November 24, 2024

समाधानांचल की राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट संतोष यादव द्वारा चलाए जा रहे त्रिवेणी लगाने के पुण्य कार्य को आगे बढ़ाते हुए आज डा. दुर्लभ बिश्नोई एवं डा. सरिता बिश्नोई के सहयोग से एनडीआरआई के समीप कब्रिस्तान में 290 एवं 291वें त्रिवेणी लगाई और लोगों को ज्यादा से ज्यादा त्रिवेणी लगाने के लिए प्रेरित किया।

इस अवसर पर डा. दुलर्भ बिश्नोई ने बड़, नीम और पीपल (त्रिवेणी) के पौधे रोपित करते हुए कहा कि त्रिवेणी हमें प्राकृतिक शक्तियों के नजदीक ले जाती हैं। समाजसेवा के क्षेत्र में समाधानांचल द्वारा लगाई जा रही ये त्रिवेणियां बड़ी होकर भविष्य में प्रकृति की पहरेदार बनेगी। उन्होंने कहा कि बादलों को हर साल बुलाकर वर्षा लाने में सहायक होती है ये त्रिवेणियां।

उन्होंने कहा कि हर वो इंसान जो श्रद्धाभाव एवं अध्यात्मिक भाव से त्रिवेणी को लगाता व लगवाता है या इसका पालन-पोषण करता है उसका कोई भी सात्विक कर्म विफल नहीं होता। उन्होंने कहा कि त्रिवेणी लगाने से एक मानसिक सुख की अनुभूति महसूस होती है। त्रिवेणी लगाने से भविष्य में सकारात्मक लाभ प्राप्त होता है इसलिए हमें स्वयं ही नहीं बल्कि दूसरों को भी त्रिवेणी लगाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

इस अवसर पर डा. सरिता बिश्नोई ने कहा कि त्रिवेणी लगाना संसार का सबसे श्रेष्ठतम एवं पुण्य कार्य है। बारिश बाढ़ नहीं बरकत लेकर आए इसका एकमात्र उपाय भी त्रिवेणी है। त्रिवेणी (बड़, नीम, पीपल) का शास्त्रोंं में विशेष महत्व है। जैसे-जैसे यह त्रिवेणी बढ़ती है वैसे-वैसे आपकी सुख-स्मृद्धि भी बढ़ती जाती है। उन्होंने कहा कि हर इंसान के थोड़े-थोड़े योगदान से एक बड़ी चीज का निर्माण होता है। रातो-रात कुछ नहीं बदला जा सकता।

जब एक बीज बोते हैं तो उसे भी बढऩे में समय लगता है। उन्होंने कहा कि दूसरों की भलाई के लिए जो सांसे हमने जी हैं, वही जिन्दगी है। जहां त्रिवेणी लगी होती है वहां हर पल-हर क्षण सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह चलता रहता है।

इस मौके पर केनरा बैंक के सीनियर मैनेजर दीपक यादव ने कहा कि त्रिवेणी में सभी देवी-देवताओं और पितरों का वास माना जाता है। त्रिवेणी हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहने का संदेश देती है। कहा कि ये जो पर्यावरण की लड़ाई है वो न्याय की लड़ाई है। हम ये मानते हैं कि वन, जलवायु और पर्यावरण सभी के सांझे सरोकार हैं और इन सांझे सरोकारों का निबाह करना भी हम सभी का दायित्व है। उन्होंने कहा कि ये त्रिवेणी एक साधारण वृक्ष ना होकर इसका अध्यात्मिक महत्व है। त्रिवेणी को शास्त्रों में स्थाई यज्ञ की संज्ञा दी गई है।

इस मौके पर डा. एसके सिंघल, सहर्ष सिंघल, जसमीत मल्होत्रा, आर्टीटेकट हार्दिका, प्रदीप एवं राघव सहित अन्य उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.