November 22, 2024

करनाल, 5 अक्तूबर : करनाल का जय सिंह जिसके जीवन में अंधेरा छा रहा था। जिसकी रोशनी लगातार खत्म होती जा रही थी। जीवन से आशा की किरण लुप्त हो रही थी। सब तरफ से निराश होकर जब उसने सोशल साईट पर विर्क अस्पताल के न्यूरोसर्जन और ई.टी.एन.टी के विशेषज्ञ के अनुभव का कमाल देखा तो उसके जीवन में आशा आ गई।

इस अस्पताल के दो डाक्टर्स डा. अभिनव बंसल और न्यूरोसर्जन डा. अश्वनी कुमार ने बिना चीर फाड़ के नाक के सहारे दिमाग को टयूमर को निकालकर बाहर कर दिया। इसमें न तो कोई सर्जरी हुई और न ही कोई टांके लगे। यदि यह आप्रेशन बाहर करवाया जाता तो लाखों रुपए खर्च होते। रोग से मुक्ति की कोई गारंटी नहीं थी। इस तरह के और भी आप्रेशन यह जोड़ी कर चुकी है और इसमें सफलता अर्जित की।

नाक के रास्ते ट्यूमर को बाहर निकालने का। ईटीएनटी डाक्टर की मदद से यह संभव हो सका। इस रास्ते ने क बोपुरा निवासी जय सिंह को नया जीवन दिया है। आपरेशन में चार घंटे का वक्त लगा मगर टयूमर निकलने के बाद वह पूरी तरह से स्वस्थ्य है ओर उनकी आंखो की रोशनी लोट आई। पूरे हरियाणा में संभवत: ब्रेन टयूमर निकालने का यह अपनी तरह का आप्रेशन करने वाले पहली डाक्टर जोड़ी है। न्यूरो सर्जन डा. अश्वनी कुमार व ईएनटी सर्जन डा. अभिनव बंसल ने अथक मेहनत से सफल किया है।

आप्रेशन के बाद जय सिंह डाक्टरों के साथ

करनाल के क बोपुरा गांव के रहने वाले 50 वर्षीय जय सिंह पिछले चार महीने से सिर दर्द की शिकायत थी। सर दर्द की शिकायत के बीच उसकी आंखों की रोशनी पर भी असर पडऩे लगा। एक आंख से दिखाई देना लगभग बंद हो गया। आंखों के डाक्टर को दिखाया तो उसने आंख की समस्या बता कर चश्में का नंबर दे दिया। लेकिन समस्या दूर नहीं हुई। फिर किसी अस्पताल के डाक्टर ने एमआरआई कराने की सलाह दी। एमआरआई के बाद स्पष्ट हुआ कि जय सिंह के मस्ष्टिक मे एक बड़ा टयूमर है। जय सिंह ने इससे पहले दिल्ली के एक अस्पताल में दिखाया।

लेकिन वहां भी उसे कोई फायदा नहीं हुआ। जब उन्होंने सोशल साईटस पर खबर देखी तो वह करनाल के विर्क अस्पताल में पहुंचे। ए स से यहां अपनी सेवाएं दे रहे न्यूरो सर्जन डा. अश्वनी ने एमआरआई देखी तो लगा कि उन्होंने इसी अस्पताल में कार्यरत ईएनटी सर्जन डा. अभिनव से बात की। काफी विचार के बाद दोनों ने एंडोस्कॉपी तकनीक से आपरेशन का विचार किया। दिक्कत ये थी कि ये आपरेशन किसी एक डाक्टर को नहीं करना था। जय सिंह के नांक के रास्ते से यंत्र डालकर दिमाग तक पहुंचाना था और फिर वहां से टयूमर को निकालना था।

हालांकि टयूमर निकालने का एक तरीका ये भी है कि सिर को खोल कर ओपन सर्जरी के जरिये टयूमर निकाला जाएं मगर इसमे जोखिम बहुत ज्यादा होता है। ब्रेन से टयूमर निकालने के दौरान जान जाने का खतरा तो रहता ही है साथ ही ब्रेन की किसी गलत नस के प्रभावित होने से लकवा होने की आशंका भी बढ़ जाती है। डाक्टर अश्वनी पहले भी इस तरह के आपरेशन कर चुके थे लेकिन डा. अभिनव का यह दूसरा आपरेशन था। लेकिन दोनों ने इस आपरेशन को सफल करने की ठानी और पिछले दिनों अस्पताल में दाखिल हुए जय सिंह का सफल आपरेशन कर दिया।

50 साल का जय सिंह जो अपनी आंखों की रोशनी खो चुका था। ईलाज के बाद न सिर्फ आंखों की रोशनी लौट आई बल्कि सिर दर्द भी ठीक हो गया। जय सिंह बेहद खुश है और डाक्टरों का आभार व्यक्त करते नहीं थक रहे है। डा. अश्वनी और डाक्टर अभिवन का कहना है कि उनके लिए नाक के रास्ते टयूमर निकालना जोखिम भरा जरुर था लेकिन ईश्वर की कृपा से उन्होंनेे कर दिखाया है। उन्होंने कहा कि पीयूष ग्रंथी में यह टयूमर था। जिसकी वजह से आंखो को सप्लाई करने वाली नसें दब रही थी। यदि इसका इलाज समय पर नहीं होता तो हारमोन परिवर्तित हो सकते थे।

व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। लेकिन यहां पर जब जय सिंह आया तो उसका रोग बढ़ा हुआ था। लेकिन उन्होंने उसे सही कर दिया। टयूमर का नाम सुनते ही लोग घबरा जाते हैं लेकिन अब इसका सफल ईलाज किया जा सकता है। ईलाज के खर्च के बारे में उन्होंने बताया कि दिल्ली या किसी मैट्रो सिटी में जहां इस ईलाज पर चार से पांच लाख खर्च हो जाते हैं वहीं यहां सस्ते में ईलाज हो गया है। वरिष्ठ एनेस्थिटिस्ट डा. सुनील सेठी और डा. विनोद शर्मा तथा डा. ललित शर्मा ने इस सफल इलाज के महत्वपूर्ण सहयोग किया।

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