Big News – पीएम केयर फंड से करनाल सरकारी हॉस्पिटल में शुरू हुआ ऑक्सीजन प्लांट तकनीकी कारणों से 10 दिन बन्द रहने के बाद हुआ शुरू ,देखें Live – Share Video
करनाल के सरकारी हॉस्पिटल में पीएम केयर फंड से शुरू हुआ ऑक्सीजन प्लांट तकनीकी कारणों से बन्द हो गया था, जिसके बाद ये प्लांट 10 से ज़्यादा दिन बन्द रहा । कल रात से इस प्लांट की फिर से शुरुआत हुई है। इस ऑक्सीजन प्लांट की सप्लाई सरकारी हॉस्पिटल में मरीजों तक पाइप के ज़रिए पहुंचती है, करनाल का सरकारी हॉस्पिटल नोन कोविड है।
इसी महीने की 4 तारीख को ऑक्सीजन प्लांट की शुरुआत करनाल के सरकारी हॉस्पिटल में होती है। इस प्लांट की क्षमता 200 लीटर प्रति मिनट के हिसाब से ऑक्सीजन बनाने की थी, लेकिन शुरुआत होने के 2 दिन बाद ही ये ऑक्सीजन प्लांट तकनीकी कारणों से बन्द हो जाता है । दरसअल जिस कम्पनी का ये ऑक्सजीन प्लांट था उसके इंजीनियर लॉक डाउन होने की वजह से इस प्लांट को इंस्टॉल करने के लिए करनाल नहीं पहुंच पा रहे थे, जिसके कारण प्लांट को स्थापित करने में देरी आ रही थी।
ऑक्सीजन प्लांट एक्सपर्ट प्रोफेसर जोगिंदर जिन्होंने सोनीपत में इस प्लांट को स्थापित किया था उन्हें सरकार की तरफ करनाल में भी इस प्लांट को इंस्टाल करने के लिए कहा जाता है वो 2 दिन में इस प्लांट को इंस्टॉल कर देते हैं लेकिन कई खामियां रह जाती है जिसके कारण ना तो ये प्लांट सही तरीके से ऑक्सीजन बना पाए रहा था और ना ही काम कर रहा था।
इस ऑक्सीजन प्लांट से जो गर्मी उत्तपन होती थी वो इसी प्लांट के अंदर ही रह जाती थी, बाहर गर्मी के जाने का कोई रास्ता नहीं था , जिसके कारण मशीनों ने काम करना बंद कर दिया था, पाइप भी फट गई थी , जिसके चलते इसे बंद करना पड़ा। उस कम्पनी से संपर्क किया गया जिसने ये ऑक्सीजन प्लांट तैयार किया था, उसके इंजीनियर आते हैं लेकिन उसमें एक कोरोना पॉजिटिव हो जाता है, फिर दोबारा दूसरी टीम को बुलाया जाता है और वो इंजीनियर इस प्लांट को फिर से इंस्टाल करने की प्रक्रिया को शुरू करते हैं।
प्लांट में रखे टैंक , मशीनों की दिशा को बदलते हैं , बदलने के साथ साथ कॉम्प्रसेर लगाए जाते हैं ताकि मशीनों के ज़रिए उत्पन होने वाली गर्मी बाहर जा सके। फिलहाल ये प्लांट ट्रायल बेस्ड पर शुरू हो गया है। इसका सैंपल टेस्टिंग के लिए गुरुग्राम भेजा है ताकि पता चल सके ये प्लांट अपनी क्षमता के अनुसार काम कर रहा है या नहीं।
हालांकि इस ऑक्सीजन प्लांट के बन्द होने से मरीजों को परेशानी नहीं हुई क्योंकि ये प्लांट सरकारी हॉस्पिटल में लगा था जो नॉन कोविड था, इस प्लांट की ऑक्सीजन पाइप के ज़रिए मरीजों तक पहुंचनी थी और जो ऑक्सीजन सिलेंडर मरीजों के लिए इस्तेमाल होते थे उनकी बचत हो जाती और उनका इस्तेमाल कल्पना चावला मेडिकल हॉस्पिटल में कोविड के मरीजों के लिए हो जाता ।
लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या सरकार और स्वास्थ्य विभाग की तरफ से पहले जिसको प्लांट इंसटाल की ज़िम्मेदारी दी गई थी उनका काम देख नहीं लेना चाहिए था, इस प्लांट के काम ना करने के चलते अगर कोई बड़ा हादसा हो जाता तो उसका ज़िम्मेदार कौन होता और जो इतने दिन प्लांट बन्द रहा उसकी भरपाई कौन करेगा।