December 24, 2024
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दयाल सिंह कॉलेज करनाल में हिंदी साहित्य परिषद के तत्वावधान में हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रभाषा हिंदी के सम्मान में हिंदी उत्सव का आयोजन किया गया| इस अवसर पर कविता पाठ ,देश भक्ति गीत एवं भाषण प्रतियोगिताएं आयोजित की गई |कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति डॉ राधेश्याम शर्मा ,प्राचार्य डॉ चंद्रशेखर भारद्वाज , हिंदी विभागाध्यक्ष एवं हिंदी साहित्य परिषद के अध्यक्ष डॉ रणधीर सिंह एवं डॉ सुभाष चंद्र सैनी उपाध्यक्ष हिंदी साहित्य परिषद ने दीप प्रज्वलित कर किया।

प्राचार्य डॉ चंद्रशेखर ने मुख्य अतिथि का पुष्पगुच्छ व शॉल भेंट कर स्वागत किया |डॉ रणधीर सिंह ने निर्णायक मंडल के सदस्यों भौतिकी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर रजनी सेठ और अर्थशास्त्र विभाग की अध्यक्ष डॉ सारिका चौधरी का पुष्प गुच्छ से स्वागत किया।

प्राचार्य डॉ चंद्रशेखर ने मुख्य अतिथि वह निर्णायक मंडल का स्वागत करते हुए कहा कि हिंदी भाषा हमारी संस्कृति ,हमारा राष्ट्रीय गौरव और हमारी पहचान है |राष्ट्रभाषा हिंदी देश की सरहदों से निकलकर विश्व पटल की भाषा बन गई है |

हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ रणधीर सिंह ने मुख्य अतिथि निर्णायक मंडल व सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि हमें हिंदी के साथ-साथ अन्य भाषाओं का भी ज्ञान होना चाहिए लेकिन अपनी मातृभाषा का अनादर नहीं करना चाहिए | आज हिंदी भारत की सीमाओं को लांघ कर कर विश्व भाषा के रूप में प्रतिष्ठित हो चुकी है |देवनागरी लिपि जैसी वैज्ञानिक लिपि दुनिया में कोई दूसरी लिपि नहीं है।

मुगलों के शासन काल में अरबी फारसी शब्दावली को ग्रहण किया और अंग्रेजी राज में अंग्रेजी शब्दों का समावेश किया| सूचना क्रांति के इस युग में हिंदी और मजबूत होती जा रही है उन्होंने बताया कि लगभग 175 देशों में हिंदी का पठन-पाठन हो रहा है

मुख्य अतिथि के रूप में चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय सिरसा के पूर्व कुलपति डॉ राधेश्याम शर्मा ने सभी प्रतिभागियों एवं हिंदी साहित्य परिषद के विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा की हिंदी एक समृद्ध भाषा है| हिंदी ने मानवीय मूल्यों की भाषा के रूप में भारतीय धर्म संस्कृति एवं विभिन्न कलाओं के माध्यम से वसुधैव कुटुंबकम की पवित्र भावना के संदेश का भी प्रसार किया और हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के पीछे यही वसुधैव कुटुंबकम की भावना निहित है जो भारत वर्ष की संस्कृति का आधारभूत सत्य है।

आज भूमंडलीकरण के दौर में औद्योगिक क्रांति के साथ भाषाई क्रांति में हिंदी भाषा भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त कर रही है |उन्होंने कहा कि व्यापार भी भाषा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |हिंदी विश्व बाजार की भाषा बनती जा रही है आज अमेरिका और चीन जैसे विकसित देशों में लोग हिंदी सीखने और सिखाने के प्रति गहरी रुचि दिखा रहे हैं।

हमारे देश के अनेक महापुरुषों जैसे राजा राममोहन राय ,स्वामी दयानंद ,आचार्य केशव चंद्र सेन, महात्मा गांधी ,सुभाष चंद्र बोस ,बंकिम चंद्र चटर्जी ने हिंदी भाषा की वैज्ञानिकता को परख कर अपना ज्यादातर कामकाज इसी भाषा में ही किया |निश्चय ही आज हिंदी को विश्व की सर्वमान्य भाषा मानकर अमेरिका जैसे विकसित देश ने भी हिंदी को पहली कक्षा से पढ़ाने के लिए करोड़ों डॉलर का बजट स्वीकृत किया है |

आज हिंदी भाषा ने इंटरनेट के माध्यम से विश्व के प्रतिष्ठित क्षेत्रों पर सम्मानजनक उपस्थिति दर्ज करवाई है |आंकड़ों के अनुसार आज हिंदी विश्व की पहले स्थान पर बोली और समझी जाने वाली भाषा बन गई है| दुनिया का हर छठा व्यक्ति हिंदी बोलता और समझता है| उन्होंने आगे कहा कि भाषा को वैश्विक स्तर पर गौरवपूर्ण स्थान दिलाने में विदेशी विद्वानों और विदेशी सरकारों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

अमेरिका ,जर्मनी ,रूस ब्रिटेन, इटली ,डेनमार्क ,सिंगापुर ,जापान मॉरीशस ,इंडोनेशिया ,श्रीलंका ,सूरीनाम ,गुयाना ,कनाडा ,ऑस्ट्रेलिया, नॉर्वे ,मैक्सिको ,नेपाल ,पाकिस्तान बेल्जियम, फिजी और त्रिनिदाद जैसे देशों में हिंदी का पठन-पाठन हो रहा है मंच संचालन करते हुए हिंदी साहित्य परिषद के उपाध्यक्ष डॉ सुभाष सैनी ने कहा कि वैश्वीकरण की प्रक्रिया ने हिंदी के व्यापक प्रयोग की संभावनाएं खोल दी हैं बाजारवाद में हिंदी की बढ़ती लोकप्रियता विश्व पटल पर हिंदी के विस्तार एवं संभावनाओं को स्पष्ट करती है।

इस अवसर पर कविता पाठ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें कॉलेज के छात्र छात्राओं ने उत्साह पूर्वक भाग लिया इस प्रतियोगिता में हरदीप ,तमन्ना ,शुभम मलिक को क्रमशः प्रथम ,द्वितीय और तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया |प्रोत्साहन पुरस्कार सागर बल्ला व कीर्ति बत्रा ने प्राप्त किया| निर्णायक के दायित्व का निर्वहन डॉ रजनी सेठ डॉक्टर सारिका चौधरी ने किया।

धन्यवाद ज्ञापन डॉ बलबीर सिंह ने किया इस अवसर पर डॉ जयकुमार ,डॉ सुरेंद्र वाला, डॉ सुभाष आर्य, डॉ रितु शर्मा ,डॉ महावीर प्रसाद, डॉ प्रवीण डांडा ,प्रोफेसर महावीर सिंह ,डॉ धीरज कौशिक डॉ बलजिंदर सिंह उपस्थित रहे|

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