December 22, 2024
sept13

करनाल/दीपाली धीमान : महाप्रभावी श्री घंटाकर्ण देवस्थान पर विशेष कृपा दिवस कृष्ण चौदस के उपलक्ष्य में मासिक श्रद्धालु संगम का आयोजन श्रद्धा-भक्ति, आस्था तथा समर्पण के मंगलमय वातावरण में संपूर्ण हुआ। सूर्योदय से भक्तों का कतारबद्ध आगमन शुरू हुआ जो देर सांझ तक अनवरत रूप से चलता रहा।

सर्वप्रथम श्री घंटाकर्ण बीजमंत्र के सामूहिक जाप से दैवी शक्ति का आह्वान करते हुए लोकमंगल की कामना की गई। साध्वी जागृति, कर्मवीर चौहान, जयपाल सिंह, अनिता जैन, मधु गुप्ता, वीणा गोयल, पुष्पा गोयल आदि ने सुमधुर भजनों से समां बांधा और श्री घंटाकर्ण देव का आह्वान करते हुए उनकी मंगलमय कृपा की याचना की है।

यह पावन भूमि यहां बार-बार आना, आकर घंटाकर्ण जी के चरणों में झुक जाना, आ गए घंटाकर्ण जी तेरे नाम दे पुजारी, नाम दे पुजारी साहनूं दिओ दर्शन इक वारी, मुझे रास आ गया है तेरे दर पर सर झुकाना, तुझे मिल गया पुजारी मुझे मिल गया ठिकाना, घंटाकर्ण जी सुन लेना एक सवाल दीवाने का, अगर समझ में आ जाए तो भक्तों को समझा देना, दादा देने वाले हैं हम लेने वाले हैं आज खाली हाथ नहीं जाना जिसे चाहिए वो हाथ उठाना आदि भजनों ने सभी को भक्ति में झूमने को मजबूर किया।

महासाध्वी श्री प्रमिला जी महाराज ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारतीय संस्कृति में भक्ति आत्मा को परमात्मा तक पहुंचाने का माध्यम है। भक्तिपूर्ण समर्पण से असंभव को भी संभव किया जा सकता है और पराशक्तियों की दैवी कृपा से अलौकिक सफलता पाई जा सकती है।

श्री घंटाकर्ण जी महाप्रभावी, भक्तवत्सल देवता हैं जिनकी कृपा व्यक्ति को निहाल तथा मालामाल कर देती है। इनमें भक्तों के संकटों को टालकर भक्त के जीवन को निर्विघ्न मनाने की अप्रतिम क्षमता है। परालौकिक शक्तियां भक्ति से प्रसन्न होकर कंगाल को मालामाल, साधनहीन को साधनसंपन्न तथा दर-दर ठोकरें खाने वाले को भी शाही ठाठ-बाट से युक्त बना देती हैं।

श्री घंटाकर्ण जी सभी भारतीय परंपराओं के सर्वमान्य परोपकारी, जनहितैषी ऐसे देवता हैं जिनके अनुकूल होने पर सारी तकलीफें काफूर हो जाती हैं और जीवन- पथ गुलाब की पंखुड़ियों की तरह सुकोमल तथा सुगमता से चलने योग्य बन जाता है। अंधेर पक्ष की चतुर्दशी श्री घंटाकर्ण देव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाकर अपने जीवन को सुख संपन्न बनाने का विशेष अवसर है जिस दिन देव दरबार में हाजिरी लगाकर अपना कुशल-मंगल, आनंद- क्षेम सुनिश्चित किया जा सकता है।

परमात्मा तथा देवपुरुष के शरण में जाने वाला प्रभु के प्रसाद (कृपा) से परम शांति तथा सनातन परम स्थान को प्राप्त करता है। श्री घंटाकर्ण भक्तों पर अनुग्रह कर उनकी झोलियां सुखों से भरने वाले वात्सल्य वृत्ति के महाप्रभावी देवता हैं जिनकी सिद्धपीठ उत्तर भारत के अनेक परंपराओं से जुड़े भक्तों की श्रद्धा का केंद्र है। इनके भक्त को कोई अभाव नहीं रहता बल्कि हर प्रकार सद्भाव बना रहता है।

आरती तथा प्रीतिभोज की सेवा कैपिटल स्मॉल फाइनेंस बैंक के कार्यकारी निदेशक श्री मुनीश जैन जालंधर निवासी की ओर से रही। संस्थापक प्रेरक राष्ट्र संत वाचनाचार्य श्री मनोहर मुनि जी महाराज की 97वीं जन्म जयंती पर करनाल-इंद्री-यमुनानगर राजमार्ग पर गुरुभक्तों की ओर से कड़ी-चावल, छोले-पूरी तथा हलवे का विशाल भंडारा लगाया गया जिसमें हजारों यात्रियों ने प्रसाद ग्रहण किया। कर्मवीर सिंह, रमन गोगी आदि ने भंडारे वितरण में सेवा दी।* सारा दिन मंदिर परिसर में भक्तों की भारी चहल- पहल रही।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.