- प्राइवेट स्कूलों के प्रतिनिधिमंडल ने सांसद को सौंपा ज्ञापन
- हरियाणा के निजी स्कूलों ने दी सरकार को अनिश्चितकालीन तालाबंदी की चेतावनी
- स्कूल संगठनों ने जारी किया निजी स्कूलों की वर्तमान आर्थिक स्थिति पर श्वेतपत्र
- कहा निजी स्कूल तीन महीने की फीस माफ करने को है तैयार बशर्ते कि सरकार निजी स्कूलों के शिक्षकों व अन्य स्टाफ के वेतन के साथ-साथ अन्य सभी मासिक खर्चों का भी करे भुगतान
करनाल। कोरोना महामारी के इस विषम समय में हरियाणा के सभी निजी स्कूल अब तक के सबसे गंभीर आर्थिक संकट के दौर से से गुजर रहे है, एक और जहाँ अधिसंख्य अभिभावकों द्वारा गत तीन माह से स्कूल फीस का भुगतान नहीं किया गया है, वहीं शिक्षा विभाग द्वारा निजी स्कूलों के विद्यार्थियों को बिना किसी एसएलसी के ही सरकारी स्कूलों में दाखिला देने हेतु नियमविरुद्ध आदेश जारी कर दिए हैं।
इस नई व्यवस्था के लागू होने से निजी स्कूल शिक्षा क्षेत्र में अराजक स्थिति उत्पन हो सकती हैं, क्योंकि सभी छात्र गण बिना अपने पुराने स्कूल का फीस बकाया चुकाए बिना एसएलसी के कभी भी किसी अन्य सरकारी विद्यालय में प्रवेश ले सकते है, जिससे बड़ी मात्रा में बकाया फीस प्रतिपूर्ति के अभाव में हजारों स्कूल बंद होने के कगार पर होंगे। इस प्रकार से लाखों निजी स्कूल अध्यापकों का रोजगार व आजीविका भी संकट में रहेगी।
निजी स्कूलों द्वारा अपनी लंबित फीस का भुगतान प्राप्त करने हेतु उन द्वारा उचित कार्यवाही करने के सरकार के स्पष्ट दिशा निर्देशों के अभाव में व हरियाणा शिक्षा निदेशालय पंचकूला द्वारा लगातार जारी अप्रासंगिक, असंगत, अदूरदर्शी व निजी स्कूल व्यवस्था विरोधी आदेशो, जो हरियाणा सरकार की शिक्षा नियमावली-2003 में दर्ज उपबंधों, नियमों व प्रावधानों के ही विरुद्ध है तथा ऐसे आदेश निजी स्कूलों के अस्तित्व को ही संकट में डालने वाले हैं। इससे हरियाणा में निजी स्कूल शिक्षा व्यवस्था लगभग चरमराने व ढ़हने की स्थिति में पहुंच चुकी है।
सरकार द्वारा पूर्णत: स्पष्ट आदेशो को न जारी करने से आर्थिक रूप से पर्याप्त सक्षम अभिभावकों द्वारा भी मासिक शुल्कों का भुगतान न किये जाने से स्थितियां और भी गम्भीर दौर में जा पहुंची है।
एक ओर जहां निजी स्कूलों का अध्यापक वर्ग अपने घरों से ही प्रतिदिन निरंतर आठ घंटे लगा कर ऑनलाइन शिक्षा पद्धति के माध्यम से अपने कर्तव्यों की पालना निष्ठापूर्वक कर रहा है, वहीं मासिक फीस प्राप्ति के न होने व किसी भी प्रकार के सरकारी राहत पैकेज अथवा आर्थिक सहायता के अभाव में बहुसंख्यक निजी स्कूल प्रबंधको के समक्ष उनके स्कूलों में कार्यरत शिक्षण व ग़ैरशिक्षण कर्मचारियों के लंबित वेतन, बिजली के बिल, स्कूल बसों की किस्तें व अन्य पूंजीगत खर्चो की पूर्ति एक विकट समस्या के रूप में आ खड़ी हुई है।
क्त सभी चुनौतियो के निराकरण हेतु व सरकार के अवलोकनार्थ आर्थिक श्वेतपत्र जारी करने हेतु करनाल के 120 से अधिक निजी सीबीएसई स्कूलों के संगठन करनाल इंडिपेंडेंट स्कूल एसोसिएशन द्वारा अपने सभी सदस्य स्कूलों से 15 जून तक कि फीस स्टेटस व खर्चों का ब्यौरा मंगवाया गया।
इस आंतरिक सर्वे में खुलासा हुआ कि 90 प्रतिशत से भी अधिक स्कूलों को केवल 1त्न से 5त्न मासिक फीस ही प्राप्त हुई है ,जबकि शेष बचे बड़ी छात्र संख्या वाले बड़े स्कूलों को भी अधिकतम 10त्न से 20त्न तक ही फीस की प्राप्ति हो पाई है।
उपरोक्त फीस में निजी स्कूलों द्वारा सरकार के आदेशानुसार वार्षिक व दाखिला फीस को 100 प्रतिशत तक स्थगित रखा है। अत: गैर सरकारी सहायता प्राप्त निजी स्कूलों के समक्ष अपने स्टाफ के वेतन भुगतान व समयबद्ध खर्चो, बिजली के बकाया बिलों व बैंक की किस्तों व विभिन्न संस्थागत बिलों के भुगतान की चुनौती एक संकट के रूप में सामने आ खड़ी हुई है, जिसकी प्रतिपूर्ति में निजी स्कूलों द्वारा स्वयं को असहाय स्थिति में पाते हुए, निजी सीबीएसई स्कूलों के संगठन (किसा) के प्रधान आरएस विर्क, उपप्रधान अविनाश बंसल, पीआरओ राजन लांबा तथा सचिव व प्रवक्ता कुलजिन्दर एमएस बाठ व एग्जीक्यूटिव कमेटी के सभी वरिष्ठ सदस्यों द्वारा आज जारी आधिकारिक वक्तव्य व प्रेस रिलीज़ में करनाल के निजी स्कूलों की आर्थिक स्थिति पर मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री के साथ साथ आपको अथार्थ करनाल सांसद संजय भाटिया को एक श्वेतपत्र व ज्ञापन जारी करते हुए सरकार से कहा कि निजी स्कूल सरकार के दिशा निर्देशों अनुसार अपने सीमित साधनों से ऑनलाइन शिक्षा व्यवस्था को जारी रखा हुआ था, परंतु अभिभावकों को स्पष्ट सरकारी दिशानिर्देशों के अभाव में, उनके द्वारा मासिक शुल्क तक को अदा न किये जाने से घरों से ऑनलाइन शिक्षण का कार्य कर रहे अध्यापक वर्ग व गैर शिक्षण कार्यो के कर्मचारियों के लिए वेतन जारी करना सबसे बड़ी कठिनाई के रूप में निजी स्कूलों के समक्ष उपस्थित है।
इन्होंने कहा कि सरकार को तुरंत स्कूल संगठनों से बातचीत कर समस्या का स्थायी हल निकालना चाहिए अन्यथा हरियाणा के सभी स्कूल अनिश्चितकालीन तालाबंदी पर जाने को मजबूर होंगे।
उन्होंने आगे कहा कि स्कूलों द्वारा तीन माह की फीस माफ करने की बात निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा फैलाई जा रही है, वो आधारहीन व अन-अपेक्षित है, क्योकि निजी स्कूलो द्वारा पहले ही अपने मानवीय पक्ष व गहरी संवेदनशीलता दर्शाते हुए , सरकार के आदेशानुसार कोरोना महामारी के कारण अभिभावकों के समक्ष उपस्थित आर्थिक समस्याओ के चलते अपनी दाखिला फीस व वार्षिक फीस को स्थगित रखा हुआ है और हरियाणा प्रदेश के एक भी निजी स्कूल द्वारा यह शुल्क वसूल नही किये गए।
यदि फिर भी सरकार राहत पैकेज के रूप में तीन माह की फीस माफी अभिभावकों को देना चाहती है तो सरकार को निजी स्कूलों के पूरे स्टाफ की तीन महीने की तनख्वाह व सभी प्रकार के लंबित बिजली बिलो, टैक्स, स्कूल बसों की ईएमआई व अन्य आर्थिक जि़म्मेवारियों का बोझ उठा कर इनका तुरंत भुगतान करना चाहिए।
निजी स्कूलों के पास फीस के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प उपलब्ध नही है। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री के नाम ज्ञापन सौंपते हुए बड़ी संख्या में स्कूल प्रतिनिधि व स्कूल संगठनों के पदाधिकारीगण उपस्थित थे, जिनमें संजय भाटिया, दीवान कुलदीप चोपड़ा, ओपी चौधरी, सिस्टर औफिलियो लोबो, योगिंदर राणा,आदित्य बंसल, गुरशरण सिंह, ऋषभ मेहता व विक्रम चौधरी प्रमुख थे।