- सेवा करने की प्रेरणा लेकर हम भी आएगें किसी के काम:- प्रवासी मजदूर
- प्रवासी मजदूरों ने राधा-स्वामी सत्संग ब्यास के अनुयायियों का सेवा के लिए जताया आभार,
- कहा लॉकडाउन के दौरान सत्संग भवन में मिली नशा छोडने की प्रेरणा।
- अनुयायी बोले राधा-स्वामी सत्संग ब्यास से मिलती है, मानवता की सेवा करने की सीख।
लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के लिए लगभग एक महीने तक दूसरा घर साबित हुए राधा-स्वामी सत्संग भवन करनाल से जिला प्रशासन द्वारा मजदूरों को उनके गंतव्य स्थान की ओर रवाना किया गया। प्रवासी मजदूरों के चहरे पर घर वापिस जाने और अपने से मिलने का उत्साह साफ दिख रहा था। सुबह 4 बजे ही उठकर सभी तैयारियों में लगे थे और अपना सामान बांधने के बाद बसों में बैठने के लिए उत्सुक थे।
बसों में सवार होने के बाद जहां एक ओर प्रवासी मजदूर सत्संग भवन में उपस्थित अनुयायियों को राधा-स्वामी जी बोलकर उनकी सेवा के प्रति धन्यवाद कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर सत्संग भवन के सेवादार भी राधा-स्वामी जी बोलकर सेवा का मौका देने के लिए अतिथि देवो भव: की संस्कृति का निर्वाह कर रहे थे।
इस मौके पर बहुत से प्रवासी मजदूरों का कहना था कि हम लॉकडाउन के दौरान व्यतीत किए ये दिन कभी भूला नही पायेगें। सेवा करने की जो सीख हमें इन दिनों में यहां से मिली है, इससे प्रेरणा लेकर शायद हम भी किसी के काम आएगे, इसी सोच के साथ यहां से जा रहे है।
वीडियों फिल्मों के माध्यम से हमें सामाजिक बुराईयों के प्रति भी जागरूक होने की शिक्षा मिली है। पान, बीडी, गुटका तथा शराब इत्यादि का त्याग तो हमने ऐसे किया है, मानो कभी इनका सेवन किया ही ना हो। प्रवासी मजदूरों का कहना था कि हमें यहां से नया जीवन जीने की प्रेरणा मिली है, इसके लिए हम और हमारा परिवार सदा राधा-स्वामी सत्संग ब्यास के ऋणी रहेगें।
इस अवसर पर मौजूद अनुयायियों ने जिला प्रशासन के अधिकारियों व प्रवासी मजदूरों को धन्यवाद किया और कहा कि आप सबकी वजह से ही हमें सेवा का यह अवसर मिला है। हमें खुशी है कि राधा-स्वामी सत्संग ब्यास से पूज्य बाबा जी के मार्ग दर्शन में हमें यह प्रेरणा मिली है कि मानव सेवा ही सबसे बडी सेवा है।
मुसीबत में फसे हर जीव की सेवा हमारा परम कर्तव्य बनाता है। उन्होंने कहा कि हमें खुशी होगी कि सत्संग से प्रेरणा लेकर प्रवासी मजदूरों के जीवन में भी परिवर्तन आए और ये भी अपने जीवन में मुसीबत में फसे लोगों की मदद करें।
इस मौके पर तहसीलदार करनाल राजबख्श, जीएम रोडवेज अजय गर्ग, डीएसपी विरेन्द्र सैनी ने सत्संग भवन में उपस्थित सभी अनुयायियों का बेहतर व्यवस्था के लिए धन्यवाद किया और प्रवासी मजदूरों का भी व्यवस्था में सहयोग के लिए आभार जताया।
5 विभिन्न रूटों के लिए 17 बसों के माध्यम से 495 प्रवासी मजदूरों को किया उनके घर के लिए रवाना:-डीसी निशांत कुमार यादव।
उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने प्रवासी मजदूरों को वापिस भेजने के संदर्भ में बताते हुए कहा कि कुल 803 मजदूरों के ठहरने की व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा की गई थी, जिसमें से 260 प्रवासी मजदूरों को एक दिन पहले वापिस भेजा जा चुका है तथा रविवार को 495 प्रवासी मजदूरों को 17 बसों की व्यवस्था करते हुए घर भेजा जा रहा है।
ये 17 बसें करनाल से बुलंदशहर , मथूरा, सहारनपुर, बागपत तथा शामली रूटों पर आने वाले विभिन्न जिलों के प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने का काम करेगी। शेष 48 प्रवासी मजदूरों को भी सरकार से मंजूरी मिलने के बाद उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रवासी मजदूरों को बसों में वापिस भेजने में सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष ध्यान रखा गया है तथा रोडवेज कर्मचारियों को भी सुरक्षा के लिए मास्क व सेनिटाईजर उपलब्ध करवाते हुए एहतियात बरतने के लिए कहा गया है।
प्रवासी मजदूरों के रहने और खाने-पीने की व्यवस्था में सहयोग के लिए सत्संग भवन के योगदान को नही भुलाया जा सकता:-डीसी निशांत कुमार यादव
उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने राधा-स्वामी सत्संग भवन के अनुयायियों का आभार जताते हुए कहा कि प्रवासी मजदूरों के रहने और खाने-पीने की व्यवस्था में सहयोग के लिए सत्संग भवन के योगदान को भुलाया नही जा सकता है।
सेवा भाव का यह निश्चय ही उत्कृष्ट उदाहरण है। सेवा के साथ-साथ सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना वायरस से बचाव के लिए सरकार द्वारा दी गई हिदायतों का सेवादारों ने बेहतर तरीके से पालन करना और करवाना सुनिश्चित किया है, जोकि बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य था।
ऐसे किया सत्संग भवन के सेवादारों ने सच्ची सेवा का काम।
803 प्रवासी मजदूरों के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित राधा-स्वामी सत्संग भवन करनाल, नीलोखेडी, घरौंडा, इन्द्री, कैथल रोड करनाल तथा सैक्टर 32-33 के सत्संग भवन में व्यवस्था की गई थी।
प्रवासी मजदूरों को प्रसाद के रूप में पौष्टिक व संतुलित भोजन उपलब्ध करवाने के लिए लगभग 500 सेवादार दिन-रात सेवा कर रहे थे। सुबह, दोपहर और शाम समय पर भोजन देने के साथ-साथ चाय और बच्चों के लिए दूध उपलब्ध करवा सेवादारों ने मानवता की सच्ची सेवा का काम किया है।
यहां तक कि भोजन बनाने में कोरोना वायरस से बचाव के लिए पूरी एहतियात बरती गई और सैनिटाईजेंशन का काम भी बराबर किया जाता रहा। सत्संग भवन में स्वच्छता के कार्य को देखकर प्रवासी मजदूरों को भी जीवन में स्वच्छता अपनाने की प्रेरणा मिली।