इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में समाजसेवी अधिवक्ता सोनिया बोहत को मिला बेस्ट स्पीकर अवॉर्ड, गत दिनों आई जी यू में आयोजित दो दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में करनाल के गांव सालवन वासी सोनिया बोहत ने अपने शोध पत्र के माध्यम से महिलाओं की राजनीति, आर्थिक व समाजिक विकास में भागीदारी पर प्रकाश डाला।
इस कार्यक्रम में दक्षिणी एशिया के देशों ने भाग लिया, कि वर्तमान में साउथ एशिया के देशों में महिलाओं की क्या स्थिति है। इस कार्यक्रम में लगभग 500 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
उन्होंने अपने शोध पत्र के माध्यम से कहां महिलाओं की राजनीतिक,आर्थिक व सामाजिक विकास में हिस्सेदारी ना के बराबर है, अगर बात करे लोकसभा व राज्यसभा की लोकसभा मात्र 11 प्रतिशत और राज्यसभा में केवल 10.7 प्रतिशत ही भागीदारी है।
एक तरफ तो सविधान में महिलाओं को समानता का अधिकार दिया गया हैं, दूसरी तरफ 33 प्रतिशत आरक्षण के लिए भी भारत की महिलाएं तरस रही हैं। अगर बात करें जमीनी तौर पर तो महिलाओं की राजनीति में भागीदारी ना के बराबर मानी जाती है।
एक तरफ तो महिलाओं के समान अधिकार की बात की जाती है तो दूसरी तरफ उनके अधिकारों की हत्या की जाती हैं, आखिर कब तक भारत की महिलाएं अपने अधिकारों की भीख मांगती रहेगी, लोकसभा, राज्यसभा में 6 बार बिल पेश करने के बावजूद भी आज तक उस पर मोहर नहीं लग पाई हैं, जो कि बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है आखिर कब तक भारत की महिलाएं अपने समानता के अधिकार के लिए लड़ती रहेंगी।
कितनी सरकारें आई है गयी हैं, महिलाओं के अधिकार केवल भाषण तक ही सीमित रह जाते हैं, लेकिन किसी भी सरकार ने महिलाओं की अधिकार पर बात नही की, आखिर अधिकार देने की दोहरी नीति का शिकार भारत की महिलाएं कब तक होती रहेगी।
इसलिए अपने अधिकार लेने के लिए महिलाओं को खुद ही आगे आना होगा, तभी वह अपने अधिकारों को ले पाएगी। जब तक महिलाएं खुद सशक्त पढ़ी लिखी व समाज का सामना करने की हिम्मत नहीं करेगी, तब तक वो अपने अधिकारों की रक्षा नहीं कर सकती।
मेरा देश की हर महिला से अनुरोध हैं, कि अपने अधिकारो की रक्षा के लिए सामने आए और अपने अधिकारों की रक्षा करें, तभी हम देश की हर महिला को उसका अधिकार दिला सकते हैं।