लिवर ओर पेट की बढ़ती बीमारियों के लिए देखें हमारी यह विशेष रिपोर्ट ! देश के जाने माने प्रसिद्ध गेस्ट्रोलॉजिस्ट डॉक्टर अनिल अरोड़ा (गंगा राम हॉस्पिटल ) का कहना है कि बहुत से लोग मरीज की जांच करवाएं बिना ही उसको अंदाजे से दवाई दे देते है जो कि बहुत खतरनाक है , देश के 15 प्रतिशत मरीजों का लीवर टी बी की गलत दवाईयों की वजह से खराब हो रहा है !
जिन महिलाओं को गर्भाधारण में दिक्कत होती है उनको भी दवाईयों में टी बी की दवाई देने की बातें सामने आ रही है, जो कि महिलाओं की सेहत पर बुरा असर डाल रहा है ! देश के जाने माने डॉक्टर अनिल अरोड़ा ने कहा कि इंडोस्कोपी अल्ट्रासाउंड, डबल बैलून इंडोस्कोपी एवं सिटी स्कैन से टी बी की जाँच संभव है, दुर्भाग्य की बात यह है कि आज भी देश के बहुत से हॉस्पिटल में यह सुविधाए उपलब्ध नहीं है !
अमूमन डॉक्टर द्वारा खांसी ,कफ एवं मानटाक्स रिपोर्ट के आधार पर दवाएं शुरू कर दी जाती है ! टी बी के रोग का होने पर दवाई का 9 महीने का कोर्स होता है ,ऐसे में बिना बीमारी के भी दवाईयों के सेवन से लीवर पर बुरा असर पड़ता है ! सर गंगाराम अस्पताल से गैस्ट्रोएन्टराइटिस लिवर विभाग के प्रमुख डॉ अनिल अरोड़ा ने बढ़ती लिवर के बीमारियों का बड़ा कारण प्रदूषण को भी माना है !
डॉक्टर अरोड़ा का कहना है कि लिवर की बीमारियां खासकर सर्दी में बढ़ जाती हैं , साथ ही सर्दी में मीठे के ज्यादा सेवन से भी लिवर को नुकसान पहुंच सकता है जिससे भी बचना चाहिए,आजकल बड़े शहरों में एक समस्या जो आम होती जा रही है वो है लिवर में सूजन का पाया जाना ,इससे फैटी लिवर या हेपेटाइट्स-बी भी कहते हैं बढ़ते प्रदूषण के कारण लिवर के आसपास गंदगी जमा हो रही है !
मीठे के साथ शराब का सेवन करने से लिवर की सहन क्षमता भी खत्म हो जाती है ,डॉक्टर अरोड़ा ने कहा कि लिवर को सुरक्षित रखने के लिए रेगुलर इलाज कराते रहना चाहिए और जिनका लिवर 80 प्रतिशत खराब है उन्हें तो सर्दी में शराब और मीठे का उपयोग बिल्कुल नही करना चाहिए !