जी को जनसंख्या के नियंत्रण हेतु भी साहसिक कदम उठाना चाहिए। जनसंख्या विस्फोट के कारण देश के संसाधन सिकुड़ते जा रहे हैं।

वी.बी.के.पी. अध्यक्ष ने मांग की, राम मंदिर का निर्माण बी.जे.पी. के चुनावी घोषणा-पत्र में शामिल है इसलिए इसे हर हाल में पूरा करना चाहिए। पाक नियंत्रित कशमीर को भी अपने नियंत्रण में लेना होगा जो कि 1947 में आक्रमणकारियों द्वारा हथिया लिया गया था, लेकिन भारतीय फौजों द्वारा अपने नियंत्रण में लेने के बावजूद भी पंडि़त जवाहर लाल नेहरू द्वारा लिया गया गलत निर्णय हमें आज तक पीड़ा दे रहा है गलती को अब सुधारने का समय आ गया है।

राष्ट्रीय महासचिव आर.एम. शर्मा कोषाध्यक्ष नंद किशोर शर्मा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राज कुमार शर्मा, राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष अनीता शर्मा, गोपाल शर्मा, एडवोकेट सुरेन्द्र शर्मा, बलदेव राज शर्मा, राजेश्वरी शर्मा, प्रेम कौशिक, सतीश शर्मा, पवन भारद्वाज, राजु कौशिक, रमेश कौशिक, सुनील वशिष्ट, के.एल. आचार्य, डॉ. महेन्द्र आचार्य, संजय उपाध्याय, एस.एन. आचार्य, अरूण आचार्य, अर्जुन आचार्य, वीरेन्द्र आचार्य, रमेश शर्मा, प्रकाश शर्मा, कलावती शर्मा, जितेन्द्र शर्मा, आभा पाण्डेय, त्रिलोकी नाथ, लोक नाथ ने अपनी सहमति जताई।

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