करनाल: झुग्गी झोपड़ी के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देकर उन्हें काबिल बनाने का ख्वाब कोई रचनात्मक संवेदनशील मन ही कर सकता है और आज के पैसे के अंधे प्रतिस्पर्धी युग में जब रिश्ते नाते दाव पर हैं, ऐसे में किसी दूसरे के लिए वक्त देना, किसी के जीवन और सपनों के बारे में सोचना तो नामुमकिन सा लगता है, लेकिन करनाल के रंबा रोड स्थित बुद्धा ग्रुप ऑफ इंस्टीटयूशनस (कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ) में बेचुलर ऑफ फाइन आर्ट की फर्स्ट इयर की स्टूडेंट शिवानी ने ना केवल अपने जीवन में 100 से अधिक मेडल हासिल किए हैं बल्कि देश या देश से बाहर लगी प्रदशर्नियों में भी अपनी प्रतिभा का जबरदस्त लोहा मनवाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, सदी के महानायक अभिताभ बच्चन, रविंद्रनाथ टैगोर, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी, महात्मा बुद्ध सहित हर किसी तस्वीर में कलाकार शिवानी ने अपनी प्रतिभा के अनूठे रंग डालकर उसे सजीव रूप दे दिया है।
लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड पेंटिंग में ऑनलाइन हिस्सेदारी लेकर वह अपनी कला का प्रदर्शन कर चुकी है। मूलरूप से पानीपत की रहवासी शिवानी मशहूर पेटिंग कलाकार राजा रवि वर्मा की तरह अपनी पहचान बनाना चाहती है। विश्व विख्यात पेंटिंग कलाकार पिकासो से भी वे जबरदस्त प्रभावित हैं।
बुद्धा ग्रुप ऑफ इंस्टीटयूशनस के एमडी नितेश गुप्ता का कहना है कि शिवानी पेंटिंग में अपने देश का प्रतिनिधित्व करना चाहती हैं, इसके लिए वे दिन- रात घंटों मेहनत करती हैं।
शिवानी की कला को उड़ान देने के लिए सरकार ने तो कोई सहयोग नहीं किया लेकिन पानीपत व आसपास के कुछ कलापसंद लोगों मसलन राजपाल सर, आर्ट शिक्षक प्रदीप मलिक इसराना, डा. पूनम ने शिवानी को आगे बढ़ाने में मदद की है लेकिन शिवानी अपने पिता शिवकुमार को गॉड फादर मानती है।
पिता शिवकुमार पानीपत में करियाना की दुकान चलाते हैं, उनका बेटा यानी शिवानी का भाई बाक्सिंग में स्टेट लेवल का खिलाड़ी होते हुए भी आर्थिक कारणों से आगे नहीं बढ़ सका लेकिन अब वे अपनी बेटी शिवानी को पेंटिंग के शिखर पर देखना चाहते हैं।शिवानी के पिता शिवकुमार का कहना है कि शिवानी ने सबसे पहली पेंटिंग आर्य स्कूल में भगवान श्री गणेश जी की बनाई थीं, जिसे खासा प्रोत्साहन मिला था।
शिवानी का कहना है कि उसने अब तक 50 के करीब गोल्ड मेडल, 30 सिल्वर, कई कांस्य और प्रोत्साहन प्रमाण पत्र हासिल किए हैं, यही नहीं हरियाणा की 2018-2019 में स्टूडेंट ऑफ दा इयर का अवार्ड भी उनके नाम है, जिसमें एमडीएच के महाशय जी ने उन्हें विशेष सम्मान से नवाजा था।
भारत में दादा लख्मी चंद को परिभाषित करती एकमात्र पेंटिंग भी शिवानी ने ही बनाई है, असल में देश की कला, कविता व गीत संगीत की धरोहर दादा लख्मी चंद की असल तस्वीर तो है लेकिन उनकी किसी ने आज तक पेंटिंग नहीं बनाई थी, जिस पर शिवानी ने काम करके वाहवाही लूटी।
शिवानी ने कोरोना काल व किसान आंदोलन के हालातों के साथ साथ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ विषय को भी अपनी पेंटिंग में बयां करने का काम किया है। शिवानी का कहना है कि सरकार को भी अपने स्तर पर प्रतिभाओं को उभारने के लिए आर्थिक सहायता करनी चाहिए।
बुद्धा ग्रुप ऑफ इंस्टीटयूशनस (कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय) के एमडी नितेश कुमार का कहना है कि शिवानी जैसी प्रतिभाओं को मंच देने के लिए बुद्धा इंस्टीटयूटस जाना जाता है, उम्मीद है कि लंदन के शहर बिरिघंगम में लगने वाली पेंटिंग कंपीटिशन में भी वह इंस्टीटयूट की ओर से अपनी कला का प्रदर्शन करेगी, उसका नाम इंसटीटयूशनस ने भेजा हुआ है।
देश विदेश में लगने वाली एग्जीबिशन में शिवानी के साथ साथ अन्य प्रतिभाओं को भी उभरने का पूरा मौका मिलेगा।इंसटीटूशनस के सभी को प्रेरित करने वाले प्रिसिंपल डा. मोहम्मद रिज़वान का कहना है कि शिवानी से इंस्टीटयूशनस को बहुत आशाएं हैं। हेड रजनीश सिंगला, विभागाध्यक्ष रजनीश शर्मा का कहना है कि शिवानी, पोट्रेट, वाल पेंटिंग के साथ साथ क्रेएटिव आइडिया पर काम करती है, उसका भविष्य उज्जवल है।