राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा के गुरुग्राम स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में सात साल की बच्ची के डेंगू के इलाज के लिए 15 लाख 59 हजार रुपये का बिल थमाने के मामले में राज्य सरकार ने अस्पताल को दोषी करार दिया है. इसमें बच्ची की मौत भी हो गई थी.
इस बाबत हरियाणा सरकार को तीन सदस्यीय टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है, जिसके बाद राज्य सरकार ने हॉस्पिटल के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है. हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि मामले में राज्य सरकार फोर्टिस हॉस्पिटल के खिलाफ कार्रवाई करेगी. हॉस्पिटल ने लामा प्रोटोकॉल नहीं माना और बच्ची के परिजनों से हर मामले में ज्यादा फीस वसूला.
विज ने बताया कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को भी खत लिखकर फोर्टिस हॉस्पिटल का लाइसेंस रद्द करने को कहा गया है. उन्होंने कहा कि यह एक तरीके की हत्या है. लिहाजा मामले में हरियाणा सरकार एफआईआर दर्ज कराने जा रही है. उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304-A के तहत मामला दर्ज कराया जाएगा. उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने लीगल विभाग को एफआईआर दर्ज कराने की सिफारिश भेजी है.
स्वास्थ्य मंत्री विज ने कहा कि हॉस्पिटल ने बच्ची के परिजनों से धांधली की और ज्यादा फीस वसूली. सस्ती दवाइयों की जगह महंगी दवाई दी गईं. 25 बार प्लेटरेट्स चढ़ाए गए और ज्यादा से ज्यादा रकम वसूली गई. विज ने बताया कि फोर्टिस हॉस्पिटल के ब्लड बैंक के लाइसेंस को भी रद्द करने का आदेश दिया गया है.
इससे पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा इसे बेहद गंभीर मामला बताया था और पूरे मामले की जांच के आदेश दिए गए थे. उन्होंने आश्वासन दिया था कि मामले की जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद फोर्टिस अस्पताल के खिलाफ जरूरी कार्रवाई की जाएगी.
क्या था मामला
दिल्ली के द्वारका निवासी जयंत सिंह की सात साल की बच्ची को डेंगू हो गया था, जिसके चलते उसको रॉकलैंड में भर्ती कराया गया था, जहां से बाद में उसे दिल्ली से सटे गुरुग्राम स्थित फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट रेफर कर दिया गया था. आद्या यहां पर कई दिन तक भर्ती रही और फिर उसकी मौत हो गई थी. साथ ही हॉस्पिटल ने बच्ची के इलाज के लिए परिजनों को 15 लाख 59 हजार रुपये का बिल थमा दिया. जब मामला सामने आया, तो केंद्रीय मंत्री ने मामले में जांच के आदेश दिए थे.