सरकार और शिक्षा विभाग द्वारा किए गए भेदभाव से पीडि़त जेबीटी ने लोगों की कारों पर कपड़ा मार कर सफाई की। पुरुषों के साथ-साथ महिला शिक्षकों ने भी सरकार को शर्मसार करने के लिए यह कदम उठाया। मोटरसाइकिल व स्कूटर सवारों को हेलमेट लगाने व उसके महत्व के बारे भी समझाया। पढ़े लिखे युवाओं को इस तरह से कारें साफ करता देख लोग भी हैरान रह गए। कारों से बाहर निकलकर लोगों ने जब इन जेबीटी से बात की तो महिला अध्यापक अपनी व्यथा सुनाते-सुनाते रो पड़ी। किरण मलिक ने कहा कि सरकार और शिक्षा विभाग दोहरे मापदंड अपना रहे हैं। एक जैसी संपूर्ण योग्यता रखते वाले 178 जेबीटी को ज्वाइदिंग दे दी गई, जबकि बाकी को होल्ड पर रख दिया गया। उन्हें रिजेक्ट भी नहीं किया गया, लेकिन नौकरी से बाहर रखा गया है। उन्होंने कहा कि ये वह पीडि़त जेबीटी अध्यापक हैं, जिनको 317+84 को फोरेंसिक लैब ने नो डेफिनैट बताया था। 10 महीनों बाद सरकार ने इनमें से 178 को सही बता कर ज्वाइनिंग दे दी और बाकि को नो ऑपिनियन कहकर इनके साथ भेदभाव किया। हालांकि लैब ने इनको रिजेक्ट नही बताया है। उन्होंने कहा कि वह रिजेक्ट नही है फिर उनके साथ ये अन्याय क्यों किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब 178 को ज्वाइनिंग दी जा सकती है तो सभी क्यो नही दी जा रही। इस अवसर पर राजकीय प्राथमिक शिक्षा संघ के प्रदेश अध्यक्ष पवन ने जेबीटी का हौंसला बढ़ाया। इस अवसर पर प्रोमिला, किरण मलिक, अनिल सैनी, अजय, मुकेश नरवाल, देवेंद्र, राजेश व किरण मौजूद रहे।