करनाल/कीर्ति कथूरिया : दस लक्षण महापर्व के उपलक्ष में श्री दिगम्बर जैन मंदिर करनाल में आज 26.09.2023 को उत्तम त्याग धर्म को अपनाने की भावना से प्रात:कालीन अभिषेक व शान्तिधारा के पश्चात पूजा-विधान पू. क्षुल्लक श्री प्रज्ञांश सागर जी महाराज के सानिध्य में सम्पन्न किया गया।
इस अवसर पर उपस्थित भक्तों को क्षुल्लक श्री ने कहा कि महान आत्माओं ने अपने उपदेशों में सदैव यह बताया है कि शान्ति विलासिता या ग्रहण करने में नहीं है, शान्ति तो त्याग करने से ही मिलती है। उदाहरण देकर समझाया कि खा तो लिया अगर विसर्जन नहीं किया तो क्या होगा। सभी जानते हैं पीड़ा होगी अर्थात अशांति होगी।
इसी प्रकार कमा-कमा कर भरने से सुख नहीं मिलता यह मात्र सुखाभाश है। शांति अर्थात सुख तो इस कमाई में से कुछ परोपकार के लिए दान देकर त्याग धर्म का पालन करने से ही मिलता है। इस जीवन में यश मिलता है और परलोक में वैभव प्राप्त होता है। बस दान देते समय एक बात का अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि दान केवल सुपात्र को ही दिया जाए, जुआरी, शराबी, नशेड़ी, दुराचारी को दान देने से इस जन्म में अपयश मिलेगा और परभव में नर्क के कष्ट।
उत्तम त्याग धर्म के लिए कहा गया है-
‘‘उत्तम त्याग कहयो जग सारा, औषध शास्त्र अभय आहारा।’’
त्याग धर्म के पालन के लिए चार प्रकार के दान उत्तम रहते हैं- बीमार के लिए औषध दान, ज्ञान के लिए शास्त्र दान, कमजोर डरे हुए को अभय दान और भूखे को आहार अर्थात भोजन दान। इससे दान देने वाले और दान पात्र दोनों का जीवन संवरता है।
आज दुधारस पर्व के उपलक्ष में जैन स्कूल व समाज के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। णमोकार मंत्र को सामूहिक नृत्य के द्वारा प्रस्तुत किया, सामूहिक भजन व गीत गायन व समाज में व्याप्त कुरीतियों पर लघु नाटिका की प्रस्तुती दी गई।
आज त्यागी वृति आत्माओं आशू जैन, उमंग जैन, सम्भव जैन, श्रीमती शिल्पी जैन और श्रीमती राशि जैन का सातवें दिन का उपवास चल रहा है जिसमें पूरे दिन में एक बार मात्र थोड़ा-सा गर्म जल ग्रहण किया जाता है। सभी उपस्थित भक्तजनों ने इन भव्य आत्माओं को बहुत-बहुत शुभकामनाएं व आशीर्वाद प्रदान किया है। ये सभी पुण्य त्यागी आत्माएं नित्य पूजा-विधान में भाग ले रही हैं।