November 16, 2024

करनाल/कीर्ति कथूरिया :  प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सेक्टर सात सेवा केंद्र की ओर से विराट आध्यात्मिक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। देश के अलग-अलग राज्यों से कवियों ने शिरकत की।

मुख्य अतिथि के रूप में प्रितपाल सिंह पन्नु ने अपने विचार रखते हुए कहा कि इस देश का इतिहास ही कवियों ने बदलवाया। संत तुलसीदास ने काव्य के अंदर रामायण रचना की। उस तुलसीदास की रामायण ने हिंदुस्तान में एक ऐसी क्रांति पैदा की, जिससे करोड़ों घरों में काव्यपाठ होता है।

उन्होंने कहा कि गुरुनानक देव भी महान संत थे, गुरु थे, कवि थे। उन्होंने जो कुछ कहा काव्य रूप में कहा। दुनिया को बदलने की बात हो या प्रभु से जुडऩे की बात उसे काव्य रूप में कहा। सभी कवियों सहित कुछ विशिष्ट लोगों ने भी मिलकर दीप प्रज्जवलन किया। बीके नंदलाल वर्मा ने स्वागत संगीत सबको सुनाकर स्वागत किया।

नन्ही बालिका रितिका ने अपने स्वागतनृत्य से सबको भाव विभोर कर दिया। कवि कमलेश पालीवाल ने कहा कि मत समझो आजादी पाकर पूरा अपना काम हुआ है दुशमन दिख जाते हैं नहीं अभी तक काम तमाम हुआ है। कावित्री डा. सविता गर्ग ने कहा अहम के कारण आसमान को छूते पर्वत खिसके हैं, महल अटारी किसी और के होंगे, आज वो जिसके हैं।

सुशील हसरत नरेलवी ने कहा कि अपना दिल जिसने फकीराना किया है आदे जमजम का मजा उसने लिया है। कवित्री उर्मिला कौशिक ने कहा ये माना के जमी तेरी ये माना के शजन तेरा परिंदे को मगर फिर भी घरौंदा तो बनाना है। कवित्री तुलिका सेठ ने कहा मां की ममता की सुधा सबका प्राणाधार, बच्चों को उससे मिलने बुद्धि विवेक विचार।

कवित्री डा. अंजु शर्मा ने कहा बाबा मैं तेरा ही वंदन करूं तेरा ही अभिनंदन करूं, हर समय तेरा ही सिमरण करूं, तुम्ही हो कल्याणकर्ता तुम्ही हो मैं नमन करूं। डा. प्रतिभा माही ने कहा बाबा मुझे तेरा दर मिल गया, जीने का मुझको हुनर मिल गया।

एक अन्य कावित्री ने कहा चोट मैं जिससे खाए बैठी हूं दिल उसी से लगाए बैठी हूं। डा. अवतार सिंह ने कहा कि कविता चेतना के उच्च धरातल से निकलती है इसमें श्रीमद् भागवत गीता को भी गीता ही कहा है।

माउंट आबू से पहुंचे भ्राता भानु प्रताप ने कुशल मंच संचालन करते हुए ज्ञान की छटा सब पर बिखेरी, मां की महिमा सुनाई व सुंदर गीतों से सबको सराबोर किया। राजयोगिनी प्रेम दीदी नेशनल कोर्डिनेटर आर्ट एंड कल्चर विंग ने कहा कि भारत जो स्वर्णिम भारत था सतयुग में, हमें मिलजुल कर फिर से उसे स्वर्णिम बनाना है।

उससे पहले दृढ़ संकल्प से हमें अंदर से विकारों का सारा खोट निकाल कर खुद को सुच्चा स्वर्ण यानि सोना बनाना है। दिव्यगुणों को धारण करना है। सभी कवियों का सम्मान पगड़ी पहना कर, हार तिलक, सिरोपे व गुलदस्ते भेंट कर किया गया।

सभी कवियों को ईश्वरीय सौगात दी गई। इस मौके पर एडवोकेट सुरेश खन्ना, डा. डी.डी. शर्मा, एससी वोहरा, एसआर दीक्षित, एसके शर्मा, कर्नल मेहता, के.बी. मल्होत्रा, डीएस भारती, सुरेश गोयल, राजिंद्र हांडा, अनिरूद्ध कालरा, डा. एनके महानी, डा. के.के. चावला, महिंद्र संधु, यश अरोड़ा, बी.के. शिखा, शिविका, आरती, सुमन, सारिका, काजल, संजना व ज्योति आदि मौजूद रहे।।

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