प्रजापति ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेक्टर सात शाखा की ओर से लोहड़ी पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया। इस मौके पर लोहड़ी पर्व का आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए सेक्टर सात केंद्र की प्रमुख ब्रह्माकुमारी प्रेम दीदी ने कहा कि लोहरी अर्थात अपनी आत्मारूपी लौ को हरी की यानि प्रभु की लौ के साथ जोडऩा। इस दिन अग्नि प्रज्जवलित करना योग अग्नि
प्रज्जवलित करने का सूचक है। इस दिन मीठे व तिल का भी महत्व है।
आत्मा रूपी तिल जब मधुरता के सागर परमात्मा से जुड़ जाता है तो उसके अंदर भी मिठास आ जाती है। यह पर्व संगमयुग का प्रतीक है जब परमात्मा आकर आत्माओं को राजयोग की शिक्षा कलयुग अंत सतयुग आदि के संगम पर आकर देते हैं तो आत्मा अपने अंदर होने वाले विकारों, बुराइयों, निकृष्ट कार्यों व बुरे संस्कारों, काम, क्रोध, लोभ, ईष्र्या व संशय रूपी जालों को योगाग्नि से भस्म करती है।
उसी स्मृति में लकडिय़ों, उपलों, काटों से अग्नि जलाई जाती है उसमें मक्की के फुल्ले, मुंगफली रेवड़ी आदि डाली जाती है। सभी इक्टठे होकर खाते, पीते, नाचते गाते खुशियां मनाते हैं। यह बात इस चीज की प्रतीक है कि हम सब एक पिता परमात्मा के बच्चे आपस में भाई-भाई हैं। यह हमारा ईश्वरीय परिवार है। सक्रांति को पतंग उड़ाई जाती है जैसे पतंग डोर से बंधी होने पर ही उंचाइयों को छूती है वैसे ही परमात्मा की श्रेष्ठ मत पर चलने पर ही आत्मा की उन्नति होती है।
वह सुख शांति का अपने जीवन में अनुभव करती है। इस मौके पर राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी शिखा बहन, भ्राता जेआर कालड़ा, रूप नारायण चानना व शमशेर संधु ने भी सबको शुभकामनाएं दी। नन्हीं बालिका खुशी ने सुंदर मुंदरिए गीत कर नृत्य कर सबका मन मोह लिया। एनएल वर्मा व रितेश विज ने भी अपने गीतों से सबको खुश कर दिया। इस मौके पर सैकड़ों की तादाद में एकत्रित जनसमूह ने लोहड़ी मनाई।
इस मौके पर महिंद्र संधु, नरेश मेहता, हरी कांबोज, संजीव मेहंदीरता, आरके राणा, छवि चौधरी, सुनीता मदान, विमला मेहता, शशि मेहता, महिंद्र पाल सचदेवा, राजेंद्र हांडा, सुरिंद्र नागरू, रामनिवास गुप्ता, सतीश गोयल, सुरेश गोयल, बीके शिविका, रीना, काजल, निशा, सुरेश संधु व राकेश मित्तल मौजूद रहे।