करनाल, भव्य नागपाल: कल पंचकुला में हुई हिंसा के बाद हरियाणा सरकार कटघरे में है। अब तक हिंसा में 31 लागों की मौत और 250 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। इन सबके बीच बाबा राम रहीम रोहतक जेल में बंद हैं। अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि पिछले तीन दिन से पंचकुला में आस्था के नाम पर लाखों डेरा समर्थक धारा 144 लगे रहने के बावजूद सरकार की नाक के नीचे कैसे इक्ट्ठे हुए ?
24 अगस्त को हाईकोर्ट के डेरा समर्थकों को हटाने के आदेश के बावजूद सरकार ने बस अपील कर खानापूर्ती की। लाठी-डंडो से लैस डेरा समर्थक जमे रहे और 25 अगस्त को फैसला आने के बाद समर्थकों ने भीड़ और फिर गुँडों का रूप ले लिया। जब पुलिस, अर्धसैनिक बल और आर्मी के पास पेलेट गन, बंदूकें और राइफल थी फिर भी पत्थरों का इस्तेमाल कर भीड़ को खदेड़ने की कोशिश की जा रही थी। साफ है कि सरकार और ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने तोड़फोड़ और वाहन जलने का इन्तोज़ार किया और फिर शूटिंग के आदेश दिए गए। तब तक शहर के ऊपर काले धुँए का गुबार छा चुका था।
इसी के साथ एक-एक कर खट्टर सरकार के चाक-चौबंद सुरक्षा के इन्तेज़ाम होने के वादे की धज्जियाँ उड़ती गईं। हरियाणा सरकार में ग्रह मंत्रालय भी ख़ुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पास ही है। जैसे हालात पंचकुला में बने उससे यही प्रतीत होता है कि डेरा मुखी के आगे घुटने टेकना चाहती थी खट्टर सरकार। क्योंकि यहाँ मालूम हो कि 2014 में हरियाणा की कुर्सी पर भाजपा को बिठाने में बाबा के 5 करोड़ कुछ अनुयायियों का खास रोल था। तब लोगो में एक बात आम हो गई थी कि हरियाणा में डेरा की जीत हुई है। इतनी ऊँची पहुँच होने के बाद बाबा के गलत कामों की लिस्ट भी लंबी होती चली गई।चाहे वो साध्वी यौन शोषण मामला हो, 400 अनुयायियों को नपुंसक बनाने का मामला हो, सिरसा के पत्रकार छत्रपति की हत्या हो या फिर मैनेजर रणजीत सिंह की हत्या हो। आस्था और श्रद्धा की आड़ में चल रहे इन सभी कुकर्मों के चलते, सभी तत्कालीन सरकारें बाबा के हाथ की कठपुतलियां बनी रही।
खट्टर सरकार के इन तीन सालों में यह तीसरा मौका था जब अपने “वोट बैंक” की राजनीति की ख़ातिर सरकार ने तीसरी बार अपने हरियाणा को जलना दिया।